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India News(इंडिया न्यूज),Shantishree: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति शांतिश्री का बड़ा बयान सामने आया है। जिसमें उन्होने आश्चर्यचकित होते हुए कहा कि, क्या सुप्रीम कोर्ट हमारे साथ भी वैसा व्यवहार करेगा, जैसा उसने शनिवार रात तीस्ता सीतलवाड़ को राहत देने के लिए किया था। जानकारी के लिए बता दें कि, जेएनयू कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित रविवार को एक मराठी पुस्तक के विमोचन के लिए पुणे पहुंची थीं। जिस दौरान उन्होंने कहा कि, वामपंथी परिस्थितिकी तंत्र अब भी मौजूद है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत देने के लिए शनिवार रात अदालत खोली थी। क्या हमारे लिए भी ऐसा होगा।
इसके साथ हीं कुलपति ने आगे कहा कि, आपको राजनीतिक सत्ता बरकरार रखने के लिए कथात्मक शक्ति की आवश्यकता है और जब तक हम इसे हासिल नहीं कर लेते, हम एक दिशाहीन जहाज की तरह रहेंगे। इसके बाद आरएसएस का जिक्र करते हुए शांतिश्री ने कहा कि, मैं बचपन में बाल सेविका थी, आरएसएस के संगठन से ही मुझमें ऐसे संस्कार फलित हुए। मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि मैं आरएसएस से जुड़ी हूं और मुझे गर्व है कि मैं एक सेविका हूं। मुझे बिल्कुल संकोच नहीं है कि मैं हिंदू हूं।
इसके साथ हीं कुलपति शांतिश्री ने कहा कि, इन दिनों मैंने बख्तियारपुर में नालांदा विश्वविद्यालया का भी दौरा किया था। बख्तियारपुर का नाम बदलना चाहिए। इसके साथ शांतिश्री ने कहा कि, वामपंथ और आरएसएस की विचारधाराएं अलग-अलग हैं। 2014 के बाद से दोनों विचारधाराओं के बीच एक बड़ा बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि जब मैंने विश्वविद्यालय परिसर में राष्ट्रीय ध्वज और पीएम मोदी की तस्वीर लगाने का फैसला किया तो इसका विरोध किया गया तो उनसे मैंने कहा कि जब करदाताओं के पैसों से परिसर में मुफ्त खाना का आंनद लेते हो तो तिरंगे और पीएम मोदी की तस्वीर के साथ झुकना चाहिए। मैंने उनसे कहा कि वे देश के प्रधानमंत्री हैं। वह किसी पार्टी के नहीं है। आज एक साल से अधिक समय बीत चुका है किसी ने भी इसका विरोध नहीं किया।
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