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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
world Homeopathy Day Tomorrow: हम कई बार दुविधा में रहते हैं कि इलाज के लिए क्या चुनें-आयुर्वेदिक, एलोपैथी या होम्योपैथी उपचार। 18 वीं शताब्दी में भारत में आया होम्योपैथी आज पूरी तरह से भारतीय संस्कृति में आत्मसात हो गया है। जैसे-जैसे होमियोपैथी का दायरा बढ़ रहा है, लोगों में इसके प्रति विश्वास भी बढ़ रहा है। इस बार होम्योपैथी दिवस कल रविवार (10 अप्रैल) को मनाया जाएगा।
आजकल कई जटिल बीमारियों से पीड़ित मरीजों का होम्योपैथी से इलाज किया जा रहा है। होम्योपैथी से जटिल से जटिल रोग को जड़ से मिटाया जा सकता है। प्रतिवर्ष विश्व होम्योपैथी दिवस पर कई अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों का आयोजन होता है, जिसमें विशेषज्ञ भाग लेते हैं। तो चलिए जानते हैं विश्व होम्योपैथी दिवस का इतिहास और अन्य बातें।
विश्व होम्योपैथी दिवस हर साल 10 अप्रैल को मनाया जाता है। यह होम्योपैथी के संस्थापक डाक्टर सैमुअल हनीमैन की जयंती के रूप में मनाया जाता है। डाक्टर सैमुअल हनीमैन जर्मनी के प्रसिद्ध डॉक्टर थे। उनका जन्म 1755 में हुआ था। वह जर्मनी के प्रसिद्ध चिकित्सक वैद्य थे। उन्होंने होम्योपैथी का आविष्कार किया था। विश्व होम्योपैथी दिवस केवल डॉ. हैनिमैन की जयंती के उपलक्ष्य में ही नहीं मनाया जाता बल्कि होम्योपैथी को आगे ले जाने की चुनौतियों और भविष्य की रणनीतियों को समझने के लिए भी मनाया जाता है। 1843 में फ्रांस के पेरिस में डाक्टर सैमुअल हनीमैन का निधन हो गया था।
केन्द्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद के अनुसार यह दवाओं द्वारा रोगी का उपचार करने की एक ऐसी विधि है। इसमें किसी स्वस्थ व्यक्ति में प्राकृतिक रोग का अनुरूपण करके समान लक्षण उत्पन्न किया जाता है। इससे रोगग्रस्त व्यक्ति का उपचार किया जा सकता है। होम्योपैथी चिकित्सा का ही एक वैकल्पिक रूप है, जो समरूपता दवा सिद्धांत पर आधारित है। इस पद्धति में रोगियों का उपचार न केवल होलिस्टिक दृष्टिकोण के माध्यम से, बल्कि रोगी की व्यक्तिवादी विशेषताओं को समझकर किया जाता है।
होम्योपैथी यूनानी शब्द होमो से आया है जिसका अर्थ है समान और पैथोस जिसका अर्थ है दु:ख या बीमारी। बता दें कि विश्व होम्योपैथी दिवस या विश्व होम्योपैथी जागरूकता सप्ताह हर साल 10 अप्रैल से 16 अप्रैल तक मनाया जाता है। होम्योपैथी सप्ताह के दौरान, दुनिया भर में मुफ्त सार्वजनिक कार्यक्रम होते हैं।
होम्योपैथी एक सुरक्षित चिकित्सकीय तरीका है, जो कई प्रकार की बीमारियों का प्रभावी उपचार कर सकता है। इसकी आदत भी नहीं पड़ती है। यह गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सभी के लिये सुरक्षित है। चिकित्सकों के अनुसार, रोग लक्षण एवं औषधि लक्षण में जितनी ही अधिक समानता होती है, रोगी के स्वस्थ होने की संभावना भी उतनी अधिक बढ़ जाती है।
आज के समय में होम्योपैथी काफी प्रचलित है। दुनियाभर में लोग होम्योपैथी को काफी महत्व देते है। इस विशेषज्ञों का मनाना है कि इस दवा साइड इफेक्ट कम है। भारत सहित विश्व में कई देश ऐसे है जो होम्योपैथी को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे है। विश्व होम्योपैथी दिवस को होमियोपैथी से जुड़े फायदे के बारे में भी लोगों को बताया जाता है।
होम्योपैथिक दिवस के अवसर पर विभिन्न प्रकार के सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं जिसमें होम्योपैथिक चिकित्सा प्रणाली के प्रकाशन और प्रसार और इसकी विशेषताओं को विकसित करने के बारे में चर्चा की जाती है। होम्योपैथी दिवस पर दुनियाभर के कई वैज्ञानिक एकजुट होते हैं और इसके डेवलपमेंट के बारे में विस्तार से बातचीत करते हैं। इस मौके पर होमियोपैथी से जुड़ी कई बातें भी लोगों को बताई जाती हैं।
होम्योपैथी की दवा चाहे लिक्विड फॉर्म में हो या गोलियों के रूप में, किसी ठंडी जगह पर रखें। होम्योपैथी दवा का यह नियम है कि उन्हें कभी भी हाथ में नहीं लेना चाहिए। इसके उलट आप बोतल खोलकर दवा को सीधे मुंह में ले लें। हाथ के इस्तेमाल से दवा का प्रभाव कम हो सकता है। इन दवाइयों को खाने के बाद 30 मिनट तक कुछ न खाएं। होम्योपैथी दवाइयों को अन्य दवाओं से मिक्स न करें। होम्योपैथी चिकित्सा के दौरान अन्य दवाइयों के सेवन से पहले डॉक्टर की राय अवश्य लें।
होम्योपैथी इलाज के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर वर्ष भारत सरकार की ओर से एक थीम जारी की जाती है जिसमें लोगों को इसके इलाज और महत्व के बारे में जागरूक किया जाता है। ”इस साल 2022 की थीम-स्वास्थ्य के लिए लोगों की पसंद” रखा गया है।
world Homeopathy Day Tomorrow
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