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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली: जैसे-जैसे गर्मी अपनी रफ्तार पकड़ रही। वैसे- वैसे देश में कई राज्यों की जनता को बिजली किल्लत से जूझना पड़ रहा है। इस कारण अप्रैल में बिजली की मांग बढ़ गई, इसी के साथ कोयले की खपत बढ़ गई है।
ऐसे में देश के एक चौथाई पावर प्लांट भी बंद हो चुके हैं। कोयले की इस बढ़ी हुई जरूरत को पूरा करने के लिए रेलवे पर ढुलाई का दबाव बढ़ गया है। इस बीच रेल मंत्रालय ने निर्णय लेते हुए 24 मई तक 16 मेल/ एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनों को रद्द कर (यात्री ट्रेनों के करीब 670 फेरों को रद्द करने की अधिसूचना जारी की) दिया है।
आपको बता दें कि अभी अप्रैल से ही देश के लगभग 16 राज्यों में 10 घंटे तक बिजली कटौती शुरू हो गई है। देशभर में 10 हजार मेगावॉट यानी 15 करोड़ यूनिट की कटौती हो रही है। भारतीय रेलवे कार्यकारी निदेशक गौरव कृष्ण बंसल अनुसार पैसेंजर ट्रेनों को रद्द करने का निर्णय अस्थायी लिया गया है। कहा जा रहा है कि स्थिति सामान्य होते सेवाएं वापस से शुरू हो जाएंगी। बता दें रेलवे अपने बेड़े में एक लाख और वैगन जोड़ने जा रहा है। वहीं रेलवे माल को तेजी से पहुंचाने के लिए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर भी बनाने की तैयारी कर रहा है।
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देश की राजधानी दिल्ली में बिजली कटौती का असर देखने को मिल रहा है। कोयले की कमी के चलते दिल्ली सरकार ने मेट्रो और अस्पतालों समेत कई आवश्यक संस्थानों को 24 घंटे बिजली देने में असमर्थता जताई है। बीते कल दिल्ली के बिजली मंत्री ने स्थिति का आकलन करने के लिए बैठक की थी, जिसमें केंद्र को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि वह राष्ट्रीय राजधानी को बिजली की आपूर्ति करने वाले बिजली संयंत्रों को पर्याप्त कोयले की उपलब्धता सुनिश्चित करें।
वहीं उत्तर प्रदेश में ही 3 हजार मेगावॉट से ज्यादा की कमी है। वहां 23 हजार मेगावॉट बिजली की डिमांड है, जबकि सप्लाई 20 हजार मेगावॉट है। बिजली कटौती का मुख्य कारण देश के एक चौथाई बिजली प्लांट्स का बंद होना है। इनमें से 50 फीसदी प्लांट कोयले की कमी के चलते बंद हैं।
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बताया जा रहा है दादरी-2 और ऊंचाहार बिजली स्टेशनों से बिजली आपूर्ति बाधित हो सकती है। वर्तमान में दिल्ली में बिजली की 25-30 फीसदी मांग इन बिजली स्टेशनों से पूरी हो रही है। इन स्टेशनों में पिछले कुछ दिनों से कोयले की कमी है। ऐसे में समस्या कभी भी गहरा सकती है।
महाराष्ट्र में तीन हजार मेगावॉट बिजली की कमी है। यहां भी गांवों में ज्यादा कटौती हो रही है। शहरों में 2 घंटे तक बिजली ठप हो रही है।
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पंजाब में बिजली की मांग आठ हजार मेगावॉट पहुंच चुकी है। बिजली आपूर्ति 300 मेगावाट कम है। यहां दो घंटे से ज्यादा बिजली कटौती हो रही है।
राजस्थान: राज्य में गर्मी बढ़ने से बिजली की मांग 31 फीसदी बढ़ी है। इस कारण यहां पर पांच से सात घंटे बिजली कट लग रहे हैं।
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उत्तर प्रदेश: यहां पर गांवों में दिनभर में चार से छह घंटे बिजली मिल रही है। दरअसल शहरों में चार-चार घंटे के बिजली कट लग रहे हैं।
बिहार: शहरों में दो-दो घंटे और गांवों में 10-10 घंटे के बिजली कट लग रहे हैं।
पावर सेक्टर के विशेषज्ञ देश में बिजली उत्पादन की मौजूदा क्षमता 3.99 लाख मेगावॉट है। इसमें 1.10 लाख मेगावॉट रिन्यूएबल एनर्जी (सोलर-विंड) की हिस्सेदारी है। बाकी बचे 2.89 लाख मेगावॉट में से 72,074 मेगावाट क्षमता के प्लांट बंद हैं। इनमें से 38,826 मेगावॉट क्षमता के प्लांट्स में उत्पादन हो सकता है, लेकिन ईंधन उपलब्ध नहीं है। 9,745 मेगावॉट क्षमता के प्लांट्स में शेड्यूल्ड शटडाउन है। 23,503 मेगावॉट क्षमता के प्लांट अन्य कारणों से बंद पड़े हैं।
देश के कुल 173 पावर प्लांट्स में से 106 प्लांट्स में कोयला शून्य से लेकर 25 फीसदी के बीच ही है। दरअसल कोयला प्लांट बिजली उत्पादन को कोयले के स्टॉक के मुताबिक शेड्यूल करते हैं। स्टॉक पूरा हो तो उत्पादन भी पूरा होता है।
ऊर्जा मंत्रालय मुताबिक देश के 18 पिटहेट प्लांट यानी ऐसे बिजलीघर, जो कोयला खदानों के मुहाने पर ही हैं, उनमें तय मानक का 78 फीसदी कोयला है। जबकि दूर दराज के 147 बिजलीघर (नॉन-पिटहेट प्लांट) में मानक का औसतन 25 फीसदी कोयला उपलब्ध है। यदि इन बिजलीघरों के पास कोयला स्टॉक तय मानक मुताबिक 100 फीसदी होता तो पिटहेट प्लांट 17 दिन और नॉन-पिटहेट प्लांट्स 26 दिन चल सकते हैं।
इस मामले में सीसीएल के प्रबंध निदेशक ने बताया कि प्लांट्स को रोज 2.2 लाख टन कोयला दिया जाएगा। वहीं केंद्रीय कोयला और खनन मंत्री का कहना है कि देशभर के थर्मल प्लांट्स के पास 2.20 करोड़ टन कोयला है, जो 10 दिन के लिए काफी है। ऐसे में उन्हें पूरी क्षमता के साथ उत्पादन करना चाहिए।
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