इंडिया न्यूज Pakistan Power Crisis
हाल ही में पाकिस्तान सरकार ने देश में बिजली किल्लत को देखते हुए एक निर्णय लिया। इसमें पाक के इस्लामाबाद में बीते आठ जून से रात 10 बजे के बाद शादियों पर रोक, रात 8.30 बजे के बाद सभी मार्केट को बंद करने का आदेश, ऑफिस वर्किंग डे सप्ताह में 6 दिन से घटाकर 5 दिन कर दिया गया है। अब सवाल ये उठता है कि आखिर पाक सरकार ने इस तरह के निर्णय क्यों लिया। इसके पीछे की वजह क्या है। आइए जानते हैं।
बिजली किल्लत की वजह क्या?
- पाकिस्तान में बिजली संकट की मुख्य वजह आर्थिक बदहाली है। दरअसल, पाकिस्तान के ज्यादातर पॉवर प्लांट में तेल के जरिए बिजली पैदा की जाती है। इन पॉवर प्लांट में इस्तेमाल होने वाले तेल को विदेश से आयात किया जाता है।
- यूके्रन युद्ध के बाद दुनिया भर में तेल की कीमत में दोगुने से ज्यादा की बढ़ौतरी हुई है। इस समय डॉलर की तुलना में पाकिस्तानी रुपया 202 रुपए प्रति डॉलर तक पहुंच गया है। ऐसे में सरकार तेल का आयात कम से कम करना चाहती है। पीएम शहवाज शरीफ ने खुद ये बात कही है कि पाकिस्तान सरकार के खजाने में इतना पैसा नहीं है कि हम तेल और गैस दूसरे देशों से खरीद सकें। ब्लूमबर्ग रिपोर्ट के मुताबिक इन्हीं वजहों से अगस्त 2021 की तुलना में जून 2022 में पाकिस्तान में तेल के आयात में 50 फीसदी तक की कमी आई है।
बीते दिनों पाक सरकार ने क्या नोटिफिकेशन जारी किया?
बताया जा रहा है कि बीते 6 जून को पाक सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी किया था। इसमें सरकार ने कहा है कि 30 जून तक देश में हर रोज 3.5 घंटे बिजली कटौती की जाएगी। 30 जून के बाद बिजली कटौती 3.5 घंटे से घटाकर 2 घंटे करने की बात कही गई। वहीं पाक सरकार ने इसके पीछे तर्क दिया है कि देश में 22 हजार मेगावट बिजली का उत्पादन हो रहा है जबकि जरूरत 26 हजार मेगावट की है।
ऐसे में पाक में 4 हजार मेगावाट बिजली की कमी है। हाल के दिनों में पाक में बिजली की कमी बढ़कर 7800 मेगावट तक पहुंच गई है। वहीं बीते 7 जून को पाक के कराची शहर में 15 घंटे बिजली गुल रही जबकि लाहौर में इसी दिन 12 घंटे कटौती हुई। इससे पाकिस्तान में बिजली संकट से पैदा हुए हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है।
बिजली कटौती कम के लिए पाक ने क्या फैसले लिए?
- बताया जा रहा है कि बीते दिनों पाक के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बिजली संकट पर इमरजेंसी बैठक बुलाई थी, जिसमें डिमांड और सप्लाई गैप को कम करने के लिए पाकिस्तान सरकार ने 5 फैसले लिए थे। जो इस प्रकार हैं।
- शाम साढ़े 8 बजे तक मार्केट को बंद करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है।
- इस्लामाबाद में रात 10 बजे के बाद शादी समारोह के आयोजन पर रोक लगा दी गई है।
- सप्ताह में काम के दिनों की संख्या 6 से घटाकर 5 कर दी है। इसके पीछे प्रोडक्टिविटी बढ़ाने का तर्क दिया गया है, लेकिन असली वजह बिजली की मांग को कम करना है।
- सरकार ने बीते शुक्रवार को सरकारी कर्मचारियों के लिए घर से काम करने को अनिवार्य कर दिया है।
- सरकारी कर्मियों के गाड़ी खरीदने पर रोक लगाने के साथ ही सरकारी दफ्तरों में तेल सप्लाई में 40 फीसदी कटौती कर दी है।
पाक सरकार के खजाने में कितना रुपया बचा है?
आर्थिक तंगी झेल रहा पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार इस माह गिरकर 10.1 अरब डॉलर रह गया है। इतने कम विदेशी मुद्रा भंडार का मतलब है कि पाकिस्तान के पास पेट्रोल-डीजल समेत जरूरी चीजों के आयात के लिए केवल दो महीने का ही पैसा बचा है। 6 मई को समाप्त सप्ताह में ये पाक का विदेशी मुद्रा भंडार 16.4 अरब डॉलर था, जोकि दिसंबर 2019 के बाद से सबसे कम विदेशी मुद्रा भंडार है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार अक्टूबर 2016 में सबसे अधिक 19.9 अरब डॉलर और जनवरी 1972 में सबसे कम 96 मिलियन डॉलर रहा था।
जनता पर क्या पड़ेगा आर्थिक तंगी का असर?
- पाकिस्तान में सरकारी खजाना खाली होने की वजह से आम लोगों को सिर्फ बिजली संकट की समस्या का नहीं बल्कि महंगाई का सामना करना पड़ रहा है। पाक में गैस की कीमत में 44 फीसदी से 45 फीसदी की बढ़ौतरी हुई है। यही नहीं पाकिस्तान में बिजली की कीमत में भी प्रति यूनिट 4.8 रुपए की बढ़ौतरी हुई है। आईएमएफ ने 2019 में पाकिस्तान सरकार को 46 हजार करोड़ रुपए कर्ज देने का वादा किया था।
- इसके तहत 26 मई को आईएमएफ ने पाकिस्तान को 7 हजार करोड़ रुपए देने की बात कही थी, लेकिन साथ ही बिजली और तेल पर दी जाने वाली सब्सिडी को खत्म करने की मांग की थी। ऐसे में आईएमएफ के दबाव में तेल और बिजली की कीमत में बढ़ौतरी की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में साफ है कि जरूरी सामानों की कीमतें बढ़ने से आम लोगों के जीवन पर सीधा असर पड़ने वाला है।
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