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India News(इंडिया न्यूज),Satara Lok Sabha Seat: देश में लोकसभा के दो चरण के मतदान हो चुके हौ और तीसरे चरण का मतदान 7 मई को होना है। जिसके लिए सभी राजनीतिक पार्टियां अपने प्रचार प्रसार में लगी हुई है। लेकिन इस चुनाव में बीजेपी के लिए कई सारी चुनौतियां भी बनी हुई है। जहां कांग्रेस से अलग होकर शरद पवार ने 1999 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का गठन किया था। तब से 2019 तक सतारा लोकसभा क्षेत्र में एनसीपी का दबदबा रहा है। जिसके इस बार छत्रपति शिवाजी महाराज के 13वें वंशज छत्रपति उदयनराजे भोसले के सामने शरद पवार का गढ़ भेदने और राजघराने का अस्तित्व कायम रखने की चुनौती है।
अनसीपी के गढ़ में अपना झंडा गारने की तैयारी कर रही भाजपा को पहली बार शिवाजी की जमीन पर कमल खिलने का भरोसा है। उदयनराजे भोसले 90 के दशक में भाजपा के साथ थे और विधायक बनने के बाद शिवसेना-भाजपा सरकार में मंत्री बने थे। 2009 में एनसीपी में शामिल हो गए। एनसीपी से तीन बार सतारा से सांसद चुने गए। 2019 में भी वे जीते थे, लेकिन शरद पवार से मतभेद के बाद इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए थे। उपचुनाव हुआ तो एनसीपी के श्रीनिवास पाटिल से हार गए थे।
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जानकारी के लिए बता दें कि, अभी श्रिनिवास पाटिल राज्यसभा सदस्य हैं। वह जनता के नुमाइंदे के रूप में लोकसभा जाने के लिए फिर भाजपा से मैदान में उतरे हैं। उदयनराजे का मुकाबला एनसीपी (शरद) के विधायक शशिकांत शिंदे से है, जो शरद पवार के भरोसेमंद है। हालांकि, पवार पहले पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को चुनाव लड़ाना चाहते थे, लेकिन वह एनसीपी (शरद) के चिह्न पर नहीं, बल्कि कांग्रेस के चुनाव चिह्न पर लड़ने के लिए तैयार थे। विधायक शिंदे पर मुंबई कृषि उपज बाजार समिति में घोटाले का आरोप है और इस मामले में उन पर गिरफ्तारी की तलवार भी लटक रही है। पवार उनके पीछे चट्टान की तरह खड़े हैं। शशिकांत शिंदे सतारा लोकसभा क्षेत्र में पहले कोरेगांव और अब जावली से विधायक हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि, सतारा सीटों पर लगातार रूप से शरद पवार का दबदबा है। जहां उदयनराजे का शहर पर नियंत्रण है। यहां के लोग छोटे-मोटे कार्यक्रमों में भी उन्हें निमंत्रण देने पहुंच जाते हैं और वह किसी को निराश नहीं करते। यह उदयनराजे की लोकप्रियता का बड़ा राज है। इस बार उनके चचेरे भाई सतारा से भाजपा विधायक शिवेन्द्र राजे भोसले भी पारिवारिक कटुता भूलकर क्षेत्र में राजघराने का वर्चस्व बनाए रखने के लिए चिलचिलाती धूप में जनता का आशीर्वाद मांग रहे हैं।
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इसके साथ ही बात अगर 2019 के चुनाव की करें तो, एनसीपी के उम्मीदवार छत्रपति उदयनराजे भोसले को यहां 51.8% मत मिले थे। वहीं, शिवसेना के नरेंद्र अन्नासाहेब पाटिल को 40.48% मत मिले थे। बात एगर 2014 के लोकसभा चुनावों की करें तो छत्रपति उदयनराजे भोसले को 53.50% मत मिले थे। तब भी वे एनसीपी से ही चुनावी मैदान में थे। वहीं, निर्दलीय प्रत्याशी पुरुषोत्तम जाधव को 15.97% फीसदी मत मिले थे।
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