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सोने के गुंबद वाली दरगाह में सुपुर्द-ए-खाक हुए इब्राहिम रईसी, जानें इस्लाम में क्यों है इसकी अहमियत

BY: Rajesh kumar • LAST UPDATED : May 24, 2024, 3:11 pm IST
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सोने के गुंबद वाली दरगाह में सुपुर्द-ए-खाक हुए इब्राहिम रईसी, जानें इस्लाम में क्यों है इसकी अहमियत

सोने के गुंबद वाली दरगाह में सुपुर्द-ए-खाक हुए इब्राहिम रईसी, जानें इस्लाम में क्यों है इसकी अहमियत

India News (इंडिया न्यूज),Ibrahim Raisi Death: हेलीकॉप्टर दुर्घटना का शिकार हुए ईरान के पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी को गुरुवार को सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। उन्हें सोने के गुंबद वाली दरगाह में दफनाया गया था। इस दरगाह का नाम इमाम रज़ा दरगाह है। इसे शिया इस्लाम के पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। यह इस्लाम के शिया संप्रदाय के अनुयायियों की सबसे बड़ी मस्जिद है। यह दरगाह सदियों से शिया समुदाय के लिए पवित्र मानी जाती रही है। शिया इस्लाम के आठवें इमाम अली-अल-रिदा को इसी दरगाह में दफनाया गया था। इस्लाम के पैगम्बर से संबंधित एक हदीस के अनुसार दुख या पाप से पीड़ित कोई भी व्यक्ति यहां आकर मुक्त हो जाता है और उसे अपने पापों से क्षमा मिल जाती है।

पवित्र दरगाह में दफनाने वाले रईसी ईरान के पहले नेता 

दिलचस्प बात यह है कि इब्राहिम रईसी ईरान के पहले नेता हैं जिन्हें इस पवित्र मंदिर में दफनाया गया है। रायसी 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद इस दरगाह में दफन होने वाले पहले सरकारी अधिकारी हैं। इससे पहले 1978 में ईरान के प्रधान मंत्री असदुल्ला आलम को दफनाया गया था। हाल ही में ईरान के सैन्य कमांडर हसन फिरोजाबादी को 2021 में इस दरगाह में दफनाया गया था। इब्राहिम रईसी ने इस मस्जिद की देखभाल भी की है। पिछले कुछ वर्षों में रायसी को इस दरगाह और इससे जुड़े एक चैरिटी फाउंडेशन की देखभाल के लिए नियुक्त किया गया था। उस दौरान रईसी ने ही मस्जिद की देखभाल की थी।

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रईसी की मृत्यु पर ईरान में पाँच दिनों का राष्ट्रीय शोक

इब्राहिम रईसी की अंतिम यात्रा में 62 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए। भारत की ओर से उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ गए थे। अंतिम यात्रा में 30 लाख से ज्यादा लोग आए थे। रईसी की मृत्यु पर ईरान में पाँच दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया। इसके अलावा पाकिस्तान और भारत समेत कई अन्य देशों ने एक दिन के राजकीय शोक की घोषणा की थी। इब्राहिम रायसी के साथ ईरान के पूर्व विदेश मंत्री अमीर अब्दुल्लाहियां भी मारे गए। इस हादसे से ईरान को करारा झटका लगा है। इसका कारण यह है कि रायसी को देश के शीर्ष नेता अयातुल्ला खामेनेई के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा था। अब देश में 28 जून को नए राष्ट्रपति के लिए चुनाव होने हैं।

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