चंपावत का चुनाव कर धामी ने बनाया इसे हॉट सीट

ध्रुव रौतेला, इंडिया न्यूज़:
सातवीं शताब्दी में स्थापित कुमाऊं साम्राज्य की राजधानी रहा चंपावत (Champawat) उत्तराखंड (Uttarakhand) का ऐतिहासकि नगर तो है ही, साथ ही महाभारत काल की कई घटनाओं के साक्षी रहे इस नैसर्गिक मध्य हिमालयी भू भाग का पौराणिक महत्व भी है। राजा अर्जुन देव (Raja Arjun Dev) की पुत्री राजकुमारी चंपावती के नाम से नगर का नाम चंपावत पड़ा था।

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किंवदंतियों के अनुसार कुमाऊं के प्रसिद्ध न्याय देवता के रूप में पूजे जाने वाले गोल्ज्यू महाराज (goljeu maharaj) की राजधानी भी चंपावत रही जहां आज उनका “गुरलचोड़” स्थित भव्य मंदिर स्थापित है। नेपाल सीमा से काली नदी से सटे छोटे जनपद चंपावत की ही चंपावत विधानसभा सीट से उत्तराखण्ड के युवा मुख्यमंत्री चुनाव लड़ने जा रहे हैं।

परम्परागत खटीमा सीट चुनाव हरे धामी

सर्वविदित है कि उनके नेतृत्व में भाजपा (BJP) ने प्रचंड दो तिहाई बहुमत से सत्ता में पुनः वापसी तो की ही साथ ही राज्य में कभी ‘रिपीट’ न होने वाले ‘मिथक’ को भी तोड़ा। अलबत्ता दुर्भाग्यवश देश के सबसे कम उम्र के सीएम में से एक धामी अपनी परम्परागत खटीमा सीट से चुनाव हार गए। इसके बाद भी बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने एक नई पहल की धामी के चेहरे पर मिली जीत का सेहरा भी उन्हीं को बांधा गया और प्रधानमंत्री मोदी(PM Modi), अमित शाह(Amit Shah), राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) समेत आलाकमान ने पुनः पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) को ही नव निर्वाचित विधानमंडल दल का सर्वसम्मति से नेता घोषित करवा दिया।

चंपावत में 31 मई को होंगे चुनाव

यूं तो चुनाव आयोग (election Commission) 6 माह का समय देता है। लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भली भांति जानतें हैं कि इस समय उनके पक्ष में ताजी ताजी ‘सिंपेथी’ की लहर चल रही है। इसलिए वह एक माह बाद ही चुनाव रण में कूद चुके हैं। चंपावत में उपचानव की अधिसूचना जारी हो चुकी है। 31 मई को मतदान और 3 जून को नतीजे घोषित किये जायेंगे। धामी के लिए सीट खाली करने वाले उनके भरोसे के साथी विधायक कैलाश गहतोड़ी (MLA Kailash Gehtodi) को इस उपचुनाव का संयोजक बनाया गया है। जिनके अनुसार आगामी 9 मई को सीएम अपना नामंकन कराएंगे।

बड़ी विजयी प्राप्त करना चाहते हैं धामी

कांग्रेस (Congress) समेत अन्य दलों ने अब तक यहां प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। जब लगभग एक दर्जन कुमाऊं और गढ़वाल के विधायक युवा सीएम के लिए सीट छोड़ने को राजी थे। तो आख़िर उन्होंने चंपावत को ही क्यों चुना इसके भी कई मायने हैं। दरअसल पुष्कर सिंह धामी राज्य घटन से ही उत्तराखण्ड की राजनीति में कई पदों में रहते हुए सक्रिय रहे हैं और घूमें हैं। इस कारण वह बेहद चौकन्ने हैं और बड़ी विजयी प्राप्त करना चाहते हैं। चंपावत खटीमा से लगी हुई सीट है। पुष्कर धामी का बचपन स्कूल के दिन इसी विधानसभा के अधिकांस हिस्सों बनबसा, टनकपुर, चंपावत नगर आदि में बीते हैं।

देश भर कि निगाहें चंपावत चुनाव पर

यहां के लोगों से उनका जुड़ाव और अपनापन भी है। सधे अंदाज में धामी ने सीट का चुनाव किया है और निश्चित रूप से यहां उनकी स्थिति मजबूत है। हालिया उनके तीन दौरों में मिले अपार जनसमर्थन ने फिलहाल उनको लीड दिला दी है। नतीजे तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे लेकिन चंपावत के लिए मुख्यमंत्री ने घोषणाओं की झड़ी लगाकर यहां के लोगों को खुश जरूर कर दिया है। साथ ही देश भर की निगाहें चंपावत उपचुनाव पर हैं। सो लाजिमी है कि यह हॉट सीट बन गयी है।

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India News Desk

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