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India News (इंडिया न्यूज़), Ramlala Surya Abhishek: अयोध्या के भव्य राम मंदिर में विराजमान रामलला के माथे पर सूर्य अभिषेक का वीडियो शुक्रवार शाम सामने आया है। पहली बार सूर्य की किरणों का अभिषेक देख श्रद्धालु निहाल हो उठे। कुछ ही मिनटों में ये वीडियो पूरी दुनिया में वायरल हो गया। अब राम भक्त रामनवमी पर दोपहर 12 बजे दूरदर्शन पर यह दृश्य लाइव देख सकेंगे। अयोध्या में मंदिर के अलावा राम भक्त 100 एलईडी पर इसकी लाइव तस्वीरें देख सकेंगे। रामनवमी पर करीब चार मिनट तक सूर्य तिलक होगा।
काफी लंबे समय के शोध और प्रयोगों के बाद सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI), रूड़की के वैज्ञानिकों की एक टीम ने सूर्य तिलक मैकेनिज्म तैयार किया है। वैज्ञानिकों की एक टीम ने सूर्य तिलक तंत्र को इस तरह से डिजाइन किया है कि, हर साल रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे लगभग चार मिनट तक सूर्य की किरणें भगवान राम की मूर्ति के माथे पर पड़ेंगी। CBRI ने इस तंत्र को तैयार करने में भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA), बेंगलुरु की भी मदद ली। IIA ने सूर्य के पथ के संबंध में तकनीकी सहायता प्रदान की है। बेंगलुरु की एक कंपनी ने लेंस और एक विशेष पीतल ट्यूब का निर्माण किया है।
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बता दें कि, प्रोजेक्ट सूर्य तिलक में दर्पण, लेंस और पीतल के पाइप की व्यवस्था इस प्रकार की गई है कि सूर्य की किरणें मंदिर के शिखर के पास तीसरी मंजिल से गर्भगृह तक लाई जाएंगी। इसमें सूर्य का मार्ग बदलने के सिद्धांतों का उपयोग किया जाएगा। भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) ने चंद्र और सौर (ग्रेगोरियन) कैलेंडर के बीच गणना को सरल बनाकर सीबीआरआई का मार्ग प्रशस्त किया है।
रामलला के सूर्य अभिषेक के लिए अलग-अलग जगहों पर विशेष कोण पर दो बड़े दर्पण और दो बड़े लेंस लगाए गए हैं। दर्पण का प्रयोग सूर्य की किरणों को प्रतिबिंबित करने के लिए किया जाता रहा है। इसमें दोपहर बारह बजे जब सूर्य की किरणें शीर्ष पर होंगी तो दर्पण से परावर्तित होकर मंदिर के अंदर प्रवेश कराया जाएगा। शिखर से मंदिर के अंदर प्रवेश के समय रास्ते में दो बड़े लेंसों के माध्यम से ये किरणें एक स्थान पर केंद्रित होंगी। मंदिर के गर्भगृह में पहुंचते ही ये किरणें 60 डिग्री के कोण पर लगे दर्पण के माध्यम से रामलला के माथे पर प्रतिबिंबित होंगी।
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