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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Reservation In Promotion For SC-ST सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC – ST) को प्रमोशन में आरक्षण के पैमानों (Reservation parameters) में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।
जस्टिस नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने आज मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि पहले के फैसलों में जो आरक्षण के पैमाने तय किए गए हैं, उनमें हम छेड़छाड़ नहीं कर सकते हैं। पहले के फैसलों में तय किए गए आरक्षण के प्रावधान व पैमान हल्के नहीं किए जाएंगे। अदालत ने कहा, समय-समय पर सरकार को यह समीक्षा करनी चाहिए कि प्रमोशन में आरक्षण के दौरान दलितों को उचित प्रतिनिधित्व मिला है या नहीं।
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सरकारी नौकरियों में एससी व एसटी के अधिकारियों-कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले केंद्र ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि यह जीवन की सच्चाई है कि आजादी के करीब 75 साल बाद भी एससी व एसटी के लोगों को अगड़ी जातियों के समान योग्यता के स्तर पर नहीं लाया गया।
यह पूरा मामला सरकारी नौकरियों में दिये जाने वाले प्रोमोशन में आरक्षण के मुद्दे से जुड़ा है। केंद्र और राज्य सरकार, इस मामले में शीर्ष अदालत में कई याचिका दायर कर चुकी हैं। ये सभी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ के दो फैसलों से जुड़ी है। इन फैसलों पर कोर्ट ने केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के लिए एक गाइडलाइन जारी की थी कि सरकारी नौकरियों में प्रोमोशन देने का क्या पैमाना होना चाहिए।
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