- उपभोक्ता संरक्षण आयोग ने 13 वर्ष बाद दिया फैसला, 50 हजार रुपए हर्जाना लगाया
- 2009 में अहमदाबाद से जोधपुर के लिए परिवार सहित ट्रेन में सवार हुआ था महेश
इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली (Railway News) : सरकारी कर्मचारियों की गलती कभी-कभी सरकारी विभागों को ही महंगी पड़ जाती है। ऐसा ही एक मामला रेलवे विभाग में सामने आया है। दरअसल रेलवे कर्मचारी ने रिजर्वेशन टिकट पर पुरुष को महिला लिख दिया और उस व्यक्ति को इस चक्कर में चेकिंग के दौरान जुर्माना भरना पड़ा। लेकिन व्यक्ति चुप नहीं बैठा और उसने उपभोक्ता संरक्षण आयोग में मामला दायर कर दिया। मामला 13 साल पहले का है और आयोग ने अब इसमें यात्री के पक्ष में फैसला सुनाया है।
दरअसल वर्ष 2009 में 29 सितंबर को भोपालगढ़ निवासी महेश अपने परिवार के साथ टिकट रिजर्व करवाकर गुजरात के अहमदाबाद से राजस्थान के जोधपुर के लिए ट्रेन में सवार हुआ था। महेश ने रिजर्वेशन फार्म में सही एंट्री की थी लेकिन इसके बावजूद रेलवे के कर्मचारियों ने गलती से टिकट में उसे न केवल महिला अंकित कर दिया , बल्कि रेलवे के जांच-दस्ते ने उसे बेटिकट मानकर उसके ऊपर जुर्माना भी लगा दिया और जुर्माने की राशि वसूल भी ली। अपने साथ हुए इसी अन्याय के खिलाफ महेश ने उसी वर्ष यानी 2009 में ही इसको लेकर एक परिवाद प्रस्तुत कर दिया।
Railway News Employee wrote woman to man on reservation ticket
रेलवे पर 50 हजार रुपए लगाया हर्जाना
अब 13 साल के बाद जोधपुर के उपभोक्ता संरक्षण आयोग (द्वितीय) ने उपभोक्ता महेश के पक्ष में फैसला सुनाया है। आयोग ने मामले में रेलवे पर 50 हजार रुपए हर्जाना लगाया है। इसी के साथ रेलवे को पभोक्ता संरक्षण आयोग ने उससे जांच दस्ते द्वारा जुर्माने के तौर पर वसूले गए 330 रुपए भी वापस करने का आदेश दिया है। महेश ने खुद के साथ अपनी माता और बहन के आरक्षण टिकट के लिए फार्म भरकर दिया था लेकिन रेवल के बुकिंग कर्मचारी ने टिकट में माता और बहिन के साथ उसे भी महिला लिख दिया।
इस कमी को लेकर बुकिंग कर्मी को बताने के बावजूद भी सुधार नहीं किया गया। नियत दिवस को यात्रा की जब समाप्ति हुई और महेश परिवार सहित जब ट्रेन से उतरा तो जोधपुर रेलवे स्टेशन पर उड़नदस्ते ने उसकी टिकट को नहीं माना। इसी के साथ उड़नदस्ते ने महेश को बेटिकट यात्री बताकर पुलिस कार्रवाई की धमकी देते हुए उससे जबरन 330 रुपए का जुर्माना वसूल कर लिया।
रेलवे ने कई आपत्तियां जताकर यात्री को ही गलती के लिए जिम्मेदार ठहराया
डीआरएम रेलवे (जोधपुर) की ओर से जवाब पेश कर कई तरह की कानूनी आपत्तियां की गई और इसके लिए खुद परिवादी को ही रेलवे विभाग ने जिम्मेदार ठहराया। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आयोग के अध्यक्ष डॉक्टर श्याम सुन्दर लाटा, सदस्य डॉ अनुराधा व्यास, आनंद सिंह सोलंकी ने महेश के पक्ष में फैसला दिया। उन्होंने कहा कि टिकट चेकिंग दल द्वारा परिवादी का पक्ष सुनने व टिकट को लेकर जांच पड़ताल किए बिना ही उससे नाजायज तौर पर जुर्माना वसूल कर लिया गया है। परिवादी रेलवे का सम्मानित यात्री होने के बावजूद कर्मचारियों की बार-बार गलती से उसे रेलवे स्टेशन पर परिवारजनों व अन्य यात्रियों के समक्ष अपमानजनक स्थिति से गुजरना पड़ा है
आयोग ने रेलवे की भारी कमी बताई
उपभोक्ता संरक्षण आयोग ने इसे रेलवे की सेवा में भारी कमी व अनुचित व्यापार-व्यवहार मानते हुए जुर्माना राशि 330 रुपए लौटाने तथा परिवादी को शारीरिक व मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति के निमित्त पचास हजार रुपए हर्जाने की राशि रेलवे द्वारा भुगतान किए जाने का आदेश दिया है।
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