गोपेंद्र नाथ भट्ट, New Delhi/Udaipur news। आदिवासियों का प्रयागराज माना जाने वाला दक्षिणी राजस्थान के डूंगरपुर जिले में सोममाही और लुप्त जाखम नदियों के त्रिवेणी संगम पर स्थित बेणेश्वर धाम पिछलें कुछ वर्षों से राजनेताओं की पसंद का प्रमुख केन्द्र बनता जा रहा है। पिछलें वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की सभाएं यहां हो चुकी हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी एक बार फिर 16 मई को डूंगरपुर जिले में स्थित बेणेश्वर धाम में एक विशाल रैली को संबोधित करने जा रही है। झीलों की नगरी उदयपुर में तेरह से पंद्रह मई तक आयोजित किए जा रहे कांग्रेस के तीन दिवसीय चिंतन शिविर के बाद यह रैली होगी।
रैली में सोनिया गांधी के साथ राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी आदिवासियों के इस विख्यात तीर्थस्थल बेणेश्वर धाम जाएंगे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 16 मई को बेणेश्वर धाम में 132 करोड़ की लागत से बननेवाली पुलिया का शिलान्यास सोनिया गांधी के हाथों से करवाएंगे। इसके बाद एक जनसभा होगी। जिसमें 5 लाख लोगों की भीड़ जुटने का दावा किया जा रहा है।
आदिवासियों के कुम्भ के रूप में विख्यात बेणेश्वर में सोनिया गांधी की रैली का सियासी संदेश बहुत गहरा है, क्योंकि इस साल के अंत में गुजरात और फिर अगले साल राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं।
इन तीनों प्रदेशों के आदिवासियों की तीर्थस्थल बेणेश्वर धाम में गहरी आस्था हैं। सोनिया गांधी की रैली को आदिवासी बैल्ट के वोट बैंक तक एक बड़ा सन्देश देना माना जा रहाहै।
गुजरात में 27, राजस्थान में 25, मध्य प्रदेश में 45 और छत्तीसगढ़ के विधानसभा में 27 आदिवासी सीटें आरक्षित हैं। इन इलाकों में पिछलें वर्षों में भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) का प्रभाव बढ़ने से राजनीतिक समीकरण बिगड़े हुए हैं।
राजस्थान कांग्रेस की बेणेश्वर धाम में सोनिया गांधी रैली कराने की पीछे आदिवासी वोट बैंक को साधने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है। राजस्थान मध्य प्रदेश और गुजरात की आदिवासी सीटों को साधने के लिए लिए ही सोनिया गांधी की बेणेश्वर धाम में रैली होने जा रही है।
राजस्थान कांग्रेस ने रैली में 5 लाख भीड़ जुटाने का लक्ष्य रखा है। इससे पहले जयपुर में कांग्रेस की महंगाई हटाओ रैली हुई थी। जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत बड़े नेताओं ने भाग लिया था।
बेणेश्वर धाम में जनसभा कर राजस्थान और गुजरात की 55 आदिवासी सीटों पर पार्टी का फोकस है। राजस्थान और मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव 2023 के अंत होने है जबकि गुजरात में इस साल के अंत में चुनाव होने होने जा रहे हैं।
विकास कार्यों से दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी वोटरों को साधने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बेणेश्वर धाम में 132 करोड़ की लागत से बनने वाली पुलिया का शिलान्यास सोनिया गांधी के हाथों से करवा रहे हैं।
