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India News (इंडिया न्यूज़), Raghav Chadda suspension, दिल्ली: AAP सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा के निलंबन पर शिवसेना (UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि यह एक अलोकतांत्रिक निर्णय है। उन्होंने कहा, “संजय सिंह ने क्या गलती की? वेल तक जाना एक आम परंपरा है। अरुण जेटली जी कहते थे कि यह लोकतंत्र का हिस्सा है, सदन में व्यवधान डालना लोकतंत्र का हिस्सा है… राघव चड्डा की क्या गलती थी? उन्होंने नियमावली भी दिखाई थी। आपके पास बहुमत है तो आप कुछ भी कर सकते हैं?”
यह अलोकतांत्रिक निर्णय है… संजय सिंह ने क्या गलती की? वेल तक जाना एक आम परंपरा है। अरुण जेटली जी कहते थे कि यह लोकतंत्र का हिस्सा है, सदन में व्यवधान डालना लोकतंत्र का हिस्सा है… राघव चड्डा की क्या गलती थी? उन्होंने नियमावली भी दिखाई थी। आपके पास बहुमत है तो आप कुछ भी कर सकते… pic.twitter.com/tFtkFciuMu
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 11, 2023
7 अगस्त को दिल्ली सेवा बिल पर राज्यसभा में बहस हो रही थी। वोटिंग से पहले सांसद संशोधन या बिल पर अपना अन्य प्रस्ताव सभापति (या जो भी कुर्सी पर हो) को देते है। राघव चड्डा ने बिल को स्टैंडिग कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव दिया और कुछ सांसदो के नाम पर दिए, जिनको कमेटी में रखा जाना था।
पांचों सांसदों में कहा कि उनका नाम देने से पहले उनकी सहमति नहीं ली गई और उनका फर्जी हस्ताक्षर किया गया। इन सांसदों में सस्मित पात्रा (BJD), नरहरि अमीन (BJP), सुधांशु त्रिवेदी (BJP), नागालैंड से सांसद फांगनोन कोन्याक (BJP) और लोकसभा के पूर्व उपसभापति और अन्नाद्रमुक सांसद थंबीदुरई शामिल थे। तब उपसभापति ने कहा था कि मामले की जांच कराई जाएगी।
24 जुलाई को राज्यसभा में विपक्ष मणिपुर की घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग कर रखा था। तब सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि इस पर चर्चा बाद में की जाएगी प्रश्नकाल चलने दिया जाए। प्रश्न काल कुछ ही मिनटों तक चला। इसके बाद संजय सिंह सभापति की कुर्सी के पास तक आ गए। सभापति ने उन्हें वापस जाने को कहा, लेकिन वो माने नहीं। बाद में पीयूष गोयल ने उन्हें निलंबित करने का प्रस्ताव रखा और सदन की सहमति से संजय सिंह को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया।
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