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India News(इंडिया न्यूज), Pune Porsche Accident : पुणे पोर्श एक्सिडेंट केस में बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट के आदेश के बाद संप्रेक्षण गृह में रह रहे नाबालिग आरोपी को राहत मिली है। कोर्ट ने आरोपी को संप्रेक्षण गृह से रिहा करने का आदेश दिया है और इसके साथ ही रिमांड ऑर्डर को अवैध बताया है। इससे पहले 21 जून को केस में आरोपी लड़के के पिता विशाल अग्रवाल को भी जमानत मिल गई थी। नाबालिग लड़का पोर्श कार चला रहा था, जिसकी टक्कर से दो आईटी इंजीनियर्स की मौत हो गई थी।
न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मजूषा देशपांडे की पीठ ने इस केस में कहा कि ‘हम कानून, ‘किशोर न्याय अधिनियम’ के लक्ष्यों और उद्देश्यों से बंधे हैं और अपराध की गंभीरता के बावजूद, कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी बच्चे को वयस्क से अलग मानते हुए कार्रवाई करनी चाहिए। अदालत ने आरोपी नाबालिग को पर्यवेक्षण गृह में भेजने के किशोर न्याय बोर्ड के आदेश को अवैध करार दिया है और कहा है कि ये अधिकार क्षेत्र के बिना पारित किया गया था। कोर्ट ने कहा है कि आरोपी को एक मनोचिकित्सक के पास भेजा जा रहा है और उसके ये सेशन जारी रहेंगे। अदालत ने कहा कि सीसीएल (child in conflict with law) की उम्र 18 वर्ष से कम है और पुनर्वास ‘प्राथमिक उद्देश्य’ है।
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ये फैसला आरोपी नाबालिक की चाची की ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका’ पर आया है, जिसमें सरकारी पर्यवेक्षण गृह से उसकी रिहाई की मांग की थी। ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका’ (Habeus Corpus Petition) एक प्रकार का कानूनी आज्ञापत्र होता है जिसके द्वारा किसी गैर-कानूनी कारणों से गिरफ्तार व्यक्ति को रिहाई मिल सकती है। रिहाई के बाद नाबालिग अब अपनी चाची की देखरेख में रहेगा।
बता दें कि 17 वर्षीय आरोपी नाबालिग अपनी पोर्श कार चलाते हुए, 19 मई को पुणे के कल्याणी नगर से गुजर रहा था. तभी कार ने दो बाइक सवार अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा आईटी इंजीनियर्स को टक्कर मार दी थी। इस एक्सिडेंट में दोनों 24 वर्षीय इंजीनियर्स की मौत हो गई। आरोप है कि नाबालिग नशे में था।
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