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One Rank One Pension Supreme court Order: भारत के मुख्य न्यायादीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। उन्होंने ओआरओपी बकाया मामले में केंद्र द्वारा प्रस्तुत सीलबंद कवर को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। सीजेआई ने कहा “मैं व्यक्तिगत रूप से सीलबंद लिफाफों के खिलाफ हूं। अदालत में पारदर्शिता होनी चाहिए। यह आदेशों को लागू करने के बारे में है। यहां गोपनीयता क्या हो सकती है?”
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अटॉर्नी जनरल से कहा, “हम सीलबंद कवर प्रथा को खत्म करना चाहते हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट इसका पालन करता है, तो उच्च न्यायालय भी इसका पालन करेंगे।” सीजेआई ने एजी को वरिष्ठ अधिवक्ता हुज़ेफा अहमदी (जो पूर्व सैनिकों के लिए पेश हो रहे हैं) के साथ नोट साझा करने के लिए कहा।
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने एजी को कहा “सीलबंद कवर पूरी तरह से स्थापित न्यायिक सिद्धांतों के खिलाफ हैं और इसका सहारा तभी लिया जा सकता है जब यह किसी स्रोत या किसी के जीवन को खतरे में डालने के बारे में हो। केंद्र सरकार ओआरओपी योजना के संदर्भ में इस अदालत के फैसले का पालन करने के लिए बाध्य है।”
1. पारिवारिक पेंशनरों और वीरता चक्र विजेताओं को ओआरओपी देय राशि का भुगतान एक किस्त में किया जाएगा।
2. 70 वर्ष या उससे अधिक आयु के पेंशनभोगियों को ओआरओपी बकाया का भुगतान 30 जून 2023 को या उससे पहले किया जाएगा।
3. केंद्र सरकार या तो एक किश्त में बकाया राशि का भुगतान करेगी या 30 जून की सीमा तक किश्तों में करने के लिए स्वतंत्र है।
4. पेंशनभोगियों के शेष बकाया राशि के एरियर का भुगतान 30 अगस्त 2023, 30 नवंबर 2023 और 28 फरवरी 2024 को या उससे पहले समान किश्तों में किया जाएगा।
इस मामले में मार्च 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था जिसमें शीर्ष अदालत ने 7 नवंबर, 2015 की अधिसूचना के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई ओआरओपी योजना को बरकरार रखा था। हालांकि उस फैसले में कहा था कि 7 नवंबर, 2015 की अधिसूचना के अनुसार ओआरओपी नीति में बताए गए सैन्य कर्मियों को पेंशन का भुगतान 5 साल की अवधि में किया जाना चाहिए।
उस वक्त कोर्ट ने कहा था कि तीन महीने के भीतर बकाया भुगतान किया जाए। इसके बाद, सितंबर 2022 में इसे और 3 महीने के लिए बढ़ा दिया गया और जनवरी 2023 में कोर्ट ने एक और एक्सटेंशन दिया और निर्देश दिया कि भुगतान 15 मार्च 2023 तक किया जाए। हालांकि इसके बाद केंद्र ने सूचना जारी की थी कि भुगतान चार किश्तों में तिमाही आधार पर किया जाएगा। प्रभावित कर्मियों ने तब शीर्ष अदालत का रुख किया और मांग की कि सरकार शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित समय सीमा को एकतरफा नहीं बदल सकती है। इसी मांग पर कोर्ट सुनवाई कर रहीं थी।
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