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India News (इंडिया न्यूज), Congress Overhaul: 2014 के बाद से कांग्रेस लगातार पतन की ओर बढ़ता जा रहा है। लगातार तीन लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद भी कांग्रेस सफलता से काफी दूर है। साल 2024 में हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस को मिली अप्रत्याशित हार के बाद कांग्रेस अपने संगठन में बड़ा बदलाव करने जा रही है। खबर सामने आ रही है कि, कांग्रेस पार्टी 28 दिसंबर को अपना 140वां स्थापना दिवस मनाने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी अध्यक्ष द्वारा राज्य इकाइयों में बड़े बदलाव किए जा सकते हैं।
हरियाणा और महाराष्ट्र में हाल ही में मिली हार के बाद कांग्रेस अपने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने के लिए नए कदम उठाने की योजना बना रही है। इन बदलावों के तहत कई राज्य इकाइयों को भंग कर नई नियुक्तियां की जा सकती हैं, ताकि आगामी चुनावों के लिए पार्टी की तैयारियों को बेहतर बनाया जा सके। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस पार्टी अपनी अलग-अलग राज्य इकाइयों में बड़े बदलाव कर सकती है, जो 28 दिसंबर को पार्टी के स्थापना दिवस से पहले हो सकते हैं। खासकर हरियाणा और महाराष्ट्र में मिली हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा पार्टी की राज्य इकाइयों में बदलाव किए जाने की उम्मीद है।
केंद्र और राज्य स्तर पर पार्टी की रणनीतियों को नया रूप देने के लिए यह कदम उठाया जा सकता है। महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में बदलाव की तैयारी सूत्रों के मुताबिक 28 दिसंबर से पहले उत्तर प्रदेश जैसे कई अन्य राज्यों की इकाइयों को भंग कर नए नेतृत्व की नियुक्ति की जा सकती है। इन बदलावों में महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों के प्रभारियों, प्रदेश अध्यक्षों और कई समितियों को भंग कर नई नियुक्तियां की जा सकती हैं। पार्टी की संगठनात्मक ताकत बढ़ाने और आगामी चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए यह फैसला लिया जा सकता है।
हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, 28 दिसंबर को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अपना 140वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है। 1885 में एओ ह्यूम, दादाभाई नौरोजी और दिनशा वाचा जैसे नेताओं के नेतृत्व में कांग्रेस ने स्थापना हुई थी। इसी पार्टी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया और महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल जैसे दिग्गजों के नेतृत्व में भारत को आजादी दिलाई। इस दौरान कांग्रेस ने देश के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक बदलाव में अहम भूमिका निभाई, लेकिन आजादी के बाद पार्टी को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
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काफी लंबे समय तक देश की सत्ता पर काबिज कांग्रेस अब क्षेत्रीय पार्टियों के भरोसे जी रही है। फिर भी कांग्रेस को वो सफलता नहीं मिल रही है। जिस भी मुद्दे को कांग्रेस द्वारा उठाया जाता है, उससे लोग जुड़ नहीं पाते हैं। जिस वजह से कांग्रेस को सफलता नहीं मिल रही है। दूसरी तरफ कांग्रेस में जमीनी स्तर पर काम करने वाले नेताओं की भारी कमी हो गई है। खैर ये तो आने वाले वक्त में ही पता चलेगा कि, कांग्रेस के इस निर्णय से पार्टी को कोई लाभ मिलेगा या नहीं।
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