Hindi News / Indianews / On The Hc Decision Kapil Sibal Said That Only God Can Save This Country Because Such Judges Are Sitting On The Bench

'भगवान ही इस देश को बचाए…' HC के फैसले पर गुस्से से लाल हुए कपिल सिब्बल, कह दी बड़ी बात

Kapil Sibal On HC Decision : सिब्बल ने मुखर रूप से इस फैसले की निंदा करते हुए कहा कि मुझे लगता है कि इस तरह की विवादास्पद टिप्पणी करना अनुचित है, क्योंकि मौजूदा समय में न्यायाधीश जो कुछ भी कहते हैं, उससे समाज में एक संदेश जाता है।

BY: Shubham Srivastava • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Kapil Sibal On HC Decision : इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरफ से यौन अपराध से जुड़े एक मामले में की गई टिप्पणी के बाद मामला काफी गर्मा गया है। हाईकोर्ट की तरफ से मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा गया है कि किसी लड़की के निजी अंग को पकड़ना और उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना दुष्कर्म या दुष्कर्म के प्रयास का मामला नहीं माना जा सकता। पीठ की तरफ से किए गए फैसले की कानून विशेषज्ञों ने निंदा की है।

इस फैसलों को लेकर सीनियर एडवोकेट और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने मुखर रूप से इस फैसले की निंदा की है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि, भगवान ही इस देश को बचाए, क्योंकि पीठ में इस तरह के न्यायाधीश विराजमान हैं! सुप्रीम कोर्ट गलती करने वाले जजों से निपटने के मामले में बहुत नरम रहा है।

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Kapil Sibal On HC Decision : HC के फैसले पर गुस्से से लाल हुए कपिल सिब्बल

उन्होंने आगे कहा कि जजों, खासकर हाईकोर्ट के जजों को ऐसी टिप्पणियां करने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे समाज में गलत संदेश जाएगा और लोगों का न्यायपालिका पर से भरोसा उठ जाएगा।

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‘लोगों का न्यायपालिका पर से भरोसा उठ जाएगा’

कपिल सिब्बल ने कहा, मुझे लगता है कि इस तरह की विवादास्पद टिप्पणी करना अनुचित है, क्योंकि मौजूदा समय में न्यायाधीश जो कुछ भी कहते हैं, उससे समाज में एक संदेश जाता है। अगर न्यायाधीश, खासतौर पर हाईकोर्ट के जज, इस तरह की टिप्पणियां करते हैं, तो इससे समाज में गलत संदेश जाएगा और लोगों का न्यायपालिका पर से भरोसा उठ जाएगा।

कानून विशेषज्ञों ने जजों से संयम बरतने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इस तरह की टिप्पणियों से ज्यूडिशियरी में लोगों का भरोसा कम होता है। सीनियर एडवोकेट और पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता पिंकी आनंद ने कहा कि मौजूदा दौर में, खासतौर पर सतीश बनाम महाराष्ट्र राज्य जैसे मामलों के बाद, इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले ने बलात्कार के प्रयास जैसे जघन्य अपराध को कमतर करके आंका है, जो न्याय का उपहास है।

क्या है मामला?

मामला उत्तर प्रदेश के कासगंज की 11 वर्षीय लड़की से जुड़ा है, जिस पर 2021 में दो लोगों ने हमला किया था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने फैसला सुनाया कि केवल निजी अंगों को पकड़ना और पायजामा का नाड़ा तोड़ना बलात्कार के अपराध की श्रेणी में नहीं आता है, बल्कि ऐसा अपराध किसी महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करने के बराबर है।

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