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Space News: एक टुकड़ा काट रहा पृथ्वी का चक्कर, वैज्ञानिकों ने किया बड़ा दावा

India News(इंडिया न्यूज),Space News: अंतरिक्ष को लेकर कई सारे सवाल मन में उठते रहते है और अंतरिक्ष को लेकर हर वक्‍त तरह-तरह के शोध होते ही रहते हैं। जिसके बाद एक ताजा शोध में वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि, हमारी पृथ्‍वी के इर्द-गिर्द एक एस्टेरॉयड चक्‍कर काट रहा है। यह एस्टेरॉयड कुछ और […]

BY: Shubham Pathak • UPDATED :
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India News(इंडिया न्यूज),Space News: अंतरिक्ष को लेकर कई सारे सवाल मन में उठते रहते है और अंतरिक्ष को लेकर हर वक्‍त तरह-तरह के शोध होते ही रहते हैं। जिसके बाद एक ताजा शोध में वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि, हमारी पृथ्‍वी के इर्द-गिर्द एक एस्टेरॉयड चक्‍कर काट रहा है। यह एस्टेरॉयड कुछ और नहीं बल्कि पृथ्‍वी की नेचुरल सेटेलाइट के नाम से प्रचलित चंद्रमा का ही एक छोटा सा टुकड़ा है।इस मामले में वैज्ञानिकों द्वारा जानकारी साझा करने के लिए जारी रिपोर्ट के अनुसार इस एस्टेरॉयड का नाम कामो’ओलेवा है। यह एक गोल चट्टान के जैसी है, जो हर साल अप्रैल में पृथ्वी के 14.4 मिलियन किलोमीटर के भीतर परिक्रमा करती है। इसके साथ ही रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि भविष्‍य में यह एस्‍टेरॉयड काफी काम आएगा। इसके जरिए अन्‍य एस्‍ट्रेरॉयड को लेकर समझ पैदा करने में मदद मिलेगी।

वैज्ञानिकों का शोध

मिली जानकारी के अनुसार बता दें कि, कामो’ओलेवा में वैज्ञानिकों द्वारा देखे गए असामान्य गुणों के कारण अनुसंधान शुरू हुआ। जिसके बाद उन्होंने पाया कि, जिस तरह से यह एस्टेरॉयड प्रकाश को उत्सर्जित और सोख रहा है, उससे संकेत मिले कि यह संभवतः चंद्रमा की चट्टान से बना है। जिसके बारे में जानकारी देते हुए वैज्ञानिकों का कहना है कि, “हमने कामो’ओलेवा के स्पेक्ट्रम को केवल इसलिए देखा क्योंकि यह एक असामान्य कक्षा में था। यदि यह एक विशिष्ट निकट-पृथ्वी एस्टेरॉयड होता, तो किसी ने भी इसके स्पेक्ट्रम को खोजने के बारे में नहीं सोचा होता और हमें नहीं पता होता कि कामो’ओलेवा एक चांद का टुकड़ा हो सकता है।

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इसके साथ ही बता दें कि, सौर मंडल के चारों ओर इससे अधिक चंद्रमा के टुकड़े तैर सकते हैं। जिसके बाद शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में कहा कि, वस्तु के परावर्तन स्पेक्ट्रम की चांद से समानता और इसकी पृथ्वी जैसी कक्षा दोनों से पता चलता है कि इसकी उत्पत्ति चंद्र की सतह से हुई है। खोज के बारे में बोलते हुए, एरिजोना विश्वविद्यालय के ग्रह वैज्ञानिक रेनू मल्होत्रा ने एक बयान में कहा, “अब हम यह स्थापित कर रहे हैं कि चंद्रमा कामोओलेवा का अधिक संभावित स्रोत है।

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