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India News(इंडिया न्यूज),Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में अब भारतीय युवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है। हाल ही में टूरिस्ट वीजा पर रूस गए पंजाब और हरियाणा के युवाओं को धोखा देकर जबरन सेना में भर्ती कर लिया गया। जब मीडिया ने रूस में फंसे पंजाब के होशियारपुर (दोआबा) के रहने वाले गुरप्रीत से बात की तो उन्होंने अपनी पूरी कहानी बताई। इस बातचीत में गुरप्रीत ने कई अहम खुलासे किए हैं।
रूस गए इन युवाओं को 15 दिनों की ट्रेनिंग के बाद यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए भेजा गया। करीब सात भारतीय युवाओं ने रूस की सेना की वर्दी पहनकर सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में हर बात का खुलासा किया गया है। जारी किए गए वीडियो में 5 युवक पंजाबी और दो हरियाणा के हैं। पंजाब के चार युवक दोआबा क्षेत्र के रहने वाले हैं।
पंजाब के होशियारपुर के हाल्टा गांव के रहने वाले गुरप्रीत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम गलती से बेलारूस में घुस गए थे। जहां से हमें पकड़ा गया। अगले दिन सभी को वापस रूसी सेना को सौंप दिया गया। हमें दो दिन तक बंद कमरे में रखा गया। तीसरे दिन मुझे और मेरे सभी सहकर्मियों को एक वरिष्ठ अधिकारी के कार्यालय में प्रस्तुत किया गया।
सभी अधिकारी रूसी भाषा में बात कर रहे थे। कोई भी अधिकारी अंग्रेजी में बात नहीं कर रहा था। सुबह से शाम तक अधिकारी रूसी भाषा में ही बात करते रहे। जब कुछ देर तक कोई नहीं आया तो वहां मौजूद अधिकारियों ने एक हिंदी भाषी व्यक्ति से उनकी बात करायी। वह रूसी भी जानते थे और हिन्दी भी अच्छी बोलते थे।
हिंदी भाषी ने हमसे कहा कि आपको रूसी सेना में शामिल हो जाना चाहिए। इससे आपको बहुत फायदा होगा। गुरप्रीत ने कहा कि हम सभी ने सेना में भर्ती होने से साफ इनकार कर दिया था। एक हिन्दी भाषी व्यक्ति ने उन्हें तरह-तरह के प्रलोभन दिये, लेकिन उन्होंने किसी को भी अपना साथी स्वीकार नहीं किया। इसके बाद वे उन्हें डराने लगे। हिंदी भाषी ने कहा कि अगर वे सेना में भर्ती नहीं होंगे तो सभी को 10 साल की जेल होगी।
गुरप्रीत ने कहा कि हमने अधिकारियों से गुहार लगाई लेकिन कोई भी अधिकारी हमारी बात सुनने को तैयार ही नहीं हुआ। दस साल की सज़ा का नाम सुनकर सभी दोस्त डर गये। इस पर सभी ने सलाह दी कि वह एक साल तक काम करेंगे। अधिकारियों ने उनके साथ स्थानीय भाषा में लिखे एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये। उनके फोन इकट्ठा कर लिए गए।
सब कुछ होने के बाद उन्हें मॉस्को शिफ्ट कर दिया गया। पहले कहा जाता था कि उन्हें सेना में सिर्फ सहायक के तौर पर काम करना होगा। करने को ज्यादा कुछ नहीं। वह लगभग सात दिनों तक मास्को में रहे। इसके बाद उन्हें दूसरे कैंप में भेज दिया गया। जहां उन्हें करीब 15 दिनों तक ट्रेनिंग दी गई। ट्रेनिंग के दौरान उन्हें उनके फोन मिले थे। ट्रेनिंग ख़त्म होते ही उन्हें युद्ध क्षेत्र में भेज दिया गया। जहां इस समय युद्ध चल रहा है। इसके बाद उन्होंने एक सिम खरीदा और अपनी आपबीती अपने परिवार को बताई और भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई।
मीडिया से बात करते हुए गुरप्रीत ने कहा कि हमारी मांग है कि भारत सरकार हमें जल्द से जल्द वापस लाने के प्रयास शुरू करे। हमारी आंखों के सामने कई भारतीयों को मार दिया गया है। गुरप्रीत ने बताया कि फिलहाल उनके साथ सात लोग हैं, जिनमें से दो हरियाणा के हैं। पांच युवक पंजाब के हैं। गुरप्रीत ने बताया कि पिछले कैंप में और भी भारतीय लोग थे, जो रूसी सेना के चंगुल में फंस गए थे।
गुरप्रीत के भाई जालंधर निवासी अमृत सिंह ने बताया कि उनका भाई पिछले साल 27 दिसंबर को रूस घूमने गया था। रूस में घूमते-घूमते वह बेलारूस में दाखिल हो गये। जहां उन्हें वहां की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद उन्हें रूसी सेना को सौंप दिया गया। जहां सीमा पर तैनात सेना ने कहा कि या तो तुम दस साल की सजा काटो या एक साल के लिए हमारी सेना में शामिल हो जाओ।
गुरप्रीत ने बातचीत में बताया कि अपनी भलाई को देखते हुए उन्होंने एक साल के लिए सेना में शामिल होना सही समझा। ज्वाइनिंग से पहले गुरप्रीत को 15 दिनों तक हथियार और अन्य चीजों की ट्रेनिंग दी गई थी। अमृत ने कहा कि मेरे भाई को सेना ने युद्ध क्षेत्र में भेज दिया है।
यह अभी पूरा चलन नहीं है। इससे उनकी जान को खतरा है। इसलिए मेरा भाई वापस आना चाहता है। अमृत ने कहा कि सभी को एक टैक्सी ड्राइवर ने पैसों के घोटाले में फंसा दिया है। गुरप्रीत के पिता मस्कट में हैं। रूस में फंसे इन भारतीयों ने विदेश मंत्री एस। जयशंकर से भारत वापसी में मदद की अपील की है।
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