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क्रिकेटर से राजनेता बने नवजोत सिंह सिद्धू के भाजपा और कांग्रेस से क्‍यों रहे विवाद

BY: India News Desk • LAST UPDATED : May 20, 2022, 1:46 pm IST
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क्रिकेटर से राजनेता बने नवजोत सिंह सिद्धू के भाजपा और कांग्रेस से क्‍यों रहे विवाद

इंडिया न्‍यूज। Navjot Singh Sidhu: क्रिकेटर और राजनेता नवजोत सिंह सिद्धू रोड रेज केस में फंस गए हैं। हमेशा सुर्खियों में रहने वाले नवजोत का विवादों से गहरा नाता रहा है। उनके अब तक क्‍या क्‍या विवाद रहे हैं आइए इस पर नजर डालते हैं। भाजपा से लेकर कांग्रेस में उनकी हर जगह अनबन रही। आइए जानते हैं कब कब क्‍या हुआ, जिससे नवजोत नाराज हुए।

2004 में भाजपा के साथ शुरू की पारी

गुरुवार को राजनेता नवजोत सिंह सिद्धू को रोड रेज केस के 34 वर्ष पुराने मामले में एक वर्ष सश्रम कैद की सजा हुई है। आपको बता दें कि वर्ष 2004 में नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत भाजपा के साथ शुरू की।

अरुण जेटली ने भाजपा में करवाई थी एंट्री

नवजोत सिंह सिद्धू को भाजपा में लाने में पूर्व मंत्री अरुण जेटली का अहम रोल था। उन्‍होंने ने ही उन्‍हें भारतीय जनता पार्टी में ज्‍वाइन करवाया था। नवजोत सिंह सिद्धू भी जेटली को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। वहीं ये भी खास बात है कि जब जेटली ने अमृतसर से चुनाव लड़ा तो नवजोत प्रचार के लिए नहीं आए।

ये भी पढ़ें : जानिए नवजोत सिंह सिद्धू के उस केस की कहानी, जिस मामले में उन्हें सजा हुई

2004 में प‍हली बार बने सांसद

भाजपा में शामिल होने के बाद जेटली ने उन्‍हें अमृतसर लोकसभा सीट के लिए भाजपा हाई कमान के पास प्रस्‍तावित किया। नवजोत का यह पहला चुनाव था और उन्‍होंने कांग्रेस के रघुनंदन लाल भाटिया को करीब एक लाख वोट से शिकस्‍त दी। वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पहले ही नवजोत ने लोकसभा की सदस्‍यता से त्‍यागपत्र दे दिया था।

दूसरी बार अमृतसर से सुरिंद्र सिंगला को हराया

अमृतसर लोकसभा सीट के उपचुनाव पर भाजपा ने दोबारा नवजोत को मौका दिया। इस बार उन्‍होंने कांग्रेस के सुरिंद्र सिंगला को भारी मतों से हराया। इसके बाद 2009 में तीसरी बार नवजोत तीसरी बार लोकसभा सीट जीतने में कामयाब हुए। उन्‍होंने कांग्रेस के ओपी सोनी को हराया था।

2014 में जेटली को टिकट देने से नाराज हुए नवजोत

तीन शानदार पारियों के बाद भाजपा ने 2014 में अरुण जेटली को अमृतसर लोकसभा सीट से टिकट दिया। इससे नवजोत नाराज हो गए। इस कारण वे चुनाव प्रचार में भी नहीं गए। इस बार पूर्व मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने अरुण जेटली को हराया। नवजोत सिंह की नाराजगी दूर करने के लिए भाजपा ने उन्‍हें राज्‍यसभा से सांसद बनाया, लेकिन उनकी दूरियां बढ़ती ही गईं।

अनबन के कारण भाजपा छोड़ी

भाजपा में नवजोत सिंह सिद्धू खुद को एडजस्‍ट नहीं कर पा रहे थे। ऐसे में उन्‍होंने 2017 में राज्‍यसभा से इस्‍तीफा दे दिया। इसके बाद उन्‍होंने भाजपा को भी अलविदा कह दिया और कांग्रेस का हाथ थाम लिया।

2017 में बने स्‍थानीय नगर निकाय मंत्री

2017 में कांग्रेस की टिकट पर नवजोत सिंह सिद्धू ने अमृतसर पूर्वी विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। कैप्‍टन अमरिंदर सिंह पंजाब के सीएम बने तो उन्‍होंने नवजोत को स्‍थानीय निकाय मंत्री बनाया। लेकिन यहां भी कैप्‍टन से उनका मतभेद हो गया और वे नाराज रहने लगे।

विवाद बढ़ने पर कैप्‍टन ने बदला विभाग

कैप्‍टन के साथ नाराजगी के कारण नवजोत सिंह सिद्धू ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्‍होंने कैप्‍टन और बादल परिवार के आपसी मिलीभगत के आरोप तक लगा दिए। ऐसे में 2019 में कैप्‍टन ने मंत्रीमंडल में फेरबदल करते हुए नवजोत सिंह स्‍थानीय निकाय विभाग लेकर ऊर्जा विभाग दे दिया। इसके बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने मंत्री पद से इस्‍तीफा दे दिया।

जाखड़ को हटा नवजोत सिंह सिद्धू को बनाया प्रधान

2021 में पंजाब कांग्रेस में चल रही कलह के कारण पार्टी हाई कमान ने सुनील जाखड़ को प्रदेश कांग्रेस प्रधान से हटा कर नवजोत सिंह सिद्धू की ताजपोशी कर दी। इससे कैप्‍टन और नवजोत के रिश्‍ते और खराब होते गए और अंत में कैप्‍टन ने चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस को अलविदा कह दिया।

पंजाब कांग्रेस की हार के बाद दिया इस्‍तीफा

चुनाव से पहले कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्‍नी को सीएम बना दिया। ऐसे में नवजोत सिंह सिद्धू फि‍र नाराज हाेे गए। चुनाव में आम आदमी पार्टी ने सूपड़ा साफ कर दिया और नवजोत सिंह सिद्धू ने नैतिकता के आधार पर इस्‍तीफा दे दिया।

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