India News (इंडिया न्यूज),Sunita Williams: भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स 9 महीने के लंबे मिशन के बाद आखिरकार धरती पर लौट आई हैं। उनका अंतरिक्ष यान ड्रैगन भारतीय समय के अनुसार 19 मार्च को सुबह 3:27 बजे फ्लोरिडा के तट पर उतरा, यानी पानी में उतरा। सुनीता की वापसी की हर जगह चर्चा हो रही है। इसके बाद से उनहे स्टेचर पर लेटा कर ले जाया गया। अब उन्हें धरती के वातावरण के अनुकूल ढलने के लिए कुछ समय के लिए एक खास जगह पर रखा जाएगा। सभी अंतरिक्ष यात्रियों की मेडिकल जांच की जाएगी। यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जाएगी कि जो लोग अंतरिक्ष से लौटे हैं, वे अपने साथ किसी तरह का वायरस लेकर न आए हों। तो क्या सुनिता विलियम्स स्पेस से अपने साथ कोई वायरस लेकर आईं है या इसके पीछे कोई और वजह है? इस आर्टिकल में हम इसी सवाल का जवाब जानेंगे।
सुनीता और बुच को फिलहाल ह्यूस्टन के जॉनसन स्पेस सेंटर ले जाया गया है। दोनों अंतरिक्ष यात्री स्वास्थ्य जांच के लिए कुछ दिनों तक सेंटर में रहेंगे। अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी के बाद यह भी एक नियमित प्रक्रिया है। नासा के डॉक्टर उन्हें घर जाने की अनुमति देने से पहले उनकी पूरी जांच करेंगे। अगले कुछ दिनों में दोनों को घर जाने की अनुमति मिल सकती है।
Sunita Williams
बता दें यह पहली बार नहीं है जब अंतरिक्षयों को आते ही घर जानें कि इजाजत नहीं मिलती है यह परंपरा बहुत पहले से चलती आ रहा है। बता दें कि जब 1969 में हुए चांद मिशन के बाद जब नील आर्मस्ट्रान्ग अंतरिक्ष से वापस आए तो उन्हें क्यों और कब तक क्वारंटीन किया गया था। आपको बता दें कि 20 जुलाई 1969 को अपोलो 11 मिशन के साथ चांद पर गए अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग चांद पर कदम रखने वाले पहले व्यक्ति बने थे। उनके बाद एडविन एल्ड्रिन ने चांद पर कदम रखा था। इस दौरान तीसरे अंतरिक्ष यात्री माइकल कोलिंस कमांड मॉड्यूल कोलंबिया में रहे और करीब 21 घंटे तक अकेले चांद की परिक्रमा करते रहे। 24 जुलाई 1969 को जब अपोलो 11 अंतरिक्ष यान प्रशांत महासागर में उतरा तो तीनों अंतरिक्ष यात्रियों को सबसे पहले क्वारंटीन होम ले जाया गया जहां उन्हें 21 दिनों तक अलग-थलग रखा गया।
दरअसल, पहली बार कोई अंतरिक्ष यात्री धरती के अलावा किसी दूसरे खगोलीय पिंड के सीधे संपर्क में आया था और तब यह आशंका थी कि चांद की सतह पर वे किसी खतरनाक सूक्ष्म जीव जैसे बैक्टीरिया, वायरस या किसी अन्य अज्ञात तत्व के संपर्क में आए होंगे जो धरती पर मौजूद बाकी लोगों के लिए भी खतरनाक हो सकता है। क्वारंटीन में रखने के दौरान डॉक्टरों ने तीनों अंतरिक्ष यात्रियों पर लगातार नज़र रखी। एक अलग टीम ने चांद से लाए गए पत्थरों और धूल पर अलग-अलग परीक्षण किए ताकि पता लगाया जा सके कि कहीं इनमें ऐसा कुछ तो नहीं है जो धरती पर रहने वाले जीवों के लिए खतरनाक हो सकता है।
अपोलो 12 और अपोलो 14 मिशन तक चांद से लौटने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को क्वारंटीन में रखा गया था। एक बार जब वैज्ञानिकों को यकीन हो गया कि चांद से लौटने वाले अंतरिक्ष यात्री अपने साथ ऐसी कोई चीज नहीं लाए हैं जो धरती के लिए खतरनाक हो सकती है, तो उन्हें क्वारंटीन में नहीं रखा गया।
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