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फिर से धरती पर आया 300 साल पहले मर चुका ये पक्षी, इसके खुबसुरती को देख आप भी हो जाएंगे कायल 

PUBLISHED BY: Himanshu Pandey • LAST UPDATED : October 1, 2024, 7:05 pm IST
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फिर से धरती पर आया 300 साल पहले मर चुका ये पक्षी, इसके खुबसुरती को देख आप भी हो जाएंगे कायल 

Bald Ibis Bird

India News (इंडिया न्यूज),Bald Ibis Birth: दुनिया में ऐसे कई जानवर पक्षी रहे जो आगे जाकर विलुप्त हो गए इसी को लेकर 17वीं सदी में 300 साल पहले विलुप्त हुआ एक पक्षी फिर से जन्म ले चुका है। ये पक्षी कोई और नहीं बाल्ड आइबिस है, लेकिन अब इसे आसमान में उड़ते हुए देखा जा सकता है। अपने चमकदार पंखों और घुमावदार चोंच वाला यह पक्षी कभी 3 महाद्वीपों, उत्तरी अफ्रीका, अरब प्रायद्वीप और यूरोप के अधिकांश हिस्सों में पाया जाता था, इसका विशेष सांस्कृतिक महत्व था और इसे इसकी ‘आत्मा’ का प्रतीक माना जाता था। यह पक्षी दक्षिण जर्मनी के बवेरिया में भी पाया जाता है और वर्ष 2011 में वैज्ञानिकों ने इस पक्षी को यूरोप से बवेरिया आते देखा था। जीवविज्ञानी जोहान्स फ्रिट्ज इस पक्षी के संरक्षण में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

जीव वैज्ञानिकों के प्रयास से फिर से जन्म लिया ये पक्षी

एक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 20वीं सदी के आखिर तक मोरक्को में इस पक्षी के 59 जोड़े थे, लेकिन शिकार के शौक, घर बनाने के लिए जंगलों की कटाई और कीटनाशकों के इस्तेमाल समेत दूसरी मानवीय गतिविधियों ने इस पक्षी को विलुप्त होने के कगार पर पहुंचा दिया, लेकिन जीव वैज्ञानिकों के प्रयासों से यह पक्षी फिर से अस्तित्व में आ गया है। 1991 में मोरक्को के पश्चिमी तट पर सूस-मासा नेशनल पार्क की स्थापना की गई। इस केंद्र ने आइबिस के प्रजनन, संरक्षण और देखभाल के लिए ज़रूरी व्यवस्थाएं कीं। 1994 में शुरू किए गए एक शोध कार्यक्रम ने इस मिशन में काफ़ी मदद की। आज यूरोप के जंगलों में 500 से ज़्यादा पर्यावरणविद इस पक्षी के संरक्षण में लगे हुए हैं।

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2002 में आइबिस पक्षी की आबादी 300

जीवविज्ञानी फ्रिट्ज और ऑस्ट्रिया के संरक्षण एवं शोध समूह वाल्ड्राफ्टम के प्रयासों से वर्ष 2002 में मध्य यूरोप में इस पक्षी की आबादी 300 तक पहुंच गई थी। जंगलों में पर्यावरणविद इस पक्षी के चूजों को उड़ना भी सिखाते हैं। 300 साल बाद वर्ष 2011 में टस्कनी से बवेरिया की ओर पहला पक्षी आइबिस आता देखा गया था। तब से लेकर अब तक ये पक्षी 550 किलोमीटर (342 मील) से अधिक की दूरी तय करके मध्य यूरोप आते रहे हैं। उम्मीद है कि वर्ष 2028 तक मध्य यूरोप में इन पक्षियों की आबादी 350 से अधिक हो जाएगी और ये आत्मनिर्भर हो जाएंगे। हालांकि वर्ष 2023 में ये पक्षी बवेरिया से दक्षिणी स्पेन के अंडालूसिया तक करीब 2800 किलोमीटर (1740 मील) की यात्रा करेंगे। स्पेन की यह यात्रा 50 दिनों में पूरी होगी।

आइबिस को खंडहरों में घोंसला बनाना पसंद

आइबिस पक्षी अपने काले और इंद्रधनुषी हरे पंखों, गंजे लाल सिर और लंबी घुमावदार चोंच के लिए जाने जाते हैं। ये पक्षी चट्टानों और खंडहरों में घोंसला बनाना पसंद करते हैं। वे अपना भोजन खुद ही खोजते हैं और उनका भोजन मुख्य रूप से कीड़े और लार्वा होते हैं। इस पक्षी को पालने वाली वाल्ड्रैप टीम की सदस्य बारबरा स्टीनिंगर कहती हैं कि वे इस पक्षी को एक मां की तरह पाल रही हैं। वे उन्हें खाना खिलाती हैं, उन्हें साफ करती हैं, उनके घोंसलों को साफ करती हैं, उनकी अच्छी देखभाल करती हैं और सुनिश्चित करती हैं कि वे स्वस्थ रहें। वे उनके साथ बातचीत भी करती हैं।

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