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प्रियंका गांधी का फिलिस्तीन प्रेम

India News (इंडिया न्यूज), Priyanka Gandhi Love Palestine:  प्रियंका गांधी 16 दिसंबर 2024 को संसद में “फिलिस्तीन” लिखा बैग ले कर आयी। बैग के जरिये प्रियंका देश और विदेश में संदेश देना चाहती थी कि वो फिलिस्तीन के साथ है, और अब तो वो सांसद है और वो भी केरल की वायनाड सीट से, जहां […]

By: Jitender Sharma

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India News (इंडिया न्यूज), Priyanka Gandhi Love Palestine:  प्रियंका गांधी 16 दिसंबर 2024 को संसद में “फिलिस्तीन” लिखा बैग ले कर आयी। बैग के जरिये प्रियंका देश और विदेश में संदेश देना चाहती थी कि वो फिलिस्तीन के साथ है, और अब तो वो सांसद है और वो भी केरल की वायनाड सीट से, जहां मुस्लिम बहुसंख्यक है, इसलिये ये बैग वो संसद में लेकर आयी। प्रियंका फिलिस्तीन के भारत में राजदूत Abed Elrazeg Abu Jazer से मिलने के बाद ये बैग ले कर आयी थी। इसमें ध्यान देने वाली बात ये है कि कांग्रेस शुरू से ही फिलिस्तीन की समर्थक रही है और इजराइल से हमेशा दूरी बना के रखती आयी है जबकि इजरायल हमेशा से भारत को अपना सच्चा दोस्त और भाई मानता रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ऐसे प्रधानमंत्री है जो जुलाई 2017 में इजरायल गये थे।

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Priyanka Gandhi Palestine Bag

यही वजह है कि पाकिस्तान के पूर्व मंत्री फवाद चौधरी ने प्रियंका गांधी की तारीफ करते हुए लिखा की जवाहर लाल नेहरू की पड़पोती (GrandDaughter) से ही हम ये आशा कर सकते थे, पाकिस्तानी सांसदों के लिये ये शर्म की बात है कि वो अभी तक खुल कर हिम्मत नहीं दिखा पाये।

अब सवाल है कि आखिर प्रियंका क्यों फिलिस्तीन का बैग लेकर गई और इससे वो क्या संदेश देना चाहती है?

दरअसल कांग्रेस की राजनीति शुरुआत से ही मुसलमानों पर केंद्रित रही है फिर चाहे वो भारत के मुसलमान हो या फिर मध्य पूर्व के। यही वजह रही है कि जवाहरलाल नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक, कोई भी प्रधानमंत्री इजरायल नहीं गया और खुल कर इजरायल के पक्ष में सामने नहीं आया। फिलिस्तीन में सुन्नी विचारधारा के मुस्लिम रहते है और भारत में भी करीब 90 फीसदी मुसलमान सुन्नी है जो फिलिस्तीन का खुलकर समर्थन करते है। यही वजह है कि ओवैसी से लेकर प्रियंका गांधी तक फिलिस्तीन के पक्ष में बात करते है।

इतिहास की बात करे तो भारत ने इजरायल को सितंबर 1950 में देश के तौर पर मान्यता तो दे दी थी लेकिन विदेश नीति हमेशा फिलिस्तीन के पक्ष में रही। 1962 में जब भारत का चीन के साथ युद्ध हुआ तो उस दौरान भारत को हथियारों की जरूरत पड़ी, तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने तब इजरायल के प्रधानमंत्री डेविड गुरियन को चिट्ठी लिख मदद मांग। कहा ये भी जाता है कि गुरियन ने मदद की पहल की थी जिसके जवाब में नेहरू ने चिट्ठी लिखी और कहा कि इजरायल जिस समुद्री जहाज से हथियार सप्लाई करे उस पर इजरायल का झंडा ना हो, इसके पीछे अरब देशों की नाराजगी थी। लेकिन गुरियन ने मना कर दिया और मदद नहीं आयी।

इसके बाद 1971 की भारत पाकिस्तान की लड़ाई के समय भी इजरायल ने हथियारों की मदद की पेशकश की, कहा जाता है कि उस दौरान इजरायल की प्रधानमंत्री गोल्डा मायर ने हथियार भेजे भी, बदले में वो भारत से राजनयिक रिश्ता चाहती थी। ये रिश्ते 1992 में बने जब कांग्रेस के प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव थे। उस के बाद प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय रिश्तों में मजबूती आनी शुरू हुई और 2017 में प्रधानमंत्री मोदी ने इजरायल का दौरा किया।

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