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India News (इंडिया न्यूज़), Farmers Protest: किसान अपने मुद्दों को लेकर राष्ट्रराजधानी दिल्ली की तरफ कूच कर रहे हैं। किसानों द्वारा दिल्ली चलो के आह्वान के बाद हजारों किसान आज दिल्ली से सटे हरियाणा और उत्तरप्रदेश के बॉर्डर में जमा हो गए। जिसके बाद पुलिस और किसानों के बीच झड़प देखने को मिल रही है। इसी बीच विपक्षी नेताओं ने सरकार की प्रतिक्रिया की आलोचना की है। बता दें कि पुलिस ने सैकड़ों किसानों पर आंसू गैस छोड़े हैं। जिन्होंने अंबाला के पास शंभू सीमा पर बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की। जिससे नई दिल्ली जाने का रास्ता अवरुद्ध हो गया।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किसानों पर “क्रूर हमले” की निंदा किया। उन्होंने कहा कि किसानों का समर्थन करने में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की विफलता “विकसित भारत” के भ्रम को उजागर करती है। “उनके विरोध को दबाने के बजाय, भाजपा को अपने बढ़े हुए अहंकार, सत्ता की भूखी महत्वाकांक्षाओं और अपर्याप्त शासन को कम करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। जिसने हमारे देश को नुकसान पहुंचाया है।”
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी दिल्ली-हरियाणा सीमा पर प्रदर्शनकारी किसानों पर आंसू गैस के गोले दागने की निंदा की। उन्होंने भाजपा शासन के तहत बहुप्रचारित ‘अमृतकाल’ या अमृत युग पर सवाल उठाया। पत्रकारों से बात करते हुए, यादव ने कहा, “आंसू गैस का इस्तेमाल करना, और (सीमाओं पर) कीलें और बैरिकेड लगाना, किसानों के मार्च को रोकने के लिए सब कुछ किया जा रहा है। (केंद्र) सरकार किसानों की आवाज दबाना चाहती है। ये (केंद्र) के वही लोग हैं जिन्होंने किसानों की आय, फसल दर और एमएसपी कार्यान्वयन को दोगुना करने का वादा किया था।
कांग्रेस महासचिव संचार प्रभारी, जयराम रमेश ने कहा कि “किसान संगठनों की 3-4 मुख्य मांगें हैं। उनकी सबसे बड़ी मांग है कि स्वामीनाथन फॉर्मूला लागू किया जाए…एमएसपी ‘मोदी सेलिंग प्राइस’ नहीं है।’ एमएसपी ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ है।” उन्होंने कहा।विभिन्न फसलों के लिए न्यूनतम कीमतें सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मंत्रियों के साथ वार्ता विफल होने के एक दिन बाद पंजाब और हरियाणा के किसान संघों के दिल्ली की ओर मार्च करने के बाद राष्ट्रीय राजधानी में सुरक्षा कड़ी कर दी गई।
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