Delhi Excise Policy: आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से CBI ने बीते दिन रविवार को करीब साढे आठ घंटे तक पूछताछ की। कई विपक्षी दलों ने पूछताछ से पहले सीएम केजरीवाल के साथ एकजुटता प्रदर्शित की थी। हालांकि मुख्यमंत्री केजरीवाल को लेकर कांग्रेस पार्टी के दो अलग-अलग सुर नजर आए। जहां कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केजरीवाल को फोन करके एकजुटता दिखाई थी। तो वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने उन्हें लेकर कहा, “केजरीवाल जैसे लोगों और उनके साथियों को किसी भी तरह की सहानुभूति या समर्थन नहीं दिया जाना चाहिए।”
कांग्रेस नेता अजय माकन ने एक ट्वीट कर कहा, “मेरा मानना है कि केजरीवाल जैसे लोगों और उनके साथियों को, जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। किसी तरह की सहानुभूति या समर्थन नहीं दिया जाना चाहिए। लिकरगेट और घीगेट के आरोपों की गहन जांच होनी चाहिए और दोषी पाए जाने वालों को सजा मिलनी चाहिए।” उन्होंने लिखा, “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सहित सभी राजनीतिक नेताओं के लिए यह पहचानना जरूरी है कि केजरीवाल ने भ्रष्ट तरीकों से अर्जित धन का पंजाब, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली सहित कई राज्यों में कांग्रेस के खिलाफ इस्तेमाल किया है।”
Delhi Excise Policy
अजय माकन ने कहा, “अन्ना हजारे आंदोलन के बाद केजरीवाल ने 2013 में भ्रष्टाचार से लड़ने के उद्देश्य से आम आदमी पार्टी की स्थापना की थी। जिसने लोकपाल विधेयक को लागू करने का वादा किया था। जिसे विपक्षी दलों ने भ्रष्टाचार के समाधान के रूप में देखा था। हालांकि, केजरीवाल ने सत्ता में आने के 40 दिन बाद फरवरी 2014 में एक मजबूत लोकपाल बिल की मांग करते हुए अपनी ही सरकार को भंग कर दिया। इसके बावजूद, दिसंबर 2015 में केजरीवाल ने लोकपाल विधेयक का कमजोर संस्करण पेश किया। जो कि 2014 में प्रस्तावित मूल विधेयक से बहुत अलग था।”
माकन ने कहा, “इससे केजरीवाल के असली चरित्र और मंशा का पता चलता है। मूल विधेयक, जिसने केजरीवाल की 40 दिन की सरकार को भंग करने का आधार बनाया था। अभी तक लागू नहीं किया गया है। 2015 के बाद से, केजरीवाल और उनकी पार्टी एक मजबूत लोकपाल विधेयक को आगे बढ़ाने में विफल रही है। इसके बजाय, वे केवल अधिक शक्ति की मांग के लिए अपने विरोध प्रदर्शन, मार्च और आरोप-प्रत्यारोप के लिए जाने जाते हैं।”
इसके साथ ही उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ताओं तथा वरिष्ठ संचालन समिति के सदस्यों से ये अपील की है कि वे कोर्ट में अरविंद केजरीवाल या फिर उनकी सरकार का प्रतिनिधित्व करने से बचें।
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