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India News (इंडिया न्यूज़),Pashupati Sharma,Vishwakarma Scheme: सौ चोट सोनार की एक चोट लोहार की, ये कहावत तो आप ने कई बार सुनी होगी, लेकिन जो चोट सोनार और लोहार को एक साथ साधती हो उस चोट को क्या नाम दें ? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल क़िले से जिस विश्वकर्मा योजना का ऐलान किया है, वो विपक्षी गठबंधन के लिए सोनार और लोहार वाली चोट से कहीं बड़ी चोट है। सनातन धर्म के ‘आदि इंजीनियर’ भगवान विश्वकर्मा के नाम से प्रधानमंत्री मोदी ने जिस योजना का ऐलान लाल क़िले से किया, उससे हिन्दुस्तान में सोशल इंजीनियरिंग का नया दौर शुरू हो रहा है।
I.N.D.I.A वाला गठबंधन और उनके नेता एक तरफ़ मोदी के विश्वकर्मा योजना की काट ढूंढ रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ़ एक नये मुहावरे की तलाश भी चल रही है जो सोनार, लोहार के आगे की मोदी वाली चोट का बखान कर सके, 15 अगस्त को लाल क़िले से विश्वकर्मा योजना का एलान, 16 अगस्त को कैबिनेट की मुहर और 17 सितंबर से इसे लागू करने की तैयारी के अपने मायने हैं। प्रधानमंत्री मोदी और उनकी टीम ओबीसी वोट बैंक को लेकर इस मास्टरस्ट्रोक को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।
सोनार, लोहार , कुम्हार, राज मिस्त्री, धोबी, फूल का काम करने वाले, मछली का जाल बुनने वाले, ताला-चाबी बनाने वाले और मूर्तिकार ऐसे तमाम तबकों से जुड़े लोगों को विश्वकर्मा योजना का फ़ायदा मिलेगा, मल्लिकार्जुन खड़गे, अखिलेश यादव, लालू यादव, तेजस्वी यादव, नीतीश कुमार जैसे बड़े ओबीसी चेहरों के साथ विपक्ष के मोर्चे ने ओबीसी वोट बैंक पर बड़ी दावेदारी तो ठोकी लेकिन पीएम मोदी ने लाल क़िले से बड़ा दांव चल दिया।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 13,000 करोड़ रुपये की विश्वकर्मा योजना को मंजूरी दी है, इस योजना से शिल्पकारों को 1 लाख रुपये तक का लोन 5 फ़ीसदी ब्याज पर दिया जायेगा। जिससे 30 लाख शिल्पकार परिवारों को लाभ होगा, जो एक बड़ी तादाद है। अब सभी पार्टियां इस जोड़-घटाव में लग गई हैं कि इस मास्टरस्ट्रोक से कहां कितना असर पड़ेगा? किस राज्य में इन तबकों के कितने वोटर हैंं, और वो अगर ये एनडीए की झोली में गए तो फिर क्या होगा?
कांग्रेस ने कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में ‘फ़्री’वाले फ़ंडे को जीत के लिए इस्तेमाल किया, लेकिन अब इसका बोझ सरकारी ख़ज़ाने पर पड़ रहा है। पीएम मोदी गाहे-ब-गाहे इस तरह की नीति पर तंज भी कसते रहे हैं, इस मायने में विश्वकर्मा योजना थोड़ी हटकर है। यहां छोटे कामगारों और कारीगरों को आर्थिक मदद दी जा रही है, उन्हें लोन मुहैया कराया जा रहा है, उन्हें ट्रेनिंग, एडवांस तकनीक की जानकारी और स्किल से जुड़ी मदद दी जा रही है। लेकिन ये सब मुफ्त नहीं है, एक मामूली ब्याज दर पर कुछ करने का हौसला देने वाली ये स्कीम इस मायने में भी मास्टरस्ट्रोक है कि सरकारी ख़ज़ाने पर इस योजना का बोझ सीधे तौर पर नहीं पडे़गा, इस स्कीम की मदद से छोटे कामगारों, कारीगरों, काश्तकारों को MSME से जुड़ने का मौक़ा मिलेगा और वो विकास पथ के साझीदार बन जाएंगे।
पीएम मोदी की घोषणा के बाद इंडिया न्यूज़ ने एक सर्वे किया और हमने सीधा सवाल किया -क्या पीएम मोदी की विश्वकर्मा योजना से OBC वोट NDA के खाते में आएगा ? 62 फ़ीसदी लोगों का जवाब हां में आया, और यही आंकड़े इस बात की तस्दीक़ कर हैं कि पीएम मोदी की चोट कहीं ज़्यादा बड़ी है, एक वक़्त ऐसा भी था जब लालू यादव ने सोशल इंजीनियरिंग के नाम पर बिहार के ओबीसी को अपने साथ जोड़ लिया था। पीएम मोदी की विश्वकर्मा योजना इसी सोशल इंजीनियरिंग के आगे का ताना-बाना है।
आपको बताते चलें कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है और वहां भी विश्वकर्मा के नाम से एक योजना शुरू हुई है, राज्य सरकार द्वारा विश्वकर्मा कामगार कल्याण योजना-2023 लागू की गई है। जिसके अन्तर्गत महिलाओं, कामगार, हस्तशिल्पी, केश कला, माटी कला के दस्तकार और घुमन्तू वर्ग के एक लाख युवाओं को स्वयं का रोजगार शुरू करने के लिए आर्थिक सहायता दी जाएगी। चुनावों से पहले भगवान विश्वकर्मा को लेकर कुछ और बड़े ऐलान सियासी पार्टियों की ओर से हो सकते हैं, लेकिन भगवान विश्वकर्मा के नाम पर ये सियासी खींचतान इस मायने में ज़्यादा सुखद हैं।
पाहन पूजे हरि मिले, तो मैं पूजूं पहार
याते चाकी भली जो पीस खाए संसार।
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