संबंधित खबरें
महाराष्ट्र फतह के बाद फिर से चुनावी तैयारी में जुटे Fadnavis, शरद पवार ने सीधे CM को कर दिया कॉल, राज्य की राजनीति में अभी नहीं थमा है तूफान
GST Council Meeting Highlights: कौड़ियों के दाम में मिलेंगी ये चीजें, निर्मला सीतारमण के इस फैसले से खुशी से उछल पड़े सभी वर्ग के लोग
हिमंत सरकार ने की बड़ी कार्रवाई, असम में 24 घण्टें में 416 लोगों को किया गया गिरफ्तार, बाकी राज्यों के लिए बना रोल मॉडल
कांग्रेस के बुरे दिन बरकरार! हरियाणा, महाराष्ट्र के बाद इस राज्य से आई बुरी खबर, सहयोगी ने ही दे दिया बड़ा घाव
विपक्ष के लगातार अमित शाह पर किए जा रहे हमलों का बीजेपी ने निकाला तोड़, पार्टी जल्द शुरू करेगी ये काम, कांग्रेस और सपा की उड़ने वाली है नींद
'वीटो लगाने की अनुमति नहीं देगा…' जाने बिना नाम लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने किस देश की लगा दी क्लास?
India News(इंडिया न्यूज), Pune Porsche Accident : पुणे पोर्श एक्सिडेंट केस में बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट के आदेश के बाद संप्रेक्षण गृह में रह रहे नाबालिग आरोपी को राहत मिली है। कोर्ट ने आरोपी को संप्रेक्षण गृह से रिहा करने का आदेश दिया है और इसके साथ ही रिमांड ऑर्डर को अवैध बताया है। इससे पहले 21 जून को केस में आरोपी लड़के के पिता विशाल अग्रवाल को भी जमानत मिल गई थी। नाबालिग लड़का पोर्श कार चला रहा था, जिसकी टक्कर से दो आईटी इंजीनियर्स की मौत हो गई थी।
न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मजूषा देशपांडे की पीठ ने इस केस में कहा कि ‘हम कानून, ‘किशोर न्याय अधिनियम’ के लक्ष्यों और उद्देश्यों से बंधे हैं और अपराध की गंभीरता के बावजूद, कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी बच्चे को वयस्क से अलग मानते हुए कार्रवाई करनी चाहिए। अदालत ने आरोपी नाबालिग को पर्यवेक्षण गृह में भेजने के किशोर न्याय बोर्ड के आदेश को अवैध करार दिया है और कहा है कि ये अधिकार क्षेत्र के बिना पारित किया गया था। कोर्ट ने कहा है कि आरोपी को एक मनोचिकित्सक के पास भेजा जा रहा है और उसके ये सेशन जारी रहेंगे। अदालत ने कहा कि सीसीएल (child in conflict with law) की उम्र 18 वर्ष से कम है और पुनर्वास ‘प्राथमिक उद्देश्य’ है।
पुणे पोर्श दुर्घटना मामले में नया मोड़, कोर्ट ने आरोपी किशोर के पिता को दी जमानत
ये फैसला आरोपी नाबालिक की चाची की ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका’ पर आया है, जिसमें सरकारी पर्यवेक्षण गृह से उसकी रिहाई की मांग की थी। ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका’ (Habeus Corpus Petition) एक प्रकार का कानूनी आज्ञापत्र होता है जिसके द्वारा किसी गैर-कानूनी कारणों से गिरफ्तार व्यक्ति को रिहाई मिल सकती है। रिहाई के बाद नाबालिग अब अपनी चाची की देखरेख में रहेगा।
बता दें कि 17 वर्षीय आरोपी नाबालिग अपनी पोर्श कार चलाते हुए, 19 मई को पुणे के कल्याणी नगर से गुजर रहा था. तभी कार ने दो बाइक सवार अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा आईटी इंजीनियर्स को टक्कर मार दी थी। इस एक्सिडेंट में दोनों 24 वर्षीय इंजीनियर्स की मौत हो गई। आरोप है कि नाबालिग नशे में था।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.