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दिल्ली जी G-20 शिखर सम्मेलन में चीन को झटका, सऊदी और अमेरीकी की मदद से शुरु होगा इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप कॉरिडोर

Mudit Goswami • LAST UPDATED : September 11, 2023, 4:11 pm IST

India News (इंडिया न्यूज), IMEEEC: दिल्ली जी G-20 शिखर सम्मेलन 2023 भारत के लिए खास रहा है। इस सम्मेलन में सयुक्त घोषणा पत्र पारित होने के बाद विश्व भर में भारत की नेतृत्व करने वाली छवी प्रस्तुत हुई है। हालांकि रुस-युक्रेन युद्ध और चीन की नाराजगी से कयास लगाएं जा रहें थे कि भारत के लिए घोषणा पत्र पारित करना चुनौती भरा साबित हो सकता है। इसी बीच रविवार (10 सिंतबर) को जी 20 सम्मेलन में सऊदी अरब के किंग मोहम्मद बिन सलमान, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक तस्वीर भारत के लिए एक और बड़ी सफलता का संकेत बनकर सामने आई है।

दरअसल, भारत ने जी-20 सम्मेलन में कई उपलब्धियों के साथ एक और खास उपलब्धि हासिल की और भारत, मध्य पूर्व और यूरोप के एक मेगा इकनॉमिक कॉरिडोर (India Middle East Europe Economic Corridor) का ऐलान कर दिया। वहीं,दावा किया जा रहा है कि भारत की इस कामयाबी के पीछे अमेरिका और सऊदी अरब का विशेष हाथ रहा है।

भारत के लिए है बहुत अहम

मीडिल ईस्ट में बनने वाला ये इकनॉमिक कॉरिडोर भारत के लिए कई मायनों में अहम साबित होगा। पीएम मोदी ने इस कॉरिडोर की घोषणा खुद की। इस परियोजना में भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, यूरोपीय संघ, फ्रांस, इटली, जर्मनी और अमेरिका जैसे देश शामिल हैं। गौरतलब है कि यह परियोजना मीडिस ईस्ट कंट्रियों के बीच रेल और शिपिंग कॉरिडोर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रचर इनवेस्टमेंट (PGII) के लिए साझेदारी का हिस्सा है। इस मेगा इकनॉमिक कॉरिडोर से भारत के अलावा पश्चिम एशिया और यूरोप तक व्यापार के मार्ग को बड़ी मजबूती मिलेगी। इसके अलावा भारत के लिए लॉजिस्टिक्स और परिवहन क्षेत्र में भी बड़े अवसर पैदा करेंगा।

चीन को लेगा बड़ा झटका

वहीं जानकारों की माने तो, इस कॉरिडोर की निर्माण से चीन को बड़ा झटका लग सकता है। ये परियोजना ग्लोबल बिजनेस को पूरी तरह ओपन करने के लिए गेमचेंजर साबित होगा। साथ ही ये मीडिल ईस्ट देशों के लिए चीन के निवेश का बड़ा विकल्प बनेगी। जिसके बाद दावा किया जा रहा है कि इस घोषणा के बाद चीन का होश उड़ गया है। चीन के इस झटके के पीछे भारत और अमेरिका का हाथ बाताया जा रहा है। जानकारों की माने तो इन दोनों देशों ने मिलकर चीन के BRI प्रोजेक्ट का विकल्प तैयार किया और उसे दुनिया के सामने पेश भी कर दिया है।

भारत को क्या होगा फायदा

भारत के लिए ये परियोजना भारत, मिडिल ईस्ट और यूरोप के बीच व्यापार को बढ़ावा देना वाला रहेगा। इसके अलावा ग्लोबल बिजनेस में लगभग एक तिहाई हिस्सीदारी रखने वाले क्षेत्रों को जोड़ने के लिए आधुनिक रुट होगा, जिसका भारत को खुला फायदा होगा। जानकारी के अनुसार, इस परियोजना में रेल, बिजली और हाइड्रोजन पाइपलाइन परियोजनाएं भी शामिल रहेंगी। इस परियोजना के तहत UAE और सऊदी अरब समेत पूरे मिडिल ईस्ट में रेलवे और बंदरगाह सुविधाओं को जोड़ी जाएंगी। इसके साथ ही भारत और यूरोप को बीच व्यापार में 40 प्रतिशत की तेजी आएगी।

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