इंडिया न्यूज, ghaziabad news। देश में किसान को आंदोलन करना सिखाने वाले भारतीय किसान यूनियन (Bhakiyu) के संस्थापक स्वर्गीय चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत (Late Chaudhary Mahendra Singh Tikait) की 11वीं पुण्यतिथि पर एक नए किसान संगठन ने आकार लिया है। लखनऊ (Lucknow) से किसान संगठन का ऐलान खुद भी कई इशारे कर गया।
किसान राजधानी कहे जाने वाले मुजफ्फरनगर (Farmers Capital Muzaffarnagar) के सिसौली में भी कुछ सियासी शख्सियतों अलावा किसानों का समागम हुआ और बाबा टिकैत को श्रद्धांजलि दी गई। हालांकि इस दिन सिसौली (Sisouli) पहुंचने वालों सत्तापक्ष से ताल्लुक रखने वाला कोई नेता नहीं पहुंचा, ऐसा शायद पहली बार हुआ।
लखनऊ में नए किसान संगठन के ऐलान पर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत से प्रतिक्रिया ली गई तो उन्होंने अपने मौजू अंदाज में कहा, अरे डर के मारै जेबड़े तोड़ जा हैं, सरकार बड़ी चीज है, कुछ दवाब रहा होगा।
1987 से लेकर अब तक भारतीय किसान यूनियन से निकल चुके दर्जनों संगठन
1987 में बनी भारतीय किसान यूनियन से अलग होकर किसी धड़े ने अलग संगठन बनाया हो, ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। दर्जन भर संगठन बाबा महेंद्र सिंह टिकैत (Baba Mahendra Singh Tikait) की भारतीय किसान यूनियन से निकल चुके हैं। अलग संगठन बनना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार नया संगठन बनने का तरीका जरूर अलग है।
13 माह तक चले किसान आंदोलन (farmer protest) में गठवाला खाप (Gathwala Khap) का टैंट तो गाजीपुर बार्डर (Ghazipur Border) पर लगा रहा लेकिन खाप चौधरी राजेंद्र सिंह मलिक (Chaudhary Rajendra Singh Malik) कई बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के साथ बैठे नजर आए। अब वही चौधरी इस नए संगठन के संरक्षक की भूमिका में हैं।
टिकैत बंधुओं के करीबी लंबे समय तक भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी रहे धर्मेंद्र मलिक (Dharmendra Malik) और मुरादाबाद मंडल अध्यक्ष दिगंबर सिंह (Moradabad Divisional President Digambar Singh) भी नए संगठन के कर्ता धतार्ओं में शामिल हैं।
विधानसभा चुनाव (assembly elections) के दौरान धर्मेंद्र मलिक सपा मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) से नजदीकियों और टिकट की लाइन में रहने को लेकर कई बार चर्चा में आए थे। लेकिन चुनाव के बाद की चौसर कब बैठी, इसकी चर्चा बंद कमरों तक ही सीमित रही।
यूपी और केंद्र सरकार के दो जाट मंत्रियों की जुगत की जो फुसफुसाहट सियासी गलियारों में सुनी गई है। नए संगठन की घोषणा के बाद राकेश टिकैत की प्रतिक्रिया ने भी इस फुसफुसाहट की ताकीद कर दी।
मूल भारतीय किसान यूनियन से अब तक अलग हुए संगठन अस्तित्त्व में तो हैं लेकिन कोई बड़ी लकीर वह नहीं खींच पाए। लंबे समय से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर रहे राजेश चौहान (Rajesh Chauhan) की अध्यक्षता में बना यह नया संगठन किसानों में कितनी पैंठ बना पाएगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
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