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Covid 19: कोविड के नए वेरिएंट पर खोज कर रहा चीन, फिर से है नई महामारी फैलने की अशंका!

Rajesh kumar • LAST UPDATED : January 18, 2024, 12:28 pm IST

India News (इंडिया न्यूज़), Covid 19: कोरोना महामारी को दुनिया भर में फैले हुए कई साल बीत चुके हैं, लेकिन आज भी इस वायरस के मामले सामने आते हैं। कोविड महामारी आने के बाद कहा गया कि यह वायरस चीन से आया है, हालांकि अभी तक इसके बारे में कोई खास जानकारी सामने नहीं आई है। इस बीच खुलासा हुआ है कि चीनी वैज्ञानिक कोविड के म्यूटेंट स्ट्रेन पर रिसर्च कर रहे हैं। यह शोध अभी चूहों पर किया गया है, जिसमें पता चला है कि यह स्ट्रेन काफी घातक है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि इस कोविड म्यूटेंट पर हो रहे शोध से दोबारा महामारी फैल सकती है।

क्लोन स्ट्रेन काफी घातक

बीजिंग में वैज्ञानिकों ने पैंगोलिन (एक जानवर) में पाए जाने वाले एक कोविड जैसे वायरस का क्लोन तैयार किया है। जिसे GX_P2V के नाम से जाना जाता है और इसका उपयोग चूहों को संक्रमित करने के लिए किया जाता है। परीक्षणों से पता चला है कि यह क्लोन स्ट्रेन काफी घातक है। इस ट्रायल से यह भी पता चला है कि यह म्यूटेंट काफी खतरनाक हो सकता है। चूहे कोविड के नए स्ट्रेन से संक्रमित थे। शोध से पता चला कि प्रत्येक संक्रमित चूहे की आठ दिनों के भीतर मृत्यु हो गई।

अनोखे तरीके से शरीर में फैल रहा

शोध टीम चूहों के मस्तिष्क और आंखों में वायरस का बहुत अधिक वायरल लोड देखकर भी आश्चर्यचकित थी। टीम ने सुझाव दिया कि भले ही यह म्यूटेंट कोविड का है, लेकिन यह अनोखे तरीके से शरीर में फैल रहा है। इस बारे में एक वैज्ञानिक ने एक शोध पत्र में लिखा है, हालांकि यह प्रकाशित नहीं हुआ है, लेकिन उन्होंने चेतावनी दी है कि इस खोज से ‘मानवों में GX_P2V के फैलने का खतरा बढ़ सकता है।’ चीनी वैज्ञानिकों के इस शोध से भविष्य में कोविड के दोबारा फैलने का खतरा बढ़ सकता है।

ऐसे शोध बहुत ही नुकसानदायक

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के संक्रामक रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर फ्रेंकोइस बैलौक्स ने ट्विटर (x) पर लिखा कि यह एक भयानक अध्ययन है, वैज्ञानिक रूप से पूरी तरह से अर्थहीन है। अब कोविड को लेकर इस तरह के शोध की जरूरत नहीं है। इस तरह से चूहों पर कोविड के किसी भी प्रकार के स्ट्रेन पर शोध करना सही नहीं है। न्यू ब्रंसविक, न्यू जर्सी में रटगर्स यूनिवर्सिटी के रसायनज्ञ प्रोफेसर रिचर्ड एब्राइट ने डेलीमेल. कॉम को बताया कि वह प्रोफेसर बैलौक्स के आकलन से पूरी तरह सहमत हैं। ऐसे शोध से बहुत नुकसान हो सकता है।

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