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Civil War In Pakistan गृहयुद्ध के कगार पर पाकिस्तान, लबैक ने किया इमरान सरकार की नाक में दम

Civil War In Pakistan इंडिया न्यूज, इस्लामाबाद: धार्मिक नेता साद को गिरफ्तार करने के बाद इमरान सरकार पर संकट के बादल छाए हुए हैं। अप्रैल माह में पाकिस्तानी पुलिस ने तहरीक-ए-लबैक के प्रमुख को हिरासत में लेकर कोट लखपत जेल में डाल दिया। तब से ही संगठन के समर्थक अपने नेता की रिहाई को लेकर […]

BY: Bharat Mehndiratta • UPDATED :
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Civil War In Pakistan
इंडिया न्यूज, इस्लामाबाद:

धार्मिक नेता साद को गिरफ्तार करने के बाद इमरान सरकार पर संकट के बादल छाए हुए हैं। अप्रैल माह में पाकिस्तानी पुलिस ने तहरीक-ए-लबैक के प्रमुख को हिरासत में लेकर कोट लखपत जेल में डाल दिया। तब से ही संगठन के समर्थक अपने नेता की रिहाई को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। लबैक के प्रदर्शन को रोकने के लिए पाक सरकार ने सड़कों पर कंटेनर अड़ा दिए हैं। वहीं लाहौर में दाखिल होने वाले सभी मुख्य रास्तों पर कई फीट गहरे गड्ढे खोद दिए हैं।

पाकिस्तानी तहरीक-ए-लबैक के समर्थक लाखों की भीड़ जुटा कर सड़कों पर इमरान सरकार के खिलाफ जुलुस निकाल रहे हैं। प्रदर्शनकारियों के साथ इस संघर्ष में अभी तक 6 पुलिसकर्मी अपनी जान गंवा चुके हैं। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि साद को जेल से रिहा किया जाए। वहीं पाक सरकार को डर है कि रिहा होने के बाद इमरान सरकार का तख्तापलट हो सकता है। ऐसे में इमरान के देश में गृहयुद्ध के बादल मंडराने लगे हैं। जिसके पीछे संघर्षकत्ताओं की मांग है कि जल्द से जल्द फ्रांसीसी राजदूत को देश निकाला दिया जाए।

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Civil War In Pakistan

बता दें कि यह वही तहरीक-ए-लबैक है जिसको पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने खड़ा किया है, यही नहीं इन्हें परिक्षित करते हुए वित्तपोषण भी किया है। वहीं इमरान सरकार ने लबैक को आशिक-ए-रसूल का दर्जा देकर पीठ थपथपाई थी। आज वही संगठन इमरान सरकार का जानी-दुश्मन बन चुका है। दरअसल टीएलपी की मांग थी कि फ्रांसीसी राजदूत को देश से वापस भेजा जाए। क्योंकि फ्रांस के राष्टÑपति ने पेगंबर मोहम्मद पर विवादित बयान दिया था। इसलिए फ्रांस के राजदूत को देश से निकाला जाए। लेकिन इमरान ने मना करते हुए साद को जेल में डाल दिया था। तब से ही समर्थक अपने प्रमुख को जेल से निकालने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।

पाकिस्तान के इन्हीं प्रदर्शनकारियों को एलीट कहा जाता है जो रसूल के लिए अपनी जान तो क्या सब कुछ न्योछावर करने के लिए तत्पर रहते हैं। ऐसे में फ्रांस में घटित हुई घटना को लेकर फ्रांसीसी राजदूत को देश निकाला दिए जाने की मांग लबैक कर रहा है। संगठन की मांग पर इमरान ने संसद में बहस कराने का वादा तो किया लेकिन निभाना जरूरी नहीं समझा। इसीलिए पाक सरकार ने यूरोपियन देशों से दुश्मनी लेने की बजाए साद को ही जेल में डालना मुनासिब समझा। वहीं राजनीतिक मजबूरियों के चलते इमरान ने टीएलपी को प्रतिबंधित तो कर दिया। लेकिन पाकिस्तानी फौज और पुलिस इन पर कोई कार्रवाई करने से कतरा रही है।

बता दें कि पाक सरकार के एक मंत्री ने साद से जेल में मुलाकात कर संघर्ष खत्म करने की गुजारिश करने की जानकारी मिल रही है। लेकिन समर्थक अपने प्रमुख की रिहाई से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं।

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