वो 5 वजहें जिनके चलते बीजेपी के लिए बहुत खास है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दाहोद रैली Prime Minister Narendra Modi's Dahod Rally - India News
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वो 5 वजहें जिनके चलते बीजेपी के लिए बहुत खास है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दाहोद रैली Prime Minister Narendra Modi's Dahod Rally

Bharat Kumar Mishra • LAST UPDATED : April 20, 2022, 9:53 am IST
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वो 5 वजहें जिनके चलते बीजेपी के लिए बहुत खास है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दाहोद रैली Prime Minister Narendra Modi's Dahod Rally

Prime Minister Narendra Modi’s Dahod Rally

इंडिया न्यूज़, अहमदाबाद।
Prime Minister Narendra Modi’s Dahod Rally : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) गुजरात के दौरे पर हैं और बुधवार को मध्य गुजरात में आदिवासी समुदाय के बीच होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) आदिवासी इलाके के विकास और आदिवासी समुदाय के लोगों के रोजगार को लेकर कई योजनाएं लॉन्च करेंगे। इसी दौरान पीएम मोदी दाहोद में आदिवासी रैली को भी संबोधित करेंगे। गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Elections) के लिहाज से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की दाहोद रैली को काफी अहम मानी जा रहा है।

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गुजरात में पाटीदार समाज (Patidar Community) सत्ता बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखता है तो 15 फीसदी आदिवासी समुदाय भी कम नहीं है। आदिवासी वोट बैंक गुजरात की 27 विधानसभा सीटों पर खुद जीतने या फिर किसी दूसरे को जिताने की ताकत रखता है। सूबे में आदिवासी वोटर बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक माने जाते हैं, जिन्हें बीजेपी अपने पाले में लाने की जुगत में है। आदिवासी समाज को साधने का जिम्मा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने खुद संभाल लिया है। ऐसा क्यों किया जा रहा है इसके पीछे 5 कारण हैं।

1. आदिवासियों के बिना BJP का 150 सीट का लक्ष्य अधूरा

गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Elections) में बीजेपी (BJP) ने इस बार कुल 182 सीटों में से 150 प्लस सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। यह टारगेट बिना 15 फीसदी आदिवासी वोटों के संभव नहीं है। गुजरात में बीजेपी (BJP) भले ही 27 सालों से सत्ता में है, लेकिन पार्टी और पीएम मोदी के लिए 2002 का चुनाव सबसे बेहतर रहा जिसमें 127 सीटें आई थीं। यह बीजेपी का सबसे बेहतर प्रदर्शन रहा है। राज्य में सांप्रदायिक दंगे हुए लेकिन आदिवासी वोटों का ध्रुवीकरण नहीं हो पाया। इसीलिए इस बार बीजेपी (BJP) आदिवासी वोटों को हरहाल में अपने साथ जोड़ने की मुहिम में लगी हुई। इसके लिए अलग-अलग प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है।

2. 15 फीसदी आदिवासी वोट, लेकिन 27 सीटों पर निर्णायक भूमिका

गुजरात में 15 फीसदी आदिवासी वोटर काफी अहम और निर्णायक माने जाते हैं, जो 27 विधानसभा सीटों पर असर रखते हैं। बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) दोनों ही आदिवासी वोटबैंक को अपने-अपने पाले में रखने की कवायद कर रहे हैं। 2017 में कांग्रेस के जीते हुए 16 विधायकों को अपने साथ मिलाया था, जिनमें 5 आदिवासी विधायक थे। इनमें से भूपेंद्र पटेल (Bhupendra Patel) सरकार में तीन आदिवासी नेताओं को मंत्री बनाया था। बीजेपी (BJP) इस बात को काफी अच्छी तरह से जानती है कि चुनाव में आदिवासियों को कैसे खुश रखना है। आदिवासियों से जुड़े हुए मुद्दे, जिसमें पीने का पानी, प्राथमिक शिक्षा, जल-जंगल और जमीन के अधिकार के मामले में इन्हें संतुष्ट करना बेहद जरूरी है।

3. आदिवासियों के लिए रोजगार एक बड़ा मुद्दा है

गुजरात में आदिवासी समाज के लिए एक बड़ा मुद्दा रोजगार का है, जिसके लिए युवाओं को अपने घर-परिवार से दूर शहरों में आना पड़ता है। शिक्षा की कमी के चलते आदिवासी समुदाय को मजदूरी के अलावा कुछ काम नहीं मिल पाता। ऐसे में पीएम मोदी अब आदिवासी समाज के रोजगार के लिए बड़ी सौगात देने जा रहे हैं, जिसके लिए 9000 एचपी इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव उत्पादन यूनिट प्लांट का शिलान्यास करेंगे। इससे आदिवासी इलाके में 10 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मुहैया हो सकेगा। इस तरह से आदिवासी समुदाय के लोगों को रोजगार देकर बीजेपी ने सीधा अपने वोटबैंक में तब्दील करने की रणनीति तैयार की है ताकि कांग्रेस की मजबूत पकड़ को कमजोर किया जा सके।

4. आदिवासी वोटबैंक पर बीटीपी-आप की नजर

गुजरात के 15 फीसदी आदिवासी समुदाय पर कांग्रेस के साथ-साथ भारतीय ट्राइबल पार्टी (Bharatiya Tribal Party) (BTP) की मजबूत पकड़ मानी जाती है। आदिवासियों को जल-जंगल और जमीन के उनके हक दिलाने के लिए पिछले कई सालों से बीटीपी (BTP) आंदोलन कर रही है। सूबे की सियासत में दस्तक दे रही है आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) की नजर भी आदिवासी वोटों पर है। आप-बीटीपी के बीच गठबंधन की कवायद भी हो रही है। बीजेपी (BJP) नहीं चाहती है कि गुजरात का आदिवासी वोटबैंक किसी भी सूरत में आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के साथ जाए, जिसके लिए पीएम मोदी अब आदिवासी बेल्ट में उतरकर उन्हें साधने की कवायद कर रहे हैं।

5. तापी नर्मदा रिवर लिंक प्रोजेक्ट से नाराजगी

दक्षिण गुजरात में तापी नर्मदा रिवर लिंक प्रोजेक्ट को लेकर आदिवासी समुदाय के बीच नाराजगी दिख रही है। आदिवासी समुदाय के कांग्रेस विधायक अनंत पटेल (Anant Patel) और आनंद पटेल (Anand Patel) पिछले लंबे वक्त से तापी नर्मदा रिवर लिंक प्रोजेक्ट को लेकर विरोध कर रहे हैं। उनका जय जोहार (Jai Johar) के साथ आंदोलन इतना उग्र था कि इस प्रोजेक्ट पर केंद्र सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े हैं। केंद्र सरकार ने कहा कि तापी नर्मदा रिवर लिंक प्रोजेक्ट को फिलहाल नहीं करेगी, लेकिन चुनावी सरगर्मी को देखते हुए कांग्रेस के इन विधायकों की मांग हैं की इस प्रोजेक्ट के पुरी तरह बंद किया जाए। इस आंदोलन में जो जन समर्थन कांग्रेस को मिला था, जो चुनाव में सीधे तौर पर फायदा करवा सकता है। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को दक्षिण गुजरात के दाहोद में उतरना पड़ रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि पीएम मोदी अपने भाषण में प्रोजेक्ट को लेकर अपनी बात रख सकते हैं।

Prime Minister Narendra Modi’s Dahod Rally

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