India News (इंडिया न्यूज), Dr R Chidambaram Passed Away : भारत को परमाणु सम्पन्न देश बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले देश के पूर्व प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. राजगोपाल चिदंबरम का शनिवार को निधन हो गया है। डॉ. राजगोपाल को भारत के परमाणु हथियार कार्यक्रम में अहम भूमिका के लिए जाना जाता है। उन्होंने पोखरण-I (1975) और पोखरण-II (1998) के परमाणु परिक्षणों में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने पोखरण परमाणु परीक्षणों के मुख्य वास्तुकार ने 1974 में बॉम्बे से पोखरण तक प्लूटोनियम ले जाने वाले सैन्य ट्रक में यात्रा की थी।
डॉ. राजगोपाल ने शनिवार तड़के तीन बजकर 20 मिनट पर मुंबई के जसलोक अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह 88 साल के थे। डॉ. राजगोपाल का जन्म 11 नवंबर, 1936 को चेन्नई में हुआ था। वो चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज और बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान के पूर्व छात्र थे।
Dr R Chidambaram Passed Away
देश के लिए अपने योगदान के लिए साल 1975 और साल 1999 में डॉ. राजगोपाल को पद्म श्री और पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा चिदंबरम ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) के निदेशक, परमाणु ऊर्जा आयोग (एईसी) के अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के सचिव के तौर पर काम किया है। इसके अलावा वह अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष भी रहे थे।
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डॉ. राजगोपाल चिदंबरम के निधन पर आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने दु:ख जताया है। सीएम नायडू ने एक्स अकाउंट पर एक भावुक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, ‘भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग का नेतृत्व करने वाले और हथियारों के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले प्रख्यात परमाणु वैज्ञानिक राजगोपाला चिदंबरम के निधन की खबर सुनकर दुख हुआ। देश द्वारा किए गए दो परमाणु परीक्षणों में चिदंबरम की भूमिका यादगार थी। मैं उनके परिवार के सदस्यों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं और उनके प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।’
देश में परमाणु हथियार कार्यक्रम के अलावा डॉ. राजगोपाल ने भारत में सुपर कंप्यूटर के स्वदेशी विकास की पहल करने तथा राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क की संकल्पना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राष्ट्र के विकास में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के प्रबल समर्थक चिदंबरम ने ग्रामीण प्रौद्योगिकी कार्य समूह और ‘सोसाइटी फॉर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन एंड सिक्योरिटी’ जैसे कार्यक्रम स्थापित किए तथा भारत के वैज्ञानिक प्रयासों में सुसंगत तालमेल पर जोर दिया।