नई दिल्ली। अजीत मैंदोला: Rajya Sabha Election: बीजेपी ने इस बार के राज्यसभा चुनाव दिलचस्प बनाने के साथ साथ एक भी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट न दे बड़ा राजनीतिक दांव खेल दिया। विपक्ष इसे जैसे ही तूल देगा ध्रुवीकरण की राजनीति अपने आप ही गर्म होगी। जिसका सीधा लाभ बीजेपी को ही मिलेगा।
भाजपा ने ऐसा इसलिए खेला दांव, जानिए क्यों पड़ी इसकी जरूरत
हालांकि बीजेपी लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों में मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट न दे उसका सीधा संदेश होता है कि वह तुष्टिकरण की राजनीति नहीं करती है। लेकिन उच्च सदन में वह मौका दे मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लगाने वालों को चुप करा देती थी। लेकिन इस बार बीजेपी ने एक झटके में उच्च सदन में भी मुस्लिम दावेदारों का पूरी तरह से पत्ता काट दिया।
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और जफर इस्लाम तो फिर से टिकट की पूरी उम्मीद पाले हुए थे। पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर की भी पूरी कोशिश थी। लेकिन बीजेपी ने एक को भी टिकट नहीं दिया। पहली बार ऐसा होगा जब दोनों सदनों में बीजेपी एक भी सदस्य मुस्लिम नहीं होगा।
दोनों सदनों में नहीं दिखेंगे मुस्लिम चेहरे, जानिए क्यों
केंद्रीय मंत्री मंडल के एक मात्र मुस्लिम चेहरे नकवी को भी हो सकता है जुलाई के बाद पद छोड़ना पड़ जाए। जानकार इसे बीजेपी की एक सोची समझी राजनीति मान रहे हैं।देश मे अभी जिस तरह का माहौल बनता जा रहा है वह कहीं ना कहीं ध्रुवीकरण की राजनीति की और बढ़ रहा है। कांग्रेस बराबर आरोप भी लगा रही है कि बीजेपी धर्म की राजनीति कर ध्रुवीकरण को बढ़ावा दे रही है।
कांग्रेस आज जिस बुरे दौर से गुजर रही है उसमें भी वह ठीक से फैसले भी नहीं कर पा रही है। यही वजह है उसकी तरफ से लगाए जा रहे आरोप भी तूल नहीं पकड़ पा रहे हैं। राज्यसभा के टिकट वितरण से भी यही सन्देश गया कि प्रत्याशियों का सही चयन नही किया गया। पार्टी में फैसले एक मत से नहीं किए जा रहे हैं, कहीं ना कहीं भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
कांग्रेस की कमजोरी का ऐसे उठा रही भाजपा फायदा
बीजेपी कांग्रेस की इसी कमजोरी का पूरा फायदा उठा रही है। इसीलिए बीजेपी आलाकमान ने राज्यसभा चुनाव में इस बार कई नए चेहरों को तो मौका दिया ही। साथ ही कर्नाटक, हरियाणा, महाराष्ट्र और राजस्थान में विपक्ष को फंसा दिया। कांग्रेस के लिए तो राज्यसभा की एक एक सीट का बड़ा मतलब है। क्योंकि सदन में विपक्ष के नेता पद के लिये कम से कम 25 सीट चाहिए।
कांग्रेस के लिए कार्तिकेय शर्मा ने खड़ा किया संकट
हालांकि अभी उसके पास 29 सीट है। इस बार 9 सीट पार्टी जीत सकती थी। लेकिन बीजेपी ने कर्नाटक, महाराष्ट्र और राजस्थान एक एक अतिरिक्त उम्मीदवार उतार विरोधी दलों के विधायकों में सेंधमारी की पूरी तैयारी कर दी है। इसी तरह हरियाणा में राजग के घटक दल जेजेपी के समर्थन से मैदान में उतरे निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा ने कांग्रेस के लिए संकट खड़ा कर दिया है।शर्मा को बीजेपी के बचे शेष वोटों के साथ निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन तय माना जा रहा है।
क्रॉस वोटिंग से कम होगी कांग्रेस की सीट
क्रॉस वोटिंग हुई तो कांग्रेस की राजस्थान और हरियाणा की दो सीट कम हो जाएंगी। राजस्थान में 4 सीटों पर चुनाव हो रहा है। इसमें दो कांग्रेस की एक बीजेपी की पक्की है। लेकिन बीजेपी ने निर्दलीय सुभाष चंद्रा को समर्थन दे चौथी सीट को मुकाबले में ला दिया। इन दोनों राज्यों के चुनाव के साथ साथ बीजेपी ने कर्नाटक और महाराष्ट्र में भी एक एक अतिरिक्त उम्मीदवार उतार चुनाव दिलचस्प बना दिया।
कांग्रेस के लिए इधर कुआं, उधर खाई
कांग्रेस का संकट यह है कि अगर इस बार वह राज्यसभा में एक भी सीट हारती है तो अगली बार उसकी मुश्किलें बढ़ जाएंगी। क्योंकि कांग्रेस लगातार राज्यों में चुनाव हारती जा रही है। आने वाले राज्यों में भी उसके लिए सब कुछ आसान नहीं है। राज्यसभा टिकट वितरण के बाद जिस तरह राज्यों मे विरोध के स्वर उठ रहे हैं उससे भी कांग्रेस की परेशानी आने वाले दिनों में बढ़ेगी। बीजेपी जिस तरह की राजनीति कर रही है वह भी कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाने वाली है।
भाजपा ने जीत के बाद बदली रणनीति
यूपी समेत चार राज्यों में मिली भारी जीत के बाद से बीजेपी की पूरी रणनीति बदली हुई है। बीजेपी अभी किसी भी मामले में खुलकर सामने नहीं आ रही है, लेकिन उसके सहयोगी संगठन ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण हो या मथुरा और कुतबमिनार का माहौल बीजेपी का ही बन रहा है।
राज्यसभा में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट न दे बीजेपी ने ऐसा दांव खेला है जिसमें विपक्ष फंसेगा ही फंसेगा। विपक्ष बीजेपी पर मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लगाएगा वहीं राजनीति ध्रुवीकरण की तरफ बढ़ेगी।
बीजेपी के कुछ किए बिना ही विपक्ष खुद ही साम्प्रदायिक बनाम धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे को गर्मा देगा। बीजेपी की रणनीति नई रणनीति अपने आप ही सफल हो जाएगी। क्योंकि 2024 लोकसभा चुनाव तक अधिकांश हिंदी भाषी राज्यों में चुनाव होने हैं जहां पर बीजेपी को ध्रुवीकरण का सीधा लाभ मिलेगा।
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