India News (इंडिया न्यूज), Union Cabinet Approved This Schemes: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार (25 नवंबर, 2024) को कई महत्वपूर्ण योजनाओं को मंजूरी दी, जिसमें पैन प्रणाली में व्यापक सुधार, भारतीय रेलवे की तीन मल्टीट्रैकिंग परियोजनाएं, प्राकृतिक खेती पर स्नातक पाठ्यक्रम प्रदान करना और अरुणाचल प्रदेश में दो जलविद्युत संयंत्रों का निर्माण शामिल है। मंत्रिमंडल ने आयकर विभाग की पैन 2.0 परियोजना को मंजूरी दी, जिससे करदाता पंजीकरण सेवाओं में प्रौद्योगिकी-संचालित परिवर्तन संभव होगा। इसके तहत, सिस्टम को अपग्रेड किया जाएगा, जिससे पूरी प्रक्रिया कागज रहित हो जाएगी और व्यवसायों के पास एक ही पहचानकर्ता होगा।
हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट बैठक के बाद एक ब्रीफिंग में संवाददाताओं से कहा कि, “पैन कार्ड हमारे जीवन का हिस्सा है, जो मध्यम वर्ग और छोटे व्यवसायों के लिए महत्वपूर्ण है। इसे अत्यधिक अपग्रेड किया गया है और आज पैन 2.0 को मंजूरी दी गई है। मौजूदा सिस्टम को अपग्रेड किया जाएगा और डिजिटल बैकबोन को नए तरीके से लाया जाएगा। एक एकीकृत पोर्टल होगा, यह पूरी तरह से कागज रहित और ऑनलाइन होगा। शिकायत निवारण प्रणाली पर जोर दिया जाएगा।”
Union Cabinet Approved This Schemes(केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इन योजनाओं को दी मंजूरी)
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उन्होंने कहा, “कारोबारियों को एक ही पहचान चाहिए- पैन और टैन का एकीकरण। अगर यह एक सामान्य व्यवसाय पहचान बन सकता है तो इसकी कोशिश की जाएगी। अब तक 78 करोड़ पैन कार्ड जारी किए जा चुके हैं।” केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि मौजूदा करदाताओं के पैन में कोई बदलाव नहीं होगा और कहा कि नए कार्ड क्यूआर कोड के साथ प्रिंट किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि पैन का अपग्रेड निःशुल्क है।
कैबिनेट ने कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत एक स्वतंत्र केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में 2,481 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ प्राकृतिक खेती पर एक राष्ट्रीय मिशन शुरू करने को मंजूरी दी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि, इस पहल के तहत एक करोड़ किसानों को जैविक तरीके के लाभों के बारे में जागरूक करने के लिए मिशन में शामिल किया जाएगा। वे जैविक खेती को बढ़ावा देने में भी भूमिका निभाएंगे। मंत्री ने कहा, “लगभग 18 लाख किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा और अधिक से अधिक लोगों को जैविक खेती सीखने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। प्राकृतिक खेती पर स्नातक पाठ्यक्रम चलाए जाएंगे। इससे खेती की प्रकृति आधारित टिकाऊ प्रणाली को बढ़ावा मिलेगा, मृदा स्वास्थ्य में सुधार होगा और इनपुट लागत में कमी आएगी।”