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भारत के 74वें गणतंत्र दिवस के मौके पर कर्तव्य पथ पर देश के अलग-अलग राज्यों की खूबसूरत झांकियां देखने को मिलीं। देश में पहली बार आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गणतंत्र दिवस की परेड की सलामी ली। परंपरा के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया और इसके बाद 21 तोपों की सलामी के साथ राष्ट्रगान किया गया।
गणतंत्र दिवस के मौके पर पहली बार कर्तव्य पथ पर परेड हुई है। इससे पहले इस जगह को राजपथ के नाम से जाना जाता था। कर्तव्य पथ पर जहां एक ओर शक्ति प्रदर्शन देखने को मिला तो वहीं दूसरी ओर कर्तव्य पथ पर अलग-अलग राज्यों की झांकियां भी देखने में बेहद सुंदर और लगीं।
उत्तर प्रदेश की झांकी में भगवान राम और देवी सीता के वनवास से लौटने पर अयोध्या के लोगों द्वारा उनका स्वागत करते हुए दिखाया गया। साथ ही इस शहर में दीपोत्सव समारोह के आयोजन की झलक भी झांकी में प्रस्तुत की गई।
गणतंत्र दिवस समारोह की परेड के दौरान निकाली गई लद्दाख की झांकी में इस केंद्रशासित प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों के मनोरम दृष्य और जीवंत संस्कृति की झलक देखने को मिली। लेह और करगिल के कलाकारों की मंडली भी दिखी जो इस झांकी में चार चांद लगाने वाली थी। कर्तव्य पथ पर निकाली गई इस झांकी में सातवीं सदी की गांधार कला आधारित पत्थरों से तराशी गई बुद्ध प्रतिमाओं को प्रदर्शित किया गया। करगिल की इन प्रतिमाओं की तरह दुनिया में सिर्फ तीन प्रतिमाएं हैं और इन्हें बामियान की बुद्ध प्रतिमा की श्रेणी का माना जाता है।
आंध्र प्रदेश की झांकी में मकर संक्रांति के दौरान मनाए जाने वाले प्रभला तीर्थम के त्योहार को दिखाया गया जिसके सबसे आगे के हिस्से में एक बैलगाड़ी थी जो कि सबसे ज्यादा आकर्षक थी। इस दौरान झांकी के दोनों ओर महिलाएं पारंपरिक नृत्य कर रही थीं।
देश के 74वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर कर्तव्य पथ पर आयोजित समारोह में जम्मू एवं कश्मीर की झांकी में ‘‘नया जम्मू एवं कश्मीर’’ के बनने और प्राचीन अमरनाथ गुफा मंदिर आकर्षण के मुख्य विषय थे। सजी-धजी इस झांकी में पिछले कुछ सालों में केंद्र शासित प्रदेश में किए गए पर्यटन के पुनरुत्थान को भी प्रदर्शित किया गया। झांकी के पीछे की तरफ गुलमर्ग के एक रिसॉर्ट में एक आदमी को स्कीइंग करते हुए दिखाया गया जबकि किनारों की तरफ पर ट्यूलिप के पौधे दिखाए गए।
दादरा, नागर हवेली, दमन एवं दीव की झांकी में इस केंद्रशासित प्रदेश की आदिवासी नृत्य कला के कई स्वरूपों, युद्ध से जुड़़ी स्मृतियों और मछली पकड़ने की संस्कृति की झलक देखने को मिली। इस झांकी के जरिये केंद्रशासित प्रदेश के लोक नृत्यों भावड़ा और तारपा को दर्शाया गया। झांकी के मध्य हिस्से में टोकरियां पकड़े महिलाएं ढोल की थाप पर लोक नृत्य करते नजर आईं और पुरुष समुद्र में मछली पकड़ने की मुद्रा से इसके संकेत देते दिखे।
महाभारत के युद्ध के समय भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश और उनका ‘विराट स्वरूप’ गणतंत्र दिवस समारोह की परेड में हरियाणा द्वारा निकाली गई झांकी के केंद्रबिंदु रहे। हरियाणा की झांकी में महाभारत काल की झलक देखने को मिली जिसमें रथ पर सवार अर्जुन को भगवान कृष्ण गीता का उपदेश दे रहे हैं।
त्रिपुरा की झांकी में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के साथ-साथ पर्यटन और जैविक खेती के माध्यम से आजीविका को सतत दर्शाया गया।
महाराष्ट्र की झांकी की थीम थी ‘संतों और देवताओं की भूमि महाराष्ट्र’ महाराष्ट्र की संस्कृति की झलक झांकी में देखने को मिली।
उत्तराखंड की झांकी में वन्यजीवन और धार्मिक स्थलों को प्रदर्शित किया उत्तराखंड की झांकी में जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान को दर्शाया गया जिसमें हिरण, राष्ट्रीय पक्षी मोर सहित कई तरह के पशु पक्षी विचरण करते नजर आए। उत्तराखंड की झांकी में जागेश्वर धाम को भी दर्शाया गया।
गुजरात की झांकी में सौर ऊर्जा से संचालित मोढेरा गांव, कच्छी कढ़ाई और परंपरागत भूंगा का प्रदर्शन किया गया। झांकी में गरबा परिधान पहले कलाकारों को प्रस्तुति देते दिखाया गया। झांकी के अगले हिस्से में कच्छी परिधान पहने एक महिला की प्रतिकृति को दिखाया गया जिसके एक हाथ में सूर्य और दूसरे हाथ में कागज की बनी पवनचक्की का स्वरूप था। यह झांकी सौर और पवन ऊर्जा को प्रस्तुत कर रही थी।
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