संबंधित खबरें
मिल गया जयपुर गैस टैंकर हादसे का हैवान? जांच में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, पुलिस रह गई हैरान
भारत बनाने जा रहा ऐसा हथियार, धूल फांकता नजर आएगा चीन-पाकिस्तान, PM Modi के इस मास्टर स्ट्रोक से थर-थर कांपने लगे Yunus
‘जर्सी नंबर 99 की कमी खलेगी…’, अश्विन के सन्यास से चौंक गए PM Modi, कह दी ये बड़ी बात, क्रिकेट प्रशसंक भी रह गए हैरान
महाराष्ट्र फतह के बाद फिर से चुनावी तैयारी में जुटे Fadnavis, शरद पवार ने सीधे CM को कर दिया कॉल, राज्य की राजनीति में अभी नहीं थमा है तूफान
GST Council Meeting Highlights: कौड़ियों के दाम में मिलेंगी ये चीजें, निर्मला सीतारमण के इस फैसले से खुशी से उछल पड़े सभी वर्ग के लोग
हिमंत सरकार ने की बड़ी कार्रवाई, असम में 24 घण्टें में 416 लोगों को किया गया गिरफ्तार, बाकी राज्यों के लिए बना रोल मॉडल
RLV LEX Mission: इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) एक ऐसा रॉकेट बना रहा है जो स्पेस में अपना काम निपटाने के बाद वापस आ जाएगा। ISRO ने रीयूजेबल लॉन्च वीकल ऑटोनोमस लैंडिंग मिशन (RLV LEX) का रविवार को सफलतापूर्वक टेस्ट किया। रियूजेबल लॉन्च वीकल के जरिए दोबारा किसी और सैटलाइट को लॉन्च किया जा सकेगा। इसके पहले जितने भी सैटलाइट लॉन्च वीकल आसमान में जाते थे वो वहीं नष्ट हो जाते थे। रियूजेबल लॉन्च वीकल से सैटलाइट भेजने में आने वाली लागत में कमी आएगी। यानी सैटलाइट लॉन्चिंग मिशन भारत भविष्य में कम खर्च में पूरी कर सकेगा। एलन मस्क की स्पेस एक्स पहली ऐसी प्राइवेट कंपनी बनी थी, जिसने रियूजेबल लॉन्च वीइकल का सफल टेस्ट किया था।
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन ने बताया कि RLV ऑटोनोमस लैंडिंग मिशन को सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर कर्नाटक के चित्रदुर्ग के एटीआर से संचालित किया गया था। भारतीय वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टर से RLV LEX को 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई पर ले जाकर 4.6 किलोमीटर की रेंज पर छोड़ा गया। रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल ने इसके बाद धीमी गति से उड़ान भरी और कुछ देर बाद लैंडिंग गियर के साथ खुद ही एटीआर में 7.40 बजे लैंड किया।
RLV's autonomous approach and landing pic.twitter.com/D4tDmk5VN5
— ISRO (@isro) April 2, 2023
इसरो ने इससे पहले मई 2016 में हाइपरसोनिक उड़ान प्रयोग मिशन के तहत RLV-TD वीकल की पुन: प्रवेश की क्षमता का सफल परीक्षण किया था, जो रीयूजेबल लॉन्च वीकल विकसित करने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
ISRO के अलावा, एयरफोर्स और दूसरे कई संगठनों ने इस टेस्ट में अहम योगदान दिया। एयरफोर्स टीम ने प्रोजेक्ट टीम के साथ काम किया रीलीज की स्थितियों को पूरा करने के लिए कई सॉर्टियां आयोजित कीं। अंतरिक्ष विभाग के सचिव और ISRO के चेयरमैन एस. सोमनाथ उन लोगों में शामिल थे, जो इस टेस्ट के गवाह बने।
Also Read
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.