India News (इंडिया न्यूज),Advanced Towed Artillery Gun System:अपनी रक्षा के लिए भारत ने एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) की खरीद को मंजूरी दे दी है। इसके लिए कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने करीब 7000 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। इससे करीब 307 ATAGS खरीदे जाएंगे, जिन्हें पाकिस्तान और चीन से लगती सीमाओं पर तैनात किया जाएगा। इसके साथ ही रक्षा मंत्रालय ने 54 हजार करोड़ रुपये के सैन्य उपकरणों की खरीद को मंजूरी दी है, जिसमें एयरबोर्न अर्ली वार्निंग सिस्टम, वरुणास्त्र टॉरपीडो और टी-90 टैंकों के लिए नए इंजन शामिल हैं। आइए जानते हैं क्या है ATAGS, जिसे गेम चेंजर कहा जा रहा है? 48 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकता है ATAGS पहली ऐसी गन है, जिसे भारत में ही डिजाइन, विकसित और निर्मित किया गया है। 155 एमएम की यह आर्टिलरी गन अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और दूर तक मार करने की क्षमता रखती है। इस आर्टिलरी गन सिस्टम में 52 कैलिबर की लंबी बैरल लगाई गई है। इससे इसकी फायरिंग रेंज 48 किलोमीटर हो जाती है। इस तोप की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), महिंद्रा डिफेंस नेवल सिस्टम, भारत फोर्ज लिमिटेड, टाटा पावर स्ट्रेटेजिक और ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड ने मिलकर पूरी तरह भारत में ही विकसित किया है।
एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम नाम से ही पता चलता है कि यह एक ऐसी तोप है जिसे ट्रक से खींचा जा सकता है। इसे हॉवित्जर यानी छोटी तोप भी कहते हैं। ये बहुत हल्की होती हैं, जिन्हें काफी ऊंचाई पर तैनात किया जा सकता है। बोफोर्स तोप की तरह ये तोपें भी एक गोला दागने के बाद खुद ही कुछ दूर तक जा सकती हैं। इसीलिए इन्हें स्वदेशी बोफोर्स भी कहा जाता है। ये माइनस 35 से 75 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में काम कर सकती हैं। इनसे हर मिनट पांच गोले दागे जा सकते हैं। इसमें ऑटोमैटिक मोड फायरिंग और कम्युनिकेशन सिस्टम है।
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स्वदेशी निजी भागीदारों के सहयोग से विकसित इस तोप में 65 फीसदी से ज्यादा कलपुर्जे स्वदेशी हैं। इनमें बैरल, ब्रीच मैकेनिज्म, थूथन ब्रेक, फायरिंग और रिकॉइल सिस्टम से लेकर एम्यूनिशन हैंडलिंग मैकेनिज्म तक शामिल हैं। इसका नेविगेशन सिस्टम, सेंसर और थूथन वेलोसिटी रडार भी हमारे देश में ही विकसित किया गया है। इससे न सिर्फ भारत के रक्षा उद्योग को मजबूती मिलेगी, बल्कि आयात पर निर्भरता भी कम होगी। स्वदेशी सिस्टम से लैस होने के कारण इन तोपों के स्पेयर पार्ट्स की चिंता नहीं रहेगी और मरम्मत के लिए किसी पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
ATAGS 105 एमएम और 130 एमएम की पुरानी तोपों की जगह लेगी। इन्हें देश की पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी सीमा पर तैनात किया जाएगा, जिससे हमारे सुरक्षा बल मजबूत होंगे। दरअसल, ATAGS का विकास साल 2013 में शुरू हुआ था। इसका पहला सफल परीक्षण 14 जुलाई 2016 को किया गया था। साल 2017 में इन तोपों को गणतंत्र दिवस परेड में भी शामिल किया गया था। जून 2021 में 15 हजार फीट की ऊंचाई पर इनका परीक्षण भी सफल रहा था।
इन तोपों को यूं ही गेम चेंजर नहीं कहा जा रहा है। DRDO के एक वैज्ञानिक का दावा है कि ATAGS दुनिया की सबसे बेहतरीन तोप है और इस क्षमता वाली तोप इजरायल जैसे देश के पास भी नहीं है। चीन और पाकिस्तान ही नहीं, कोई भी देश अब तक ATAGS जैसी उच्च तकनीक पर ऐसी मारक क्षमता वाली तोप नहीं बना पाया है। यह दुनिया में सबसे लंबी दूरी यानी 48 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है। इसलिए दुश्मन को उसके करीब गए बिना ही नष्ट किया जा सकता है।
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