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Canada Reclaim Swastika Campaign: स्वास्तिक पर कनाडा में बवाल, हिंदुओं ने किया इस अभियान का आगाज

Himanshu Pandey • LAST UPDATED : November 21, 2023, 11:02 pm IST

India News ( इंडिया न्यूज़ ), Canada Reclaim Swastika Campaign: कनाडा में यहूदी विरोधी घटनाओं में हुई वृद्धि के बाद कनाडाई अधिकारियों ने नाजी स्वस्तिक प्रतीक के इस्तेमाल के खिलाफ एक कदम उठाया था। प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो जैसे नेताओं ने अब इसकी निंदा की है। हालांकि, अब इस प्रतीक को हिंदू पवित्र प्रतीक स्वस्तिक के साथ जोड़ने से रोकने के साथ दोबारा हासिल करने के लिए इंडो-कनाडाई समुदाय के संगठन ने एक अभियान शुरू किया है। इंडो-कनाडाई समुदाय ने स्वस्तिक के इस्तेमाल किए जाने पर आपराधिक आरोप को लेकर आपत्ति जाहिर की है।

बता दें कि, 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास की तरफ से किए गए आतंकवादी हमलों को लेकर कनाडा में 5 नवंबर को प्रदर्शन हुए थे। इस दौरान यहूदी स्कूलों, सामुदायिक केंद्रों को निशाना बनाया गया था। इसके साथ ही स्वास्तिक के प्रतीक को भी प्रदर्शित किया गया था, जिस पर ट्रूडो ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा था कि, पार्लियामेंट हिल पर एक व्यक्ति की तरफ से स्वस्तिक का प्रदर्शन अस्वीकार्य है। टोरंटो पुलिस ने भी स्वस्तिक को घृणा का प्रतीक बताया है और चेतावनी दी है कि, इसके उपयोग के परिणामस्वरूप आपराधिक आरोप लग सकते हैं।

स्वस्तिक का अर्थ सभी की शुभता और भलाई

कनाडाई सरकार के हिन्दू स्वस्तिक चिह्न के खिलाफ उठाए गए कदम के बाद इंडो-कनाडाई समुदाय में चिंता पैदा हो गई है। इसको लेकर कैनेडियन ऑर्गेनाइजेशन फॉर हिंदू हेरिटेज एजुकेशन (COHHE) नामक संगठन ने अपना रिक्लेम स्वस्तिक अभियान को शुरू किया है। टोरंटो पुलिस और अन्य कानून प्रवर्तन अधिकारियों को लिखे एक पत्र में COHHE ने बताया कि, संस्कृत में स्वस्तिक शब्द का अर्थ सभी की शुभता और भलाई है। स्वस्तिक प्रतीक बहुत ही पवित्र है। यह हमारे मंदिरों, घरों और व्यवसायों में पूजा अनुष्ठानों के समय बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। COHHE बोर्ड की सदस्य रुचि वाली ने कहा कि, “स्वस्तिक नफरत का प्रतीक नहीं है, यह हिंदू, सिख, जैन और बौद्धों की तरफ से इस्तेमाल किया जाने वाला एक प्राचीन और पवित्र प्रतीक है।

स्वस्तिक हिंदू समेत कई धर्मों का है प्रतीक

कैनेडियन ऑर्गेनाइजेशन फॉर हिंदू हेरिटेज एजुकेशन ने जानकारी देते हुए कहा कि, नाज़ियों ने कभी भी स्वस्तिक का इस्तेमाल नहीं किया है और वे झुके हुए क्रॉस या हेकेन क्रूज़ का प्रयोग करते थे। स्वस्तिक को गलत तरीके से नाजी प्रतीक के साथ जोड़ा गया है। स्वस्तिक को नफरत का प्रतीक कहना अत्यंत हिंदू-विरोधी है वही, जबकि यह शांति और समृद्धि का प्रतीक है।” इजरायल और यहूदी मामलों के केंद्र (CIJA) के उपाध्यक्ष जनरल काउंसिल रिचर्ड मार्सेउ ने कहा कि, स्वस्तिक के नाज़ी संस्करण ने हाल ही में देशभर में कई घृणा रैलियों में अपना बदसूरत सिर उठाया है। हालांकि, हम यह भी मानते हैं कि, स्वस्तिक हिंदुओं, बौद्धों, जैनियों और पारसियों के लिए एक पवित्र प्रतीक है। हिंदू प्रतीक की प्राचीन और समृद्ध विरासत का न केवल सम्मान किया जाए। इसके साथ ही इसे नस्लवाद और नफरत में इस्तेमाल किए जाने से रोका जाये।

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