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India News (इंडिया न्यूज),Qatar Dahra Global Case: कतर में 8 पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा सुनाई गई। इनमें आगरा कमांडर संजीव गुप्ता भी शामिल हैं। भारत की कार्रवाई के बाद पूर्व नौसैनिकों की फांसी पर रोक लग गई है। इसके बाद आगरा निवासी संजीव गुप्ता के परिवार में खुशी की लहर है। 90 साल के पिता राजपाल गुप्ता को भारत सरकार से पूरी उम्मीद है। उन्होंने भारत सरकार से मांग की है कि बेटे को सुरक्षित वापस लाकर परिवार से मिलाया जाए।
हाल ही में कतर की एक अदालत ने भारतीय नौसेना के 8 पूर्व कर्मियों को मौत की सजा सुनाई थी। इसके बाद पूर्व नौसैनिक के परिवार में मातम छा गया। मौत की सज़ा पर रोक लगने के बाद पूर्व नौसेना कमांडर संजीव गुप्ता के परिवार ने सरकार से उनकी रिहाई सुनिश्चित करने और उन्हें सुरक्षित भारत लाने की मांग की है।
संजीव को सजा होने की खबर सुनकर परिवार परेशान हो गया। आगरा के गांधी नगर निवासी संजीव गुप्ता के पिता राजपाल गुप्ता और उनकी मां का बयान सामने आया है। उनके पिता के साथ-साथ भतीजे संजीव ने कहा कि हमें अपनी सरकार पर पूरा भरोसा है। सरकार भी हर संभव प्रयास कर रही है। उम्मीद है कि जल्द ही चाचा और बाकी सभी भारतीय कर्मी अपने घर लौट आएंगे।
संजीव गुप्ता की बेटी पेशे से वकील हैं, जो अपनी मां के साथ भारत और कतर में मुकदमे की पैरवी कर रही हैं। गुरुवार को जब कतर की अदालत ने आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को मौत की सजा सुनाई तो भारत ने कहा था कि वह इस फैसले से बेहद हैरान है। इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है। ये सभी 8 भारतीय नागरिक अल दहरा कंपनी के कर्मचारी हैं जिन्हें पिछले साल जासूसी मामले में हिरासत में लिया गया था।
राजपाल गुप्ता ने बताया कि उनके बेटे संजीव ने भारतीय नौसेना से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली है। इसके बाद वह दिल्ली की एक कंपनी में नौकरी करने लगा। राजपाल ने बताया कि संजीव के दोस्तों ने उन्हें कतर जाने के लिए मना लिया और वहां अल दहरा कंपनी ने उन्हें अच्छे वेतन पर नौकरी की पेशकश की।
उन्होंने बताया कि इसके बाद साल 2018 में संजीव अपनी पत्नी और इकलौती बेटी के साथ कतर चले गये। इस दौरान वह समय-समय पर भारत और आगरा परिवार से मिलने आते रहे। राजपाल गुप्ता ने रुंधे गले से बताया कि संजीव आखिरी बार मार्च 2022 में घर आए थे। इसके बाद वह अपनी पत्नी और बेटी को दिल्ली में छोड़कर अकेले कतर चले गए। उसके बाद से वह यहां नहीं आये। परिवार को अब कतर से सुरक्षित लौटने की उम्मीद है।
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