होम / Story Of Ukraine : " यूक्रेन और रूस के आपस में कितने जुड़े हैं तार", आइए जानते हैं?

Story Of Ukraine : " यूक्रेन और रूस के आपस में कितने जुड़े हैं तार", आइए जानते हैं?

Suman Tiwari • LAST UPDATED : March 5, 2022, 3:38 pm IST
ADVERTISEMENT

संबंधित खबरें

Story Of Ukraine :

Story Of Ukraine

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Story Of Ukraine: लगभग 8 साल से यूक्रेन और रूस के बीच के तनाव ने पूरी दुनिया को खतरनाक मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है। पड़ोसी देशों की तरह यूक्रेन और रूस के बीच साझी विरासत का एक इतिहास है, जो दोनों को जोड़ने के साथ-साथ अलग भी करती है।

आपको बता दें कि ये कहानी नवीं सदी में मौजूदा यूक्रेन की राजधानी कीएव से शुरू होती है। कीएव प्रथम स्लाविक साम्राज्य की राजधानी थी। इस राज्य का गठन स्कैंडिनेवियन कबीले ने किया था जो स्वंय को रूस कहते थे। यही महान मध्याकालीन राज्य बाद में कीएवियन रूस कहलाया। रूस और यूक्रेन दोनों का जन्म इसी महान साम्राज्य से हुआ है। 12वीं सदी में मॉस्को की स्थापना हुई थी। तब ये शहर कीएवियन रूस साम्राज्य की उत्तर-पूर्वी सरहद थी। (How many wires are connected between Ukraine and Russia)

Story Of Ukraine

Ukraine’s capital Kyiv

”तीन साल में 16 बार बदली सत्ता ”  (Story Of Ukraine)

यूरोप में कीव को हीरो सिटी कहा जाता है। दुनिया का यह पहला शहर है जहां द्वितीय युद्ध के बाद रूस में कम्युनिस्ट बोल्सेविकों के सत्ता में आने के बाद महज तीन साल में 1919 से 1921 के बीच 16 बार सत्ता बदली। कब्जा और आजादी का खेल खेला गया। तीन साल में 16 बार सत्ता परिवर्तन के बाद न यूरोप समर्थित पोलैंड और न रूसी रेड आर्मी कब्जा रख पाया तो अंत में 1921 की रीग संधि में इसे आपस में ईस्टर्न और वेस्टर्न यूक्रेन में बांट कर रख लिया।

क्यों नौ सदियों तक यूक्रेन का अनुभव अलग रहा?

  • इस साम्राज्य में ओर्थोडॉक्स क्रिश्चियन धर्म का बोलबाला था। साल 988 में कीएव सम्राट व्लादिमीर प्रथम या सेंट व्लादिमीर स्वयातोस्लाविच द ग्रेट ने इस मत को अपनाया था और व्लादिमीर प्रथम ने मध्यकालीन रूस राज्य का विस्तार मौजूदा बेलारूस, रूस और यूक्रेन से लेकर बालटिक सागर तक किया। इस सारे क्षेत्र में बोली जाने वाली कई बोलियों से बेलारूसी, यूक्रेनी और रूसी भाषाएं निकलीं। ये साझी विरासत तीनों देशों को सांस्कृतिक रूप से जोड़ती है।
  • यूनिवर्सिटी कॉलेज आफ लंदन में यूक्रेनियन स्टडीज कहती है कि, “यूक्रेन को एक क्षेत्र या एक पहचान में बांधने के बजाय एक ‘उलझी पहेली’ की तरह देखना जरूरी है”। 13 वीं सदी में रूस राज्य के कई सूबों पर मंगोल साम्राज्य का कब्जा हो गया था। लेकिन 14 वीं सदी में कमजोर होते मंगोल राज का फायदा मॉस्को और लिथुएनिया नाम की दो सूबों को हुआ।
  • इन दोनों ने रूस को आपस में बांट लिया। वहीं कुछ जानकारों का कहना है कि दोनों देशों की उत्पति बेशक एक ही राज्य से हुई हो पर बीती नौ सदियों में यूक्रेन का अनुभव अलग रहा है। क्योंकि उसकी तकदीर का फैसला अलग-अलग समय पर अलग-अलग ताकतों ने किया है।

