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Udaipur Vidhan Sabha Seat: उदयपुर सीट पर रहा है बीजेपी का दबदबा, क्या इस बार उलटफेर कर पाएगी कांग्रेस

India News (इंडिया न्यूज), Udaipur Vidhan Sabha Seat: राजस्थान का वह शहर जो देश-दुनिया में अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है, झीलों का शहर के नाम से जाना जाने वाला उदयपुर जहां हर साल लाखों की संख्या में टूरिस्ट आते-जाते रहते हैं। प्रदेश की सियासत में उदयपुर शहर विधानसभा सीट के लिए बेहद खास माना […]

BY: Himanshu Pandey • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Udaipur Vidhan Sabha Seat: राजस्थान का वह शहर जो देश-दुनिया में अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है, झीलों का शहर के नाम से जाना जाने वाला उदयपुर जहां हर साल लाखों की संख्या में टूरिस्ट आते-जाते रहते हैं। प्रदेश की सियासत में उदयपुर शहर विधानसभा सीट के लिए बेहद खास माना जाता है। यहां से मोहनलाल सुखाड़िया, भानू कुमार शास्त्री, डॉ. गिरिजा व्यास और गुलाबचंद कटारिया सहित कई दिग्गज चुनाव लड़कर केंद्र और राजस्थान की सियासत में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लेकिन अब देखना यह है कि बीजेपी के कटारिया के सामने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. गिरिजा व्यास का इस सीट पर कितना प्रभाव रहेगा, तो चलिये जानते हैं इस सीट के बारे में पुरा इतिहास…

इस सीट से पिछले 4 विधानसभा चुनावों में यहां से बीजेपी के गुलाबचंद कटारिया लगातार इस सीट पर काबिज हैं। यहां से चुनाव को जीतकर वह कभी गृह मंत्री, तो कभी विपक्ष में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर कब्जा किये हुए हैं। जो कि अब कटारिया के राज्यपाल बनने के बाद अब यह सीट खाली पड़ी है।

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इस सीट पर कितनी आबादी?

बता दें कि, साल 2018 के चुनाव में उदयपुर विधानसभा सीट (Udaipur Vidhan Sabha Seat) पर बीजेपी के गुलाबचंद कटारिया ने चुनाव जीतकर apnir जगह बनाई थी। उदयपुर सीट पर 11 उम्मीदवारों के बीच यह मुकाबला था, जिसमें कटारिया ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस उम्मीदवार गिरिजा व्यास को 9,307 वोटों के अंतर से हराया था। वहीं यहां पर चुनौती देने की कोशिश में जुटी आम आदमी पार्टी के भरत कुमावत को सिर्फ 531 वोट ही मिले थे। वहीं 5 साल पहले के चुनाव के आधार पर उदयपुर सीट पर वोटर्स की संख्या कुल 2,35,592 थी, जिसमें पुरुष मतदाता 1,19,478 रहे और महिला मतदाता की संख्या 1,16,113 थी। जिसमें से 1,56,620 (67.4%) लोगों ने वोटिंग किया था। 2,051 (0.9%) वोट नोटा के पक्ष में पड़े थे।

उदयपुर सीट का राजनीतिक इतिहास

उदयपुर सीट के राजनीतिक इतिहास की अगर बात करें तो यह सीट कई दिग्गजों के लिए मशहूर रही है। साल 1990 से इसके सफर की बात की जाये तो साल 1990 में बीजेपी के शिव किशोर सनाढ्य यहां से चुनाव जीते और 1993 में भी यह जीत उनके ही पास ही रही। इसके बाद 1998 में इस सीट पर कांग्रेस के त्रिलोक पूर्बिया ने जीत हासिल की थी।
फिर 2003 में बीजेपी के दिग्गज नेता गुलाबचंद कटारिया उदयपुर में फिर से वापसी की और इस सीट पर अपना कब्जा जमा लिया। कटारिया यहां से लगातार 4 बार चुनाव जीत चुके हैं। यानी 2003, 2008, 2013 और 2018 बीजेपी की झोली में कमान डालते रहे। उदयपुर से विधायक के साथ ही वह 2 बार प्रदेश के गृह मंत्री और 2 बार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी बने रहे। वहीं पिछले चुनाव में उन्होंने कांग्रेस की डॉ. गिरिजा व्यास को 9200 वोटों से मात देकर अपनी कुर्सी को काबिज रखा।

इस समाज के लोगों का सीट पर ज्यादा प्रभाव

राजस्थान विधानसभा संघ की सीटों में उदयपुर सीट बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती रही है। जीत के फैक्टर में यहां जैन-ब्राह्मण की ससर्वाधिक वोट होता है। सबसे ज्यादा मतदाता जैन समाज के हैं, उसके बाद दूसरे नंबर पर ब्राह्मण समाज के वोटर्स किसी प्रत्याशी की जीत में बेहद अहम भूमिका निभाते हैं।

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इसके साथ ही ओबीसी वोटर्स भी अच्छी निर्णायक संख्या में रहते हैं। कटारिया की जीत के पीछे जैन-ब्राह्मण के साथ मुस्लिम वोटबैंक उनके साथ माना जाता रहा।

पर्यटन स्थल और देवी देवताओं का वास

उदयपुर शहर की अपनी एक अलग पहचान है। यह देश के खूबसूरती में से चार चांद लगाती है। उदयपुर में हर साल लाखों की संख्या में टूरिस्ट आते हैं। प्रमुख रूप से इन पर्यटन स्थलों पर बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं जिनमें सिटी पैलेस, सहेलियों की बाड़ी, फतेहसागर झील, पिछोला झील, शिल्पग्राम, गुलाब बाग और दूध तलाई के साथ अन्य कई पर्यटन स्थल इसमे शामिल है। वहीं धार्मिक स्थलों की अगर बात की जाये तो इसमें भगवान एकलिंग नाथ जी का मंदिर है। भगवान महाकालेश्वर का मंदिर, भगवान जगदीश का मंदिर, श्री बोहरा गणेश जी का मंदिर, श्रीनाथ जी का मंदिर, नीमच माता और करणी माता का मंदिर है जहां बड़ी संख्या में लोग पहुँचते हैं।

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