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ट्रैकिंग और कैंपिंग के लिए बेहतरीन हैं भारक की ये 5 जगहें

Trekking and camping: आजकल ट्रैकिंग करना बहुत से लोगों को पसंद है। यह प्रकृति के करीब जाने और अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का एक बेहतरीन तरीका है।

BY: Divyanshi Singh • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज),Trekking and camping: आजकल ट्रैकिंग करना बहुत से लोगों को पसंद है। यह प्रकृति के करीब जाने और अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का एक बेहतरीन तरीका है। ट्रैकिंग के दौरान पहाड़ी इलाकों, जंगलों और प्राकृतिक सुंदरता में घूमने का मौका मिलता है। जहां हम तरोताजा माहौल का आनंद ले सकते हैं। भागदौड़ और तनाव के बीच कुछ देर के लिए टहलने या ट्रैकिंग पर जाना और पर्यावरण में समय बिताना मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है। जब हम प्रकृति के करीब होते हैं, तो हमें प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेने का मौका मिलता है जो सकारात्मकता देता है।

लंबी ट्रैकिंग के लिए कई दिनों तक पैदल चलना पड़ सकता है। ऊंचाई पर ट्रैकिंग में पहाड़ों पर चढ़ना शामिल है, जो व्यक्ति के लिए अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है। जिसके लिए विशेष तैयारी की आवश्यकता होती है।

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Trekking and camping

खीरगंगा ट्रैक

धार्मिक स्थल खीरगंगा ट्रैकिंग के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है। यह समुद्र तल से लगभग 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। आप खीरगंगा के रास्ते पिन पार्वती दर्रे पर चढ़ सकते हैं। यहां कई पर्यटक जाते हैं, जो स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का कारण बनता है। यहां जाने के लिए अक्टूबर का समय सबसे अच्छा रहेगा। यहां कई ट्रैकिंग रूट हैं। यहां पहुंचने के लिए आप किसी स्थानीय गाइड की मदद ले सकते हैं।

डोडीताल ट्रैक

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित डोडीताल भी ट्रैकिंग के लिए काफी लोकप्रिय है। इसकी शुरुआत संगम पट्टी गांव से होती है। ट्रैकिंग के दौरान आपको बर्फ से लदे पेड़ और गंगोत्री घाटी की चोटियां देखने को मिलेंगी। आप रास्ते में कुछ गांवों में रात बिता सकते हैं।

कुंजा खड़क ट्रैक

उत्तराखंड में कुंजा खड़क ट्रैक पंगोट से शुरू होता है। बड़े-बड़े देवदार के पेड़ों के बीच जंगल से होते हुए ट्रैक पर जाने का मजा आप ले सकते हैं। नेपाल और भारत की सीमा को बांटने वाली कुंज रोड पर राप्ती नदी दिखेगी। इस जगह पर ट्रैकिंग के लिए अक्टूबर का महीना सबसे अच्छा रहेगा।

सीताबनी ट्रैक

यह ट्रैक उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट में सीताबनी मंदिर से शुरू होकर भोला मंदिर पर खत्म होता है। घने जंगलों के बीच आपको 8 से 10 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी। घने पेड़ों के अलावा रास्ते में शेर, हाथी और नेवले जैसे जंगली जानवर भी देखने को मिल सकते हैं। इसलिए यहां जाते समय कई सावधानियां बरतनी चाहिए। आपको एक स्थानीय गाइड को साथ ले जाना चाहिए।

बिनसर जीरो पॉइंट

उत्तराखंड का बिनसर भी ट्रैकिंग के लिए एकदम सही है। यहां आपको प्रकृति के खूबसूरत नज़ारे के साथ-साथ कई तरह के पक्षी देखने को मिलेंगे। यह ट्रैक बिनसर वन्यजीव अभ्यारण्य से होकर गुजरता है और यह बहुत ही आसान ट्रैक है।

ट्रैकिंग से पहले कई तैयारियां कर लेनी चाहिए। सबसे पहले मेडिकल हेल्थ चेकअप करवाना बहुत ज़रूरी है। इसके बाद सही कपड़े चुनना, पर्याप्त मात्रा में पानी और खाना ले जाना और ट्रैकिंग रूट के बारे में पूरी जानकारी लेना ज़रूरी है। आरामदायक जूते और मौसम के हिसाब से जगह की योजना बनाना ज़रूरी है। इसके अलावा मेडिकल किट भी साथ रखनी चाहिए, क्योंकि कई बार चोट लगने की संभावना रहती है।

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