क्या पश्चिमी यूक्रेन से अलग है पूर्वी यूक्रेन? (Story Of Ukraine)

  • कीएव और इसके आस-पास के क्षेत्र पर लिथुएनिया सूबे का कब्जा हुआ। यही लोग यहां रेनेसां और सुधारवादी विचारधारा लेकर आए। पश्चिमी यूक्रेन के एंड गैलिसिया या कारपेथिन गैलिसिया क्षेत्र पर हैब्सबर्ग साम्राज्य का राज रहा। उस इलाके में अब भी उस काल की सांस्कृतिक विरासत देखी जा सकती है।
  • रूस के एक विख्यात इतिहासकार जॉफरी होस्किंग ने बताया था, “पश्चिमी यूक्रेन का इतिहास पूर्वी यूक्रेन से एकदम अलग रहा है”। पश्चिमी यूक्रेन में कई लोग रशियन आॅर्थोडॉक्स चर्च के अनुयायी नहीं है। वे ईस्टर्न कैथोलिक चर्च को मानने वाले हैं। ये मत पोप को अपना अध्यात्मिक गुरु मानती है।
  • इसके अलावा यूक्रेन का क्राइमिया क्षेत्र भी बाकी देश से काफी अलग है। यहां का संबंध ग्रीक और तातार लोगों से रहा है और मध्यकाल में क्राइमिया रूसी एवं आॅटोमन साम्राज्य के अधीन भी रहा है। 17 वीं सदी में लिथुएनिया-पोलैंड के राष्ट्रमंडल और रूस के जार सम्राटों के बीच युद्ध ने डनाइपर नदी के पूर्व के सारे इलाके रूस नियंत्रण में चले गए।
  • यूक्रेन के लोग इस क्षेत्र को अपना ‘बायां किनारा’ मानते थे। मौजूदा यूक्रेन जहां हैं, उसके मध्य और उत्तर पश्चिमी इलाके में 17वीं शताब्दी में एक राज्य था, जिसे साल 1764 में रूस की साम्राज्ञी कैथरीन द ग्रेट ने विलय कर लिया। उन्होंने पोलैंड के अधिकार वाले यूक्रेन के इलाके पर भी अधिकार हासिल कर लिया।
  • आने वाले सालों में एक नीतिगत आदेश के तहत यूक्रेन की भाषा के उपयोग और अध्ययन पर रोक लगा दी गई। आस्था को लेकर भी लोगों पर दबाव बनाया गया और इस तरह एक ‘छोटी जातीय’ समूह की रचना कर दी गई।

कैसे हुआ सोवियत संघ का गठन?

  • इसी बीच पश्चिम के कई देशों में राष्ट्रवाद की लहर चली। इसका असर पोलैंड से लेकर आस्ट्रिया तक नजर आया। इस दौरान यहां कई लोगों ने रूस के लोगों से अलग दिखाई देने के लिए खुद को ‘यूक्रेनी’ बताना शुरू कर दिया। लेकिन, 20 वीं सदी में रूस की क्रांति हुई और सोवियत संघ का गठन हुआ। इस दौरान ‘यूक्रेन से जुड़ी पहेली’ को नई शक्ल मिली। सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन ने दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति पर पोलैंड से पश्चिमी यूक्रेन का अधिकार हासिल कर लिया।
  • 1950 के दशक में मॉस्को ने क्राइमिया को यूक्रेन के हवाले कर दिया। ये सोवियत संघ का ही हिस्सा था। इस फैसले के बाद भी रूस से गहरे संपर्क कायम रहे और ब्लैक सी में रूस का जो बेड़ा था, वो सांकेतिक रूप से इसकी पुष्टि करता था। सोवियत सरकार ने यूक्रेन पर और जोरदारी के साथ रूस का प्रभाव थोपने की कोशिश की। कई बार यूक्रेन को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही थी।
  • 1930 के दशक में सोवियत संघ का हिस्सा रहे यूक्रेन के लाखों लोग स्टालिन की ओर से जबरन थोपे गए अकाल की वजह से मारे गए। इसके बाद स्टालिन ने वहां बड़ी संख्या में सोवियत लोगों को बसाया। इनमें से कई यूक्रेनी भाषा नहीं बोल पाते थे। इस इलाके से उनके संपर्क और संबंध भी बेहद सीमित थे। ये कोशिश पूर्वी इलाके को फिर से बसाने की थी। हालांकि, सांस्कृति रूप से सोवियत संघ कभी यूक्रेन पर आधिपत्य साबित नहीं कर सका।

यूक्रेन के किस हिस्से में आज भी लोग रूसी भाषा बोलते हैं?

  • होस्किंग के मुताबिक केंद्र की ओर से आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य फैसले भले ही थोपे जाते रहे लेकिन सांस्कृतिक और शिक्षा के क्षेत्र में यूक्रेन के पास एक ‘खास स्वायत्तता’ थी। दबदबा भले ही रूसी भाषा का था लेकिन प्राइमरी स्कूल में बच्चे यूक्रेनी भाषा सीखते रहे। इस भाषा में कई किताबें छपी। ’20वीं सदी के दूसरे हिस्से में यूक्रेनी में शिक्षित लोगों के बीच एक मजबूत राष्ट्रवादी अभियान शुरू हुआ।’
  • साल 1991 में सोवियत संघ बिखर गया और साल 1997 में रूस और यूक्रेन के बीच संधि हुई। इसके जरिए यूक्रेन की सीमाओं की अखंडता की पुष्टि हुई। लेकिन देश के अलग-अलग इलाकों में कुछ ऐसी खामियां रह गईं जिससे दरारें बनी रही हैं। यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में लोगों के रूस के साथ गहरे रिश्ते हैं। यहां रहने वाले लोग रूसी भाषा बोलते हैं और रुढिवादी हैं। यूक्रेन के पश्चिमी हिस्से में पश्चिमी देशों का प्रभाव नजर आता है। पोलैंड और हंगरी का असर यहां दिखता है। यहां रहने वाले कैथलिक हैं और अपनी भाषा बोलते हैं।

”यूक्रेनी राज्य का विचार रूसियों के लिए एक कल्पना है”

  • आपको बता दें कि हाल ही में व्लादिमीर पुतिन ने घोषणा की थी कि रूसी और यूक्रेनी लोग एक हैं। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आधुनिक यूक्रेन को बोल्शेविक यानी एक कम्युनिस्ट आविष्कार मानते हैं। बोल्शेविक रूसी कम्यूनिस्ट पार्टी का मार्कसिस्ट ग्रुप है, जिसकी स्थापना व्लादिमीर लेनिन ने की थी। यूक्रेनी राज्य का विचार रूसियों के लिए एक कल्पना है, जो वास्तव में कोई देश है ही नहीं।
  • ऐसे में यूक्रेन पर हमला करना किसी संप्रभु देश में सैन्य हस्तक्षेप करने जैसा कुछ नहीं है। बताया जाता है कि ऐतिहासिक रूप से, आधुनिक यूक्रेन के कुछ हिस्से काफी समय तक शाही रूस के अधीन थे। वहीं, कुछ अन्य हिस्से लिथुआनिया के ग्रैंड डची के कब्जे में भी रहे।
  • लिथुआनिया का ग्रैंड डची पोलैंड और आस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्य का हिस्सा था। 1600 के दशक के अंत में यूक्रेन और क्रीमिया के कई इलाके तुर्की के ओटोमन साम्राज्य के जागीरदार थे। लेकिन एक राजनीतिक इकाई के रूप में यूक्रेन का इतिहास वाइकिंग्स के साथ शुरू हुआ।

Story Of Ukraine

READ ALSO: Russia Ukraine War Harmful For India : जानिए कैसे, रूस पर लगी पाबंदियों का असर भारत के रक्षा आयात पर पड़ेगा?

READ ALSO: Ukraine Crisis Today Latest Updates : क्या रूसी हमले से पहले यूक्रेन में फंसे नागरिकों के लिए सभी देशों ने जारी की थी एडवाइजरी?

Connect With Us : Twitter | Facebook 

Tags:

Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

महाराष्ट्र और झारखंड में रुझानों के बीच दिल्ली भाजपा मुख्यालय में जलेबियों ने पकड़ी आंच, फैसलों से पहले ही हुआ मिठाई का इंतजाम
महाराष्ट्र और झारखंड में रुझानों के बीच दिल्ली भाजपा मुख्यालय में जलेबियों ने पकड़ी आंच, फैसलों से पहले ही हुआ मिठाई का इंतजाम
300 पार शुगर को खत्म कर देगा ये हरा पत्ता? खाना नहीं है…बस 15 दिनों तक करें ये काम
300 पार शुगर को खत्म कर देगा ये हरा पत्ता? खाना नहीं है…बस 15 दिनों तक करें ये काम
जिस पुलिस अफसर ने महिलाओं पर तानी थी बंदूक, उसे मिलेगा सम्मान; जानें क्या है पूरा मामला?
जिस पुलिस अफसर ने महिलाओं पर तानी थी बंदूक, उसे मिलेगा सम्मान; जानें क्या है पूरा मामला?
Bihar Liquor Scam: शराब तस्करों पर गिरेगी गाज! सख्त कार्रवाई के साथ 9000 से अधिक के नाम लिस्ट में
Bihar Liquor Scam: शराब तस्करों पर गिरेगी गाज! सख्त कार्रवाई के साथ 9000 से अधिक के नाम लिस्ट में
इस पौधे के जहर के आगे सांप भी फेल, कहीं दिख जाएं तो दूर से भाग लें
इस पौधे के जहर के आगे सांप भी फेल, कहीं दिख जाएं तो दूर से भाग लें
हो गया Virat Kohli की खराब किस्मत का इलाज? जानें ऐसे क्या हुआ कि अनुष्का भाभी के साथ उछल पड़े फैंस
हो गया Virat Kohli की खराब किस्मत का इलाज? जानें ऐसे क्या हुआ कि अनुष्का भाभी के साथ उछल पड़े फैंस
Delhi Pollution News: दिल्ली की जहरीली हवा का कहर जारी , गंभीर स्तर पर पहुंचा AQI
Delhi Pollution News: दिल्ली की जहरीली हवा का कहर जारी , गंभीर स्तर पर पहुंचा AQI
बादाम कैसे शरीर में जाकर बन जाता है जहर? खाने से पहले जान लें ये बातें…वरना पछताना पड़ेगा
बादाम कैसे शरीर में जाकर बन जाता है जहर? खाने से पहले जान लें ये बातें…वरना पछताना पड़ेगा
खींवसर में कौन जीतेगा बेनीवाल की पत्नी या BJP प्रत्याशी? समर्थकों ने लगाई 5-5 लाख की शर्त
खींवसर में कौन जीतेगा बेनीवाल की पत्नी या BJP प्रत्याशी? समर्थकों ने लगाई 5-5 लाख की शर्त
Bihar AQI: बिहार के 20 जिलों में हवा हुई जहरीली! स्वास्थ्य पर पड़ सकता है गहरा असर
Bihar AQI: बिहार के 20 जिलों में हवा हुई जहरीली! स्वास्थ्य पर पड़ सकता है गहरा असर
इस एक बीमारी के होते ही महिलाओं में रुक जाता है पीरियड्स का आना? शरीर को सड़ा देती है ये एक कमी
इस एक बीमारी के होते ही महिलाओं में रुक जाता है पीरियड्स का आना? शरीर को सड़ा देती है ये एक कमी
ADVERTISEMENT