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स्तन दबाना, पाजामे का नारा…इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले पर SC ने लगाई रोक

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें कहा गया था कि नाबालिग लड़की के स्तनों को पकड़ना बलात्कार का प्रयास नहीं माना जा सकता। यह फैसला जस्टिस बीआर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने बुधवार को सुनाया।

BY: Sohail Rahman • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), SC On Allahabad HC Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें कहा गया था कि नाबालिग लड़की के स्तनों को पकड़ना बलात्कार का प्रयास नहीं माना जा सकता। यह फैसला जस्टिस बीआर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने बुधवार को सुनाया। इस आदेश के खिलाफ देशभर में व्यापक आलोचना हुई थी, जिसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस पर कार्रवाई की। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 17 मार्च 2025 को अपने आदेश में कहा था कि नाबालिग लड़की के स्तनों को पकड़ना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास करना बलात्कार या बलात्कार का प्रयास नहीं माना जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्त की कड़ी प्रतिक्रिया

इस फैसले के बाद समाज के विभिन्न वर्गों में नाराजगी देखी गई थी। कई महिला संगठनों ने इस आदेश पर आपत्ति जताई थी और सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की थी। इस संदर्भ में ‘वी द वूमेन ऑफ इंडिया’ नामक संगठन ने मामले को सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाया था। कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। जस्टिस बीआर गवई ने कहा, “हमें यह कहते हुए दुख हो रहा है कि यह फैसला जज की संवेदनशीलता की कमी को दर्शाता है। यह फैसला तत्काल नहीं था, बल्कि चार महीने तक सुरक्षित रखने के बाद सुनाया गया।

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SC On Allahabad HC Verdict (सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक)

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कोर्ट ने क्या कहा?

इससे यह स्पष्ट होता है कि इसमें विवेक का इस्तेमाल किया गया, लेकिन यह उचित नहीं था।” कोर्ट ने आगे कहा कि हाईकोर्ट के आदेश में कई टिप्पणियां कानून के सिद्धांतों के विपरीत हैं और अमानवीय दृष्टिकोण को दर्शाती हैं। इसलिए कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश के पैराग्राफ 21, 24 और 26 पर विशेष रूप से रोक लगाई। सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने भी इस आदेश पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट का यह फैसला कानूनी और नैतिक रूप से अनुचित है। उन्होंने कोर्ट से इस विवादास्पद आदेश पर तत्काल रोक लगाने का अनुरोध किया।

सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और इलाहाबाद हाईकोर्ट को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी और एसजी तुषार मेहता से मामले में सहयोग करने को कहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि पीड़ित नाबालिग लड़की की मां द्वारा दायर अपील को इस स्वप्रेरित मामले के साथ जोड़ दिया जाएगा तथा दोनों पर एक साथ सुनवाई की जाएगी।

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