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सुप्रीम कोर्ट के संविधान दिवस पर राष्ट्रापति द्रौपदी मुर्मू ने हिंदी में किया संबोधन, नारी शक्ति पर कहीं ये बड़ी बात

President Draupadi Murmu Constitution Day speech: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मंगलवार को आयोजित संविधान दिवस (Constitution Day) समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने हिंदी में संबोधन किया. इस दौरान उन्होंने महिला शक्ति को लेकर बड़ा बयान दिया साथ ही, भारत के 53वें चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने भी देश के संविधान को लेकर संबोधन दिया. इस अवसर पर भूटान, श्रीलंका, केन्या, मॉरिशस और मलेशिया के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस भी इस सेरेमनी में शामिल हुए साथ ही क़ानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल हुए.

राष्ट्रापति द्रौपदी मुर्मू ने किया संबोधन

संविधान दिवस समारोह को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि आज ही के दिन, 26 नवंबर, 1949 को, संविधान सभा के सदस्यों ने भारतीय संविधान का ड्राफ्टिंग पूरा किया था. आज ही के दिन, हम भारत के लोगों ने अपना संविधान अपनाया था. आज़ादी के बाद, संविधान सभा ने भारत की अंतरिम संसद के तौर पर भी काम किया. बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर हमारे संविधान के मुख्य आर्किटेक्ट में से एक थे. 2015 को, बाबासाहेब की 125वीं जयंती के साल, यह निर्णय लिया गया कि 26 नवंबर को हर साल संविधान दिवस मनाया जाएगा. यह फैसला बहुत अहम था.
बाबासाहेब अंबेडकर ने न सिर्फ़ ज़रूरतमंदों की भलाई के लिए काम किया, बल्कि पूरे देश के स्ट्रक्चर और डेवलपमेंट के लिए भी काम किया. कॉन्स्टिट्यूएंट असेंबली में उनके गहरे भाषण उनके बड़े योगदान को साफ़ तौर पर दिखाते हैं.

संविधान ने महिलाओं की ताकत को भी मज़बूत किया- राष्ट्रापति मुर्मू

संविधान बनाने वालों को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए सबसे महान संविधान बनाया, संविधान एक जीवंत लोकतंत्र का जीता-जागता डॉक्यूमेंट है. संविधान ने महिलाओं की ताकत को भी मज़बूत किया. आज भी हम पीछे हैं, हमें आगे बढ़ना होगा. एग्जीक्यूटिव, लेजिस्लेचर और ज्यूडिशियरी में महिलाओं की संख्या बढ़ाने के अलावा, हमें अपनी सोच भी बदलनी होगी. लोगों की सोच बदलने के लिए, हमें पहले अपनी सोच बदलनी होगी. उन्होंने संविधान सभा के एक सदस्य का भी ज़िक्र किया जो महादलित समुदाय से थे.

चीफ जस्टिस सूर्यकांत का संबोधन

भूटान, श्रीलंका, केन्या, मॉरिशस और मलेशिया के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस भी इस सेरेमनी में शामिल हुए. इस दौरान CJI सूर्यकांत ने भी अपने संबोधन में कहा कि संविधान ने भारत को एक नए देश से ग्लोबल इकॉनमी में एक कॉम्पिटिटिव देश में बदल दिया. 76 सालों से, संविधान देश के लिए एक स्थिर करने वाली ताकत रहा है जिससे “न रुकने वाला बदलाव” और “न रुकने वाला विकास” पक्का होता है. ज्यूडिशियरी ने हमेशा बदलते हालात के हिसाब से संविधान का मतलब निकाला है, जिससे वह मज़बूत और रेलिवेंट बना रहा है. ज्यूडिशियरी हमेशा संविधान की “सतर्क रखवाली करने वाली” रही है, जो इसके मूल्यों और मकसद की रक्षा करती है.

shristi S

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