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Section 498A: कोलकत्ता हाईकोर्ट का धारा 498A पर बड़ी टिप्पणी, कहा – महिलाओं ने फैलाया कानूनी आतंकवाद

Mudit Goswami • LAST UPDATED : August 22, 2023, 5:39 pm IST

India News (इंडिया न्यूज़), Section 498A: कोलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को महिलाओं ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498A को लेकर बड़ी बात कही। कोर्ट ने कहा कि महिलाओं ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498A का दुरुपयोग करके एक तरह से कानूनी आतंकवाद फैला दिया है। बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी धारा 498A के बढ़ते दुरुपयोग पर प्रकाश डाला डाला था। दरअसल धारा 498A का उद्देश्य महिला के खिलाफ उसके पति और उसके ससुराल वालों द्वारा की गई क्रूरता को अपराध घोषित करता है।

कोलकत्ता हाईकोर्ट पर स्वपन दास बनाम पश्चिम बंगाल राज्य के बीच मामले में जस्टिस सुभेंदु सामंत ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि धारा 498A महिलाओं की भलाई के लिए बनाई गई थी लेकिन अब झूठे मामले दर्ज कराके इसका लोगों दुरुपयोग किया जा रहा है। जस्टिस सामंत ने आगे कहा “विधायिका ने समाज से दहेज की बुराई को खत्म करने और महिलाओं के खिलाफ ससुराल में हो बढ़ रहे अपराध को कम करने के लिए धारा 498A को लागू किया है। लेकिन अब कई मामलों में देखा गया है कि उसका दुरुपयोग किया जाता है।”

कोर्ट ने कही अहम बात

एक कानूनी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, मामले में सुनवाई के दौरान जज सुभेंदु सामंत ने अपने निर्णय में कहा कि धारा 498A के तहत क्रूरता की परिभाषा में दिए गए उत्पीड़न और यातना को केवल शिकायतकर्ता यानि पत्नी द्वारा साबित नहीं किया जा सकता है। एक मामले में सुनवाई करते हुए धारा 498A के मामले को रद्द करने के बाद कोर्ट ने कहा कि ये कानून एक शिकायतकर्ता को आपराधिक शिकायत दर्ज कराने की अनुमति देता है, लेकिन इस मामले में ठोस सबूत पेश करके ही जायज ठहराया जाना चाहिए।’

पति के खिलाफ दो बार शिकायत दर्ज कराई

याचिका के मुताबिक शख्स की पत्नी ने पहली बार अक्टूबर 2017 में पति के खिलाफ मानसिक और शारीरिक क्रूरता का आरोप लगाते हुए अराधिक मामला दर्ज कराया था। इसके बाद पुलिस ने कुछ गवाहों और इस जोड़े के पड़ोसियों के बयान भी दर्ज किए। जिसके बाद पत्नी ने 2 महीने बाद दिसंबर 2017 में एक और शिकायत दर्ज कराई। इस बार पति के परिवार के सदस्यों का नाम लेते हुए उन पर क्रूरता करने और उसे मानसिक और शारीरिक यातना देने का आरोप भी लगाया।

कोर्ट ने आगे क्या कहा..

फिलहाल, हाईकोर्ट ने कहा कि राहत के लिए याचिका दायर करने वाले शख्स के खिलाफ पहली नजर में अपराध साबित करने वाला कोई सबूत रिकॉर्ड पर नहीं लाया गया। हाईकोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता महिला का अपने पति के खिलाफ सीधा आरोप केवल उसका अपना बयान है। इसका कोई भी दस्तावेजी या मेडिकल सबूत नहीं है।

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