Omicron is Very Dangerous For India ओमिक्रॉन के केस 2 दिन में दोगुने हो रहे, भारत के लिए बढ़ा खतरा

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
Omicron is Very Dangerous For India :
कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) कहर बरसा रहा है। यह इतनी तेजी से फैल रहा है कि इसके मरीजों को ढूंढ पाना भी मुश्किल हो गया है। ओमिक्रॉन से पहली मौत ब्रिटेन में हुई है। जिसकी पुष्टि स्वयं ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने की।

Omicron: ब्रिटेन में ओमिक्रॉन से पहली मौत, भारत के आठ राज्यों में फैला

वहीं दुनिया के बाकी देशों में भी ओमिक्रॉन का फैलाव जारी है। ओमिक्रॉन का पहला केस 24 नवंबर को साउथ अफ्रीका में मिला था। उसके बाद से यह वैरिएंट 20 दिन में ही दुनिया के 60 से ज्यादा देशों में पैर पसार चुका है। वहीं कोरोना के किसी भी वैरिएंट के मुकाबले ओमिक्रॉन ज्यादा तेजी से फैलता है।

एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि ओमिक्रॉन संक्रमण के केस हर दिन दोगुने हो रहे हैं। डेल्टा के केस डबल होने में 4 दिन लग रहे थे। जिस कारण कोरोना के नए संक्रमण ओमिक्रॉन को डब्ल्यूएचओ ने डेल्टा की तुलना ज्यादा तेजी से फैलने वाला और घातक वैरिएंट बताया है।

इस लेख में हम आपको ओमिक्रॉन क्या है, इस पर वैक्सीन का असर, इस संक्रमण से कैसे बचा जाए और सावधानियों के बारे में बताएंगे।

कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन क्या है ? Omicron is Very Dangerous For India

ओमिक्रॉन कोरोना का नया वैरिएंट है जो 24 नवंबर को साउथ अफ्रीका में मिला था। जिसके बाद डब्ल्यूएचओ ने इस वैरिएंट को मैटर आफ कंसर्न घोषित किया था। कोरोना के इस वैरिएंट का नाम भी ग्रीक अल्फाबेट पर रखा गया है।

ओमिक्रॉन से पहली मौत 13 दिसंबर को ब्रिटेन में हुई है। ओमिक्रॉन में होने वाले तेज म्यूटेशन के कारण यह काफी तेजी से फैलता है। इसी वजह से दुनिया भर के वैज्ञानिक और विशेषज्ञ इस वैरिएंट को लेकर चिंतित हैं। ओमिक्रॉन में 50 से ज्यादा म्यूटेशन हो चुके है।

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बहुत तेजी से फैल रहा ओमिक्रॉन वैरिएंट

कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन कोरोना के अन्य वैरिएंट के मुकाबले काफी तेजी से फैल रहा है। यह वैरिएंट डेल्टा से भी तेजी से फैल रहा है। इससे पहले डेल्टा ही सबसे तेजी से फैल रहा था।

इस बात के संकेत कई देशों में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामलों से मिल रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार ओमिक्रॉन के केस दो या तीन दिन में डबल हो रहे हैं। जो डेल्टा (4-5) की तुलना में कम समय है।

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ओमिक्रॉन के संक्रमण के खतरे को देखते हुए कुछ रिसचर्स ने ओमिक्रॉन से संक्रमित 121 परिवारों पर रिसर्च की है। इस रिसर्च में पता चला है कि डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन से परिवार में 3.2 गुना अधिक संक्रमण फैलने का खतरा है।

पहले संक्रमित हो चुके लोगों को भी हो सकता है ओमिक्रॉन

ऐसा जरूरी नहीं है कि यदि किसी को पहले कोरोना संक्रमण हो चुका है उसे ओमिक्रॉन वैरिएंट अपनी चपेट में नहीं ले सकता। पहले संक्रमित हो चुके लोगों को भी ओमिक्रॉन से री-इन्फेक्शन का खतरा बरकरार है।

साउथ अफ्रीका और कई अन्य देशों में ऐसे कई लोगों को ओमिक्रॉन संक्रमण ने अपनी चपेट में लिया जिन्हें पहले कोविड हो चुका है। एक स्टडी में पाया गया कि कोरोना के किसी अन्य वैरिएंट के मुकाबले ओमिक्रॉन होने का खतरा पांच गुना अधिक है।

क्या ओमिक्रॉन वैरिएंट पर वैक्सीन होगी कारगर ?

