India News(इंडिया न्यूज), Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 की दक्षिण ध्रुव पर सफल लैंडिग को लेकर पूरी दुनिया ने भारत के वैज्ञानिकों को सराहा है। वहीं भारत का पड़ोसी मुल्क चीन अभी भी भारत के इस उपलब्धि को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। ऐसा इसलिए भी संभव है क्योंकि शायद चीन का चांद पर मौजूद खजाने को लूटने का सपना पूरा नहीं हो पाया। साथ ही अमेरिका के बाद अब भारत से मिल रहे कड़ी चुनौती को चीन समझ नहीं पा रहा है।
चीन के पहले चंद्र मिशन के मुख्य वैज्ञानिक ओयूयांग जियूआन ने दावा किया है, कि भारत का चंद्रयान-3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव या उसके पास लैंडिंग नहीं की है। उनका कहना है कि चंद्रयान-3 जहां पर लैंड हुआ वो न तो चंद्रमा का ध्रुवीय इलाका था, ना ही अंटारकटिक का ध्रुवीय इलाका। जियूआन ने यह दावा चीन के वैज्ञानिकों के मान्यता के आधार पर किया है। दरअसल, धरती पर 66.5 और 90 डिग्री के बीच का दक्षिण का इलाका दक्षिणी ध्रुव माना जाता है।
वहीं चीन का मानना है कि क्योंकि चंद्रमा 1.5 डिग्री झुका है, ऐसे में चांद का दक्षिणी ध्रुव का इलाका धरती के मुकाबले काफी छोटा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक चंद्रमा का दक्षिणी इलाका 80 से 90 डिग्री के बीच का है। वहीं चीन के वैज्ञानिकों के अनुसार चंद्रमा क् दक्षिणी ध्रुव 88.5 से 90 डिग्री के बीच है। जो कि काफी कम है।
बता दें कि अब तक दुनिया के किसी भी देश के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिग का खंडन नहीं किया। हालांकि पूरा विश्व भारत के इस उपलब्धि का गुणगान कर रहा है। ऐसा में चीन के इस दावे से जलन की बू आने लगी है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने इसरो की जमकर तारीफ की है। हालांकि चीन के ही हांगकांग यूनिवर्सिटी के स्पेस रीसर्य लेब्रोटरी ने जियूआन के इस दावे का खंडन किया है।
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