हाई लेवल इस ब्रिज को बनवाने का प्रमुख कारण प्रति वर्ष माघ पूर्णिमा को आयोजित होने वालेबेणेश्वर धाम के वार्षिक मेले और मानसून में श्रद्धालु को आने-जाने में काफी परेशानियों को दूर करना भी है क्योंकि हल्की बरसात से भी बेणेश्वर धाम टापू में तब्दील हो जाता है।
यह बने हुए तीनों पुल साबला, बांसवाड़ा और वालाई पर पानी आ जाने से आवाजाही बंद हो जाती है। इन तीनों ही पुलियों की ऊंचाई बढ़ानेके लिए लंबे समय से मांग हो रही थी। यह मांग गहलोत सरकार अब पूरी करने जा रही है।
132 करोड़ की लागत से बनने वाले बेणेश्वर धाम की पुलिया की ऊंचाई को बढ़ाकर हाई लेवल पुल बनाया जाएगा। इससे बारिश के समय इन पुलियों पर पानी नहीं आएगा और मंदिर तक आने-जाने में भक्तों को परेशानी नहीं होगी। साथ ही उदयपुर डूंगरपुर और बांसवाड़ा का मार्ग भी सीधा और सुगम हो जाएगा।
बेणेश्वर धाम ऐतिहासिक डूंगरपुर शहर से 80 किलोमीटर और उदयपुर संभाग के मुख्यालय से 180 किलोमीटर दूर सोम, माही और जाखम नदियों के त्रिवेणी संगम टापू पर बना हुआ है। मान्यता है कि हजारों साल पहले भविष्यवेत्ता संत मावजी महाराज ने इसी धाम पर तपस्या करते हुए आदिवासियों और वागड़ में धर्म की स्थापना की थी।
पुराणों में बेणेश्वर धाम का उल्लेख हैं। बताया जाता है कि भगवान वामन ने राजा बलि सेलिए वचन अनुसार तीन डग में से यहां पहला कदम रखा था। माना जाता है कि यहां का आबू दर्रा कई रहस्य समेटे हुए है।
हाल ही में यहां एक दुर्लभ प्रतिमा भी मिली है। स्थानीय मान्यताओं के मुताबिक आबू दर्रा राजाबलि की यज्ञ भूमि है। बेणेश्वर धाम के साथ कई मान्यताएं भी जुड़ी है। जहां संत मावजी महाराज ने योगसाधना की थी।
संत मावजी ने 300 साल पहले यह भविष्यवाणी कर दी थी कि गेहूं और चावल राशन से मिलेंगे, लोहे के तारों पर बिजली दोड़ेगी तथा पानी भी बिकेगा।
यहां हर वर्ष माघ पूर्णिमा पर मेला लगता है। इसमें राजस्थान मध्य प्रदेश और गुजरात प्रदेशों के लाखों भक्त इसमें शामिल होते है। यह आदिवासियों कोकुंभ के नाम से जाना जाता है।
त्रिवेणी संगम पर अस्थि विसर्जन की परंपरा रही है। यहां अस्थि पूजन कार्य मेंमहिलायें भी शामिल होती है। बेणेश्वर धाम पर तीनों देवों ब्रह्मा विष्णु महेश के मंदिर हैं। यह तीर्थ स्थल तीन नदियों के संगम स्थल होने के साथ ही दक्षिणी राजस्थान के तीन जिलों डूंगरपुर बांसवाड़ा और उदयपुर और सीमावर्ती तीन प्रदेशों के लोगों का आराध्य स्थल हैं।
राजस्थान कांग्रेस की बेणेश्वर धाम में सोनिया गांधी रैली कराने की पीछे आदिवासी वोट बैंक को साधने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है। राजस्थान और गुजरात की आदिवासी सीटों को साधने के लिए लिए ही सोनिया गांधी की बेणेश्वर धाम में रैली होने जा रही है।
राजस्थान कांग्रेस ने रैली में 5 लाख भीड़ जुटाने कादावा किया है। इससे पहले जयपुर में कांग्रेस की महंगाई हटाओ रैली हुई थी। जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत बड़े नेताओं ने भाग लिया था।
बेणेश्वर धाम में जनसभा कर राजस्थान और गुजरात की 55 आदिवासी सीटों पर पार्टी का फोकस है। राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 के अंत होने है। जबकि गुजरात में इस साल के अंत में चुनाव होने जा रहे हैं।
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