ओमिक्रॉन वैरिएंट पर वैक्सीन का क्या असर है इस बारे में रिसर्च जारी है। शुरूआती स्टडी में पता चला है कि अभी ओमिक्रॉन पर वैक्सीन के असर के संबंध में जो नतीजे आए हैं उसमें पता चला है कि कोरोना वैक्सीन अन्य वैरिएंट के मुकाबले ओमिक्रॉन को रोक पाने में कम कारगर रही हैं।

हालांकि कुछ रिसर्चर्स का कहना है कि कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज लगवाने वालों में ज्यादा एटीबॉडीज पैदा हुईं, जिसने ओमिक्रॉन के खतरे को वैक्सीन की तुलना में ज्यादा कम किया। जिसके बाद दुनियाभर में बूस्टर डोज लगवाए जाने की वकालत की जा रही है।

अमेरिका, ब्रिटेन समेत दुनिया के 30 से अधिक देशों में पहले से ही बूस्टर डोज दिए जा रहे हैं। भारतीय सरकार भी 10 दिसंबर को बूस्टर डोज लगाने के कोविशील्ड के आवेदन को नकार दिया। सरकार ने सीरम इंस्टीट््यूट से ट्रायल डाटा पेश करने को कहा है।

बेशक वैक्सीन कोरोना संक्रमण के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को रोकने में न सहायक हो लेकिन विशषज्ञों का मानना है कि वैक्सीन लगवाने वाले गंभीर बीमारी से बच सकते हैं। क्योंकि वैक्सीन शरीर में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडीज पैदा करती है।

दरअसल, वैक्सीन न केवल कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज पैदा करती हैं, जिससे टी सेल की ग्रोथ बढ़ती है। यह बीमारी से लड़ने में सहायक है। हमारे शरीर में मौजूद टी सेल यह पहचानना सीखती हैं कि शरीर में मौजूद अन्य सेल कब कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं। टी सेल वायरस को नष्ट करते हैं।

ओमिक्रॉन म्यूटेशन की वजह से भले ही वैक्सीन से बनने वाली एंटीबॉडीज से बच निकले, लेकिन उसके टी सेल कोशिकाओं से बचने की आशंका काफी कम है। ऐसे में जिन लोगों ने दोनों डोज वैक्सीन लगवा ली है वह ओमिक्रॉन से होने वाले गंभीर खतरों से बचे रहेंगे।

क्या है ओमिक्रॉन का इलाज ?

वैसे तो कोरोना से लड़ने के लिए वैक्सीन का इजाद किया जा चुका है। वहीं ओमिक्रॉन के इलाज के लिए वैक्सीन और दवाओं पर रिसर्च जारी है। ब्रिटिश कंपनी ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन ने हाल ही में कहा है कि उसकी मोनोक्लोनल एंटीबॉडी ड्रग सोट्रोविमाब ओमिक्रॉन स्पाइक प्रोटीन के सभी 37 म्यूटेशन के खिलाफ कारगर रही है।

विश्व की कई कंपनियां ओमिक्रॉन से लड़ने के लिए एंटी वायरल दवाएं बना रही हैं। उम्मीद है कि जल्द ही कोई कंपनी ओमिक्रॉन से लड़ने के लिए दवाई इजाद कर सकती है।

भारत पर क्या होगा ओमिक्रॉन का असर ?

कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन ने दुनिया को खतरे में डाल दिया है। इस वैरिएंट का ज्यादा खतरा बड़ी आबादी वाले देशों को ज्यादा है। भारत के लिए भी ओमिक्रॉन बड़ा खतरा है। यह वैरिएंट भारत में तीसरी लहर ला सकता है। विशेषज्ञों ने आशंका जताई थी कि भारत में तीसरी लहर जनवरी 2022 तक आ सकती है।

New Cases Of Omicron In Delhi दिल्ली में ओमीक्रोन के 4 नए मामले

तीसरी लहर का पीक फरवरी तक आ सकता है। अप्रैल 2021 में डेल्टा की वजह से आई दूसरी लहर के दौरान भारत में डेली केसेज की संख्या 4 लाख को पार कर गई थी। भारत में 60 प्रतिशत आबादी को पहली और 40 प्रतिशत को दूसरी डोज लग चुकी है।

आने वाले महीनों में कोरोना के नए वैरिएंट का दुनिया पर क्या असर होगा उसके बारे में रिसर्च की जा रही है। 2022 में ओमिक्रॉन दुनिया भर के कई देशों के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। वहीं अगर कोरोना का यह संक्रमण माइल्ड या हल्की बीमारी भी होती तो भी यह बड़ी संख्या में लोगों को हॉस्पिटलाइजेशन में ला सकती है।

Read More : Coronavirus Omicron Treatment सोट्रोविमाब दवा ओमिक्रॉन के 37 म्यूटेशन पर कारगर: ब्रिटिश

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Harpreet Singh

Content Writer And Sub editor @indianews. Good Command on Sports Articles. Master's in Journalism. Theatre Artist. Writing is My Passion.

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