India News (इंडिया न्यूज), Civil War in World: सीरियाई विद्रोही समूहों के राजधानी दमिश्क पर कब्ज़ा के साथ सीरिया में तख्तापलट हो गया है। सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर चले गए हैं। साथ ही सीरिया में बशर अल-असद का शासन खत्म हो गया है। बता दें कि, अल-असद का परिवार 53 साल से सीरिया पर शासन कर रहा था। वहीं जैसे ही विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क पर कब्ज़ा किया, लोगों ने बशर अल-असद के पिता की मूर्ति तोड़ दी। इससे पहले भी कई देशों में देखा गया है कि तख्तापलट के बाद लोगों ने उन लोगों की मूर्तियां तोड़नी शुरू कर दीं जो कल तक देश के लिए मसीहा हुआ करते थे।
बता दें कि, समय-समय दुनिया के कई हिस्सों में गृह युद्ध देखने को मिला है। जिसके बाद वहां के नागरिको ने उन तानाशाहों की मूर्तियों को हमेशा के लिए नेस्तनाबूत कर दिया, जो एक दिन पहले तक उनके मसीहा बने हुए थे। इस फेहरिश्त में कई देश शामिल है। इसी साल अगस्त में हमलोगों ने बांग्लादेश गृह युद्ध को देखा। जहां शेख हसीना को हिंसक प्रदर्शन के बाद देश छोड़ कर भागना पड़ा। जिसके बाद भीड़ ने बांग्लादेश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले शेख मुजीबुर रहमान की मूर्तियां तोड़ दी। इसके अलावा इराक में सद्दाम हुसैन, लीबिया में मुअम्मर अल-गद्दाफी, यूक्रेन में व्लादिमीर लेनिन, श्रीलंका में डीए राजपक्षे का साम्राज्य गृह युद्ध के भेंट चढ़ गया।
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सीरियाई विद्रोही समूहों के राजधानी दमिश्क पर कब्ज़ा करने के बाद, भीड़ ने भगोड़े राष्ट्रपति बशर अल-असद के पिता हाफ़िज़ अल-असद की मूर्ति तोड़ दी। वे सीरिया के राजनेता और सेना अधिकारी थे। वह 1971 से 2000 में अपनी मृत्यु तक सीरिया के 18वें राष्ट्रपति थे।
बता दें कि, 9 अप्रैल 2003 को इराकी नागरिकों और अमेरिकी सैनिकों ने बगदाद, इराक के फिरदौस स्क्वायर में सद्दाम हुसैन की एक बड़ी मूर्ति को गिरा दिया था। इस घटना को पूरी दुनिया के मीडिया ने कवर किया था। इसे इराक में सद्दाम के शासन के अंत का प्रतीक माना जाता है।
विद्रोही लड़ाकों ने लीबिया के त्रिपोली में साल 2011 में कर्नल गद्दाफी के बाब अल-अजीजिया परिसर पर कब्जा कर लिया। उन्होंने इस दौरान गद्दाफी की मूर्ति को गिरा दिया। साथ ही 25 एकड़ के महल के मैदान में अब कूड़े के ढेर, बाजार और पालतू जानवरों के एम्पोरियम हैं। बता दें कि, आखिरकार 20 अक्टूबर 2011 को गद्दाफी को उसके गृहनगर सिर्ते में मार गिराया गया। गद्दाफी के आखिरी शब्द थे- ‘मुझे गोली मत मारो’।
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अगस्त में बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ। इसके बाद अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना बांग्लादेश से भागकर भारत चली गईं। इसके बाद लोगों ने बांग्लादेश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले शेख मुजीबुर रहमान की मूर्ति को तोड़ दिया।
सोवियत संघ के पतन के बाद यूक्रेन में व्लादिमीर लेनिन के स्मारकों को गिरा दिया गया। साल 1990 के दशक में यह बहुत तेजी से हुआ। इसके अलावा यूक्रेन के कुछ पश्चिमी शहरों में भी व्लादिमीर लेनिन के स्मारकों को गिराया गया।
मई 2022 में श्रीलंका में हुए गृह विरोध में लोगों ने महिंदा राजपक्षे और गोटबाया राजपक्षे के पिता डीए राजपक्षे की मूर्ति को गिरा दिया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने कहा कि राजपक्षे परिवार की वजह से देश को नुकसान हुआ और अर्थव्यवस्था रसातल में पहुंच गई।
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