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India News (इंडिया न्यूज़), Supreme Court On Teesta Setalvad, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को अंतरिम संरक्षण दिया है। सीतलवाड़ को अदालत ने गुजरात हाई कोर्ट के आदेश पर 7 दिनों की रोक लगाकर अंतरिम संरक्षण प्रदान की है।
गुजरात दंगे से जुड़े झूठे सबूत देने के मामले में शनिवार, 1 जुलाई को ही गुजरात हाई कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ की नियमित जमानत खारिज कर दी थी। इसके साथ ही उन्हें आत्मसमर्पण करने को कहा था। सीतलवाड़ ने गुजरात हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
Supreme Court grants interim protection to activist Teesta Setalvad by staying for seven days the order of the Gujarat High Court asking her to surrender immediately.
Her regular bail was rejected by the Gujarat High Court today in a case of alleged fabrication of evidence in… pic.twitter.com/ocZMgrV7lP
— ANI (@ANI) July 1, 2023
सीतलवाड़ की याचिका पर शनिवार रात करीब सवा 9 बजे जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने सुनवाई शुरू की थी। जिसमें जस्टिस दीपांकर दत्ता और एएस बोपन्ना भी शामिल थे। गुजरात सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि किसी भी व्यक्ति को जमानत को चुनौती देने के लिए 7 दिन का समय क्यों नहीं दिया जाना चाहिए। जबकि इतने लंबे वक्त से वह बाहर हैं।
गुजरात सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस पर कहा, “इस मामले को जिस सहज तरीके से पेश किया गया है, ये उससे कहीं ज्यादा संगीन है। एसआईटी (2002 गोधरा दंगा मामले पर) सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित की गई थी और जिसने समय-समय पर रिपोर्ट दाखिल की है।” एसआईटी को गवाहों ने बताया कि तीस्ता सीतलवाड़ ने उन्हें बयान दिया था। उनका फोकस एक स्पेशल पहलू पर था जो कि गलत पाया गया। उन्होंने कहा कि तीस्ता सीतलवाड़ ने झूठे हलफनामे दायर किए।
सीतलवाड़ की तरफ से पेश हुए वकील सीयू सिंह ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि पिछले वर्ष 22 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी मुवक्किल को अंतरिम जमानत दी थी। उन्होंने बताया कि जमानत की किसी भी शर्त का तीस्ता सीतलवाड़ ने उल्लंघन नहीं किया है।
बता दें कि SC ने पाया कि दस महीने से सीतलवाड़ जमानत पर थीं। अदालत ने सीतलवाड़ को हिरासत में लेने की तात्कालिकता के बारे में भी पूछा? शीर्ष कोर्ट ने कहा, “अगर अंतरिम संरक्षण दिया गया तो क्या आसमान गिर जाएगा… हाई कोर्ट ने जो किया उससे हमें आश्चर्य हुआ। इतनी चिंताजनक तात्कालिकता क्या है?”
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