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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
राजधानी दिल्ली के मुंडका अग्निकांड मामले में अदालत ने इमारत के मालिक मनीष लकड़ा और फैक्ट्री के मालिकों हरीश गोयल और वरुण गोयल को एक दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है। पश्चिमी दिल्ली के मुंडका मेट्रो स्टेशन के पास 13 मई को चार मंजिला व्यावसायिक इमारत में लगी आग की घटना में कुल 27 लोगों की मौत हो गई थी। कई लोग अभी भी लापता हैं। इस इमारत में सीसीटीवी कैमरे और राउटर बनाने की कंपनी का ऑफिस था। इस इमारत के पास फायर डिपार्टमेंट की NOC नहीं थी, ना ही आग बुझाने के उपकरण मौजूद थे।
दिल्ली पुलिस ने इमारत के मालिक मनीष लाकड़ा को रविवार को गिरफ्तार किया था। आग लगने के दौरान मनीष अपने परिवार के साथ बिल्डिंग के ऊपरी मंजिल पर मौजूद था। क्रेन की मदद से परिवार समेत नीचे उतरकर फरार हो गया था। मनीष को पकड़ने के लिए पुलिस की टीमें लगातार छापेमारी कर रही थीं। जिसके बाद उन्हें रविवार को कामयाबी मिली।
पुलिस उपायुक्त (बाहरी) समीर शर्मा ने बताया था कहा कि “हमें सूचना मिली थी कि मनीष लकड़ा हरिद्वार जा रहा है। हमने जाल बिछाया और दिल्ली तथा हरियाणा में कई जगहों पर छापे मारकर उसे घेवरा मोड़ पर पकड़ लिया।” दिल्ली पुलिस ने कंपनी के मालिक हरीश गोयल और विजय गोयल को घटना के संबंध में 13 मई को ही गिरफ्तार कर लिया था।
सोमवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की एक टीम ने मुंडका में आग वाली व्यावसायिक इमारत का दौरा किया था। डीआईजी सुनील कुमार मीणा के नेतृत्व वाले इस दल में चार सदस्य शामिल हैं। ये सदस्य क्रमश: पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) एम.एस.गिल, डीएसपी कुलबीर सिंह, निरीक्षक कुलवंत सिंह और निरीक्षक अरुण त्यागी हैं।
एनएचआरसी ने रविवार को दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी है। इस नोटिस में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई और राहत एवं पुनर्वास की स्थिति तय करना शामिल है। आयोग ने पाया कि सरकारी कर्मचारियों के वैधानिक कर्तव्यों के प्रति पूर्ण उदासीनता के कारण मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ है। हादसे के बाद से ही कई लोगों के लापता हैं। लापता लोगों के परिजन उनकी तलाश में अस्पतालों और थाने के चक्कर लगाने को मजबूर हैं।
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