बता देंं कि घटलास्थल पर पहुंचे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने घटलास्थल का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि फंसे लोगों को जरूरी सामान की आपूर्ति के लिए मलबे में एक और बड़े व्यास की पाइपलाइन डाली जा रही है। इसमें में और 2 से 3 दिन तक का समय लग सकता है।
वहीं, आज यानी मंगलवार को एक अच्छी खबर मिल रही है। सूत्रों के मुताबिक उत्तरकाशी की सुरंग में मजदूरों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी आई है। बचाव दल ने सिल्क्यारा सुरंग के अंदर पाइपलाइन बिछाने का कार्य शुरू कर दिया है।
अब तक क्या सफलता मिली?
आपको बता दें कि सुरंग में फंसे इन मजदूरों को खाना पहुंचाने के लिए आज नए इंतजाम किया गया है। अब रेस्क्यू टीम मजदूर तक 6 इंच मोटी पाइप पहुंचने में सफल रही है। वहीं काफी मेहनत के बाद 60 मीटर दूर मजदूर तक मलबा पार कर पाइप पहुंचा है। जिसकी मदद से अब मजदूरों की जरूरत के अनुसार खाना बनाया गया। बता दें कि अब इस पाइप के जरिए प्लास्टिक की बोतलों में खाना भेजा गया। इस पाइप के जरीए आलू के टुकड़े, दलिया और खिचड़ी भेजी जाएगी। डॉक्टर की सलाह लेकर ही इन मजदूरों के स्वास्थय पर गौर करते हुए उन्हें खाना भेजा गया।
बचाव के लिए ऐसे चलाया जा रहा ऑपरेशन
- ऑगुर बोरिंग मशीन के जरिए मजदूरों के बचाव के लिए सिल्क्यारा छोर से NHIDCL द्वारा हॉरिजॉन्टल बोरिंग किया जाना है।
- वर्टिकल रेस्क्यू टनल के निर्माण के लिए SJVNL की पहली मशीन पहले ही सुरंग स्थल पर जा रही है।
- इसके अलावा BRO द्वारा पहुंच मार्ग का काम पूरा होने के बाद परिचालन शुरू किया जा रहा है।
- साथ ही वर्टिकल सुरंग बनाने के लिए 2 अन्य मशीनों की आवाजाही सड़क मार्ग के जरिए गुजरात और ओडिशा से शुरू हुई।
- THDC के माध्यम से बड़कोट छोर से 480 मीटर लंबी बचाव सुरंग के निर्माण का कार्य शुरू हो गया है।
- वर्टिकल बोरिंग के लिए ओएनजीसी द्वारा यूएसए, मुंबई और गाजियाबाद से मशीनरी पहुंचाई जा रही हैं।
- BRO ने सराहनीय कार्य किया है जब RVNL और SJVNL की वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए एप्रोच रोड का निर्माण 48 घंटे के भीतर किया गया है।
ढाई दिनों में बाहर निकाला जा सकता था- गडकरी
बचाव अभियान में आ रही बार बार रुकावट के बाद अधिकारियों ने शनिवार को मजदूर तक जल्द से जल्द पहुंचाने के लिए सुरंग के ऊपर से ‘वर्टिकल’ ड्रिलिंग करने की तैयारी शुरू कर दी। नितिन गडकरी ने कहा कि ऐसी स्थिति में क्षितिज खुद ही सर्वश्रेष्ठ विकल्प है लगता है अगर मशीनों के रास्ते में बाधा नहीं आती तो फंसी श्रमिकों को ढाई दिनों में बाहर निकाला जा सकता था।
आसपास घूम सकते हैं मजदूर
नितिन गडकरी ने आगे कहा कि श्रमिक सुरंग के अंदर ऐसे स्थान पर फंसे हैं जहां वे आसपास घूम सकते हैं। उनके पास जरूरत की सभी चीजे है। उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मौजूदगी में अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री ने कहा, ”फंसे श्रमिकों को बचाना और उन्हें जल्द से जल्द बाहर निकालना सबसे बड़ी प्राथमिकता है।